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CAG रिपोर्ट से डरी केजरीवाल सरकार!..., 1 साल से मांग रहे LG

दिल्ली सरकार ने पिछले साल कैग द्वारा जमा तीन रिपोर्ट को अपनी मंजूरी नहीं दी है, ताकि वह उपराज्यपाल के पास भेजा जा सके. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. सूत्रों के मुताबिक, यह तीनों रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री कार्यालय में ही है. उपराज्यपाल सचिवालय ने भी सरकार से इस रिपोर्ट पर मंजूरी देने को कहा था ताकि रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखा जा सके.

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Published : Jan 16, 2023, 8:17 PM IST

Updated : Jan 16, 2023, 8:30 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा जमा तीन रिपोर्ट को उपराज्यपाल को नहीं सौंपा है, ताकि उसे विधानसभा के पटल पर रखने की मंजूरी मिल सके. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सोमवार को सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी. दिल्ली सरकार की तरफ से इस इस पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. सूत्रों के मुताबिक कैग ने मामले पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के कार्यालय को एक रिमाइंडर भेजा है, वहीं उपराज्यपाल सचिवालय ने भी सरकार को इस संबंध में एक पत्र लिखा है.

31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में कैग ने तीन रिपोर्ट तैयार किया. ये हैं- 'स्टेट फाइनेंस ऑडिट रिपोर्ट', 'परफॉर्मेंस ऑडिट ऑन प्रिवेंशन एंड मिटीगेशन ऑफ वेहिकुलर एयर पॉल्युशन इन देल्ही' और 'रेवेन्यू, इकोनॉमिक, सोशल एंड जेनरल सेक्टर्स एंड पीएसयूज'. सूत्रों ने बताया कि ये तीनों रिपोर्ट सिसोदिया कार्यालय में अटकी हुई है. सिसोदिया के पास दिल्ली का फाइनेंस पोर्टफोलियो है. ये रिपोर्ट दिल्ली सरकार को पिछले साल 23 जून, 27 सितंबर और 10 नवंबर को सौंप दिया गया था.

सूत्रों ने बताया कि सभी रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री कार्यालय के प्रिंसिपल अकाउंट्स ऑफिस को सौंपा गया था, जिसे उपराज्यपाल के पास दिल्ली विधानसभा की पटल पर रखने के लिए मंजूरी देने के लिए भेजा जाना था, लेकिन सभी फाइलें अभी भी उपमुख्यमंत्री कार्यालय में ही रखे हैं. सूत्र के मुताबिक सरकार के वित्त, राजस्व के उपयोग और विभिन्न कार्यक्रमों पर व्यय किए गए दो रिपोर्टों के अलावा, वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम और इसके लिए किए गए उपाय पर रिपोर्ट सौंपे गए हैं.

नियम के मुताबिक, कैग सबसे पहले अपनी रिपोर्ट को दिल्ली सरकार को सौंपती है. इस पर वित्त मंत्री की स्वीकृति मिलती है. इसके बाद इसे मुख्यमंत्री विधानसभा के पटल पर रखने की अनुमति देने के लिए उपराज्यपाल को भेजता है. पिछले साल 29 नवंबर को एलजी सचिवालय ने दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को इस संबंध में लिखा भी था कि वह नियमों के मुताबिक कैग रिपोर्ट को अपनी सहमति देकर भेज दें, ताकि उसे विधानसभा के अगले सत्र में रखा जा सके. लेकिन आप सरकार इन रिपोर्ट्स को एलजी के पास नहीं भेज रही है.

ये भी पढ़ेंः BJP नेता शाहनवाज हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से झटका, चलेगा रेप का केस

सूत्र ने दावा किया कि इससे पहले, आप सरकार ने कैग की 10 रिपोर्ट को अपने पास दब कर रखा था और लगातार चार साल तक उन्हें विधानसभा के समक्ष पेश नहीं किया था. सूत्र ने कहा कि एलजी वीके सक्सेना ने मामले का जायजा लेने के बाद रिपोर्ट पेश करने के लिए दो दिवसीय सत्र बुलाया था. सूत्र ने कहा कि यह आम आदमी पार्टी सरकार की पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के प्रति लगातार उपेक्षा और अवहेलना को प्रदर्शित करता है.

(इनपुट- PTI)

ये भी पढ़ेंः जजों की नियुक्ति पर भिड़े केंद्रीय मंत्री रिजिजू और CM केजरीवाल, जानें किसने क्या कहा?

नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा जमा तीन रिपोर्ट को उपराज्यपाल को नहीं सौंपा है, ताकि उसे विधानसभा के पटल पर रखने की मंजूरी मिल सके. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सोमवार को सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी. दिल्ली सरकार की तरफ से इस इस पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. सूत्रों के मुताबिक कैग ने मामले पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के कार्यालय को एक रिमाइंडर भेजा है, वहीं उपराज्यपाल सचिवालय ने भी सरकार को इस संबंध में एक पत्र लिखा है.

31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में कैग ने तीन रिपोर्ट तैयार किया. ये हैं- 'स्टेट फाइनेंस ऑडिट रिपोर्ट', 'परफॉर्मेंस ऑडिट ऑन प्रिवेंशन एंड मिटीगेशन ऑफ वेहिकुलर एयर पॉल्युशन इन देल्ही' और 'रेवेन्यू, इकोनॉमिक, सोशल एंड जेनरल सेक्टर्स एंड पीएसयूज'. सूत्रों ने बताया कि ये तीनों रिपोर्ट सिसोदिया कार्यालय में अटकी हुई है. सिसोदिया के पास दिल्ली का फाइनेंस पोर्टफोलियो है. ये रिपोर्ट दिल्ली सरकार को पिछले साल 23 जून, 27 सितंबर और 10 नवंबर को सौंप दिया गया था.

सूत्रों ने बताया कि सभी रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री कार्यालय के प्रिंसिपल अकाउंट्स ऑफिस को सौंपा गया था, जिसे उपराज्यपाल के पास दिल्ली विधानसभा की पटल पर रखने के लिए मंजूरी देने के लिए भेजा जाना था, लेकिन सभी फाइलें अभी भी उपमुख्यमंत्री कार्यालय में ही रखे हैं. सूत्र के मुताबिक सरकार के वित्त, राजस्व के उपयोग और विभिन्न कार्यक्रमों पर व्यय किए गए दो रिपोर्टों के अलावा, वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम और इसके लिए किए गए उपाय पर रिपोर्ट सौंपे गए हैं.

नियम के मुताबिक, कैग सबसे पहले अपनी रिपोर्ट को दिल्ली सरकार को सौंपती है. इस पर वित्त मंत्री की स्वीकृति मिलती है. इसके बाद इसे मुख्यमंत्री विधानसभा के पटल पर रखने की अनुमति देने के लिए उपराज्यपाल को भेजता है. पिछले साल 29 नवंबर को एलजी सचिवालय ने दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को इस संबंध में लिखा भी था कि वह नियमों के मुताबिक कैग रिपोर्ट को अपनी सहमति देकर भेज दें, ताकि उसे विधानसभा के अगले सत्र में रखा जा सके. लेकिन आप सरकार इन रिपोर्ट्स को एलजी के पास नहीं भेज रही है.

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सूत्र ने दावा किया कि इससे पहले, आप सरकार ने कैग की 10 रिपोर्ट को अपने पास दब कर रखा था और लगातार चार साल तक उन्हें विधानसभा के समक्ष पेश नहीं किया था. सूत्र ने कहा कि एलजी वीके सक्सेना ने मामले का जायजा लेने के बाद रिपोर्ट पेश करने के लिए दो दिवसीय सत्र बुलाया था. सूत्र ने कहा कि यह आम आदमी पार्टी सरकार की पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के प्रति लगातार उपेक्षा और अवहेलना को प्रदर्शित करता है.

(इनपुट- PTI)

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Last Updated : Jan 16, 2023, 8:30 PM IST
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