नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों में कार्यरत करीब 30 अधिकारी जल्द ही ट्रेनिंग के लिए देश के टॉप मैनेजमेंट संस्थान में ट्रेनिंग के लिए जाएंगे. अप्रैल महीने के पहले सप्ताह में अधिकारी प्रशिक्षण के लिए आईआईएम अहमदाबाद, बेंगलुरु और कोलकाता जाएंगे. वहां मैनेजमेंट लीडरशिप और डिसीजन साइंस जैसे समकालीन प्रासंगिक क्षेत्रों में अधिकारियों की निर्णय क्षमता को निखारा जाएगा.
दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों में तैनात वरिष्ठ अधिकारियों को ट्रेनिंग पर भेजने संबंधी फाइल को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मंजूरी दे दी है. उपराज्यपाल ने विजन 2047 और मिशन 2023 के तहत दिल्ली सरकार में मध्यम और वरिष्ठ स्तर पर तैनात दानिक्स और आईएएस अधिकारियों को देश के उक्त तीन प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थानों में ट्रेनिंग दिलाने की प्रस्ताव मंजूरी दी है. यह ट्रेनिंग एक रेजिडेंशियल प्रोग्राम होगा. इस दौरान अधिकारियों को संस्थान में ही रहना होगा.
यह ट्रेनिंग प्रोग्राम कर्मयोगी भारत के तहत आयोजित किए जाने वाले ट्रेनिंग प्रोग्राम के अतिरिक्त होगा. इस ट्रेनिंग योजना को तैयार करने वाली दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि समय के साथ काम करने के तौर-तरीके में काफी बदलाव आता है. नई तकनीकों का इस्तेमाल से काम आसान हो जाता है और इन सब के बारे में ही प्रशिक्षण जरूरी है. इन मैनेजमेंट संस्थानों से मिले प्रस्ताव के आधार पर अधिकारियों को ट्रेनिंग देने की प्रस्ताव तैयार कर उपराज्यपाल को पास भेजा गया था.
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इस ट्रेनिंग के जरिए पब्लिक, प्राइवेट, पार्टनरशिप (पीपीपी) चेंज मैनेजमेंट लीडरशिप और डिसीजन साइंस जैसे समकालीन प्रासंगिक क्षेत्रों में अधिकारियों की निर्णय क्षमता को निखारा जाएगा. दिल्ली सरकार में सेवा दे रहे अधिकारियों को पहले भी ट्रेनिंग पर भेजा जा रहा था, लेकिन यह ट्रेनिंग उससे कुछ हटकर है. दिल्ली सरकार के कार्यरत अधिकारियों की ट्रेनिंग की तरह ही केजरीवाल सरकार ने स्कूलों के शिक्षकों और प्रिंसिपल को भी देश व दुनिया के अच्छे शिक्षण संस्थानों में ट्रेनिंग के लिए भेजना शुरू किया था.
गत वर्ष दो चरणों मे कुल 60 शिक्षकों व प्रिंसिपल के समूहों को फिनलैंड ट्रेनिंग के लिए भेजने का प्रस्ताव उपराज्यपाल को सरकार ने भेजा था. लेकिन समय पर इसकी अनुमति नहीं मिलने से प्रिंसिपल और शिक्षक ट्रेनिंग के लिए नहीं जा सके थे. हालांकि फरवरी माह में उपराज्यपाल ने केजरीवाल सरकार द्वारा भेजे गए संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. लेकिन तब तक देर हो गई और शिक्षक व प्रिंसिपल ट्रेनिंग के लिए विदेश नहीं जा सके थे.
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