नई दिल्लीः कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. ऐसे में निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कोटे के जरिए दाखिला लेने वाले कई छात्र अभी भी एडमिशन का इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि नर्सरी, केजी और पहली क्लास के लिए हर साल ईडब्ल्यूएस/डीजी कोटे के तहत दाखिला प्रक्रिया शुरू हो जाती है लेकिन इस बार कोविड-19 की वजह से यह प्रक्रिया बाधित हो रही है.
इस मुद्दे पर शिक्षा निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निजी स्कूलों में ओपन सीट पर दाखिला प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही आरक्षित सीटों पर दाखिला शुरू होता है. इस बार कई निजी स्कूलों में ओपन सीट के लिए ही दाखिला प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. साथ ही उन्होंने कहा कि आगे की दाखिला प्रक्रिया तभी हो पाएगी जब स्कूल खुलेंगे.
अभिभावकों ने कहा- बहाने बना रहे हैं स्कूल
वहीं अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में दाखिला देना नहीं चाहते, इसलिए अलग-अलग बहाने बनाकर अभिभावकों को लौटा रहे हैं. ज्ञात हो कि इस बार ईडब्ल्यूएस में करीब 50 हजार सीटों पर दाखिला होना था. लेकिन महज 15 हजार सीटों पर ही दाखिला हो पाया है.
ईडब्ल्यूएस के तहत बहुत कम हुए दाखिले
बता दें कि निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी और पहली क्लास में दाखिले के लिए 25 फीसदी सीटें ईडब्ल्यूएस/डीजी कोटे के तहत आरक्षित होती हैं. इन सीटों पर शिक्षा निदेशालय द्वारा एडमिशन के लिए ड्रॉ निकाला जाता है, जिसके तहत इस बार भी करीब 50 हजार सीटों के लिए कंप्यूटराइज्ड ड्रॉ निकाला गया था जिसके बाद भी कई सीटें खाली पड़ी हैं. इसको लेकर शिक्षा निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी तक जितने स्कूलों से डाटा मिला है, उसके अनुसार 50 हजार सीटों में से केवल 15 हजार सीटों पर ही दाखिले हुए हैं.
स्कूल खुलने पर ही मिल सकेगा सही डेटा
वहीं ईडब्ल्यूएस में इस बार कम दाखिले को लेकर अधिकारी का कहना है कि पिछले 4 महीने से स्कूल बंद है इसलिए कई स्कूलों से पूरा डाटा नहीं मिल पाया है. ऐसे में पता लगाना जरूरी है कि इतनी कम सीटों पर दाखिला लेने की सही वजह क्या है. उन्होंने कहा कि स्कूल खुलने पर ही यह बात पता लग सकेगी कि अभिभावकों ने स्कूल में रिपोर्ट नहीं किया या किसी स्कूल ने दाखिले से मनाही कर दी. साथ ही इसकी जानकारी भी ली जाएगी कि कितने अभिभावक दूसरी लिस्ट के इंतजार में बैठे हैं.
अभिभावकों ने लगाए आरोप
वहीं इसके उलट अभिभावकों का कुछ और ही कहना है. अपने बच्चे का दाखिला न मिलने से परेशान अभिभावकों का कहना है कि जिस भी स्कूल में नाम आया, वहां पर ताला लगाकर स्कूल प्रशासन नदारद हैं. दूसरे अभिभावक का कहना है कि दस्तावेज में जरा सी भी मामूली गलती होने पर स्कूल दाखिला नहीं दे रहा और तरह तरह के बहाने कर वापस भेज दे रहा है.
उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशालय के आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि यदि नाम की स्पेलिंग में कोई मामूली अंतर होता है, तो दाखिले के लिए मनाही नहीं की जा सकती. ऐसे में अभिभावकों की मांग है कि शिक्षा निदेशालय दाखिले की तारीख बढ़ाते हुए स्कूलों को एक अलर्ट भी जारी करें. साथ ही यह सुझाव भी दिया है कि शिक्षा निदेशालय के कोई भी अधिकारी अभिभावकों को फोन कर भी स्थिति की सही जानकारी लेते रहें.