नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण की दर कम हो रही है, लेकिन सिरो सर्वे की रिपोर्ट ने दिल्ली में कोरोना को लेकर गम्भीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के हर चौथे व्यक्ति पर कोरोना वायरस का संकट है. इस रिपोर्ट के बाद अब यह सवाल फिर से खड़े हो रहे हैं कि क्या दिल्ली में कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है. आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार इसे लेकर केंद्र पर हमलावर हैं.
स्वास्थ्य मंत्री की चिंता
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पहले भी ऐसी आशंका जता चुके हैं. कोरोना को मात देने के बाद सत्येंद्र जैन ने जब फिर से कार्यभार संभाला है, तो उन्होंने फिर इसे लेकर चिंता जताई है. दिल्ली में कम्युनिटी स्प्रेड की आशंका को लेकर किए गए ईटीवी भारत के सवाल पर सत्येंद्र जैन का कहना था कि मैंने पहले भी यह शब्द यूज किया था कि दिल्ली में कम्युनिटी में ट्रांसमिशन है. अब उसको टेक्निकल रूप से केंद्र सरकार और आईसीएमआर बताएंगे.
'नहीं मान रही केंद्र सरकार'
स्वास्थ्य मंत्री के बाद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए इसे लेकर केंद्र की नीति पर सवाल उठाया है. एंटीबॉडी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए संजय सिंह ने कहा लोगों को पता नहीं चल रहा और उन्हें कोरोना हो जा रहा है, ज्यादातर मामलों में संक्रमण का स्रोत नहीं पता, यह कम्युनिटी स्प्रेड नहीं, तो और क्या है. संजय सिंह ने कहा कि यह स्प्ष्ट दिख रहा है, लेकिन पता नहीं केंद्र सरकार क्यों नहीं मान रही.
'बिहार-यूपी में कम टेस्ट'
संजय सिंह ने कहा कि अगर सरकार कोरोना कम्युनिटी स्प्रेड की बात मानती है, तो बड़े पैमाने पर टेस्ट कराने होंगे. अमेरिका और रूस का जिक्र करते हुए कहा कि इन देशों में क्रमशः एक लाख 46 हजार और एक लाख प्रति 10 लाख टेस्टिंग की जा रही है, लेकिन भारत में यह आंकड़ा 9-10 हज़ार ही है. इसका मतलब है कि जांच नहीं किया जा रहा. संजय सिंह ने बिहार और उत्तर प्रदेश में कम हो रहे टेस्ट्स का भी उदाहरण दिया.
'कम टेस्टिंग खतरनाक'
उनका कहना था कि 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में अब तक 18-20 हज़ार टेस्ट हो रहे थे, अब बीते कुछ दिनों से उन्होंने 35-40 हज़ार टेस्टिंग शुरू की है, वहीं 14 करोड़ की आबादी वाले बिहार में भी नाम मात्र की टेस्टिंग हो रही है, जबकि ढाई करोड़ वाली दिल्ली में 25 हज़ार टेस्ट हो रहे हैं. संजय सिंह ने कहा कि कम टेस्टिंग और कम्युनिटी स्प्रेड की घोषणा न करना बताता है कि केंद्र व राज्य सरकारें ज्वालामुखी के पहाड़ पर बैठकर शांति से बैठकर विस्फोट का इंतजार कर रहीं हैं.