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रटने की परंपरा खत्म कर छात्रों में नई चीजें सीखने की ललक पैदा करनी होगी: सिसोदिया - दिल्ली में नए बोर्ड के गठन का उद्देश्य

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के तीन उद्देश्य हैं.

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया
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Published : Mar 31, 2021, 3:39 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में दिल्ली बोर्ड फ़ॉर स्कूल एजुकेशन एक महत्वपूर्ण कदम है. पिछले 6 वर्षों में दिल्ली में हमारे काम ने भारत के सरकारी स्कूलों की धारणा को बदल दिया है. यह बात दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन की बैठक को संबोधित करते हुए कहा. इस दौरान उन्होंने कहा कि अब 360 डिग्री मूल्यांकन होना चाहिए, जहां हम समग्र रूप से एक छात्र के ज्ञान दृष्टिकोण और कौशल का आकलन कर पाएंगे.

दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के तीन मुख्य उद्देश्य

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के तीन उद्देश्य हैं. पहला बोर्ड सीखने के लिए रटने की पद्धति को खत्म करने का काम करेगा. उन्होंने कहा कि बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग, रचनात्मक व 21वीं सदी के कौशल को विकसित करेगा. दूसरा बोर्ड निरंतर फॉर्मेटिव एसेसमेंट पर जोर देगा. साथ ही कहा कि बोर्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य मूल्यांकन प्रणाली को पार्टनर ऑफ लर्निंग बनाना है न कि अथॉरिटी ऑफ टेस्टिंग और तीसरा छात्र में ग्रोथ माइंडसेट को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो कि नियमित मूल्यांकन का हिस्सा बनकर सुनिश्चित हो सकेगा.

छात्र का सर्वांगीण विकास जरूरी

शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि स्कूलों में शुरू किए गए हैप्पीनेस करिकुलम, एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम और देशभक्ति पाठ्यक्रम ने छात्रों में एक स्वस्थ मानसिकता का विकास किया है. उन्होंने कहा कि बच्चों की औपचारिक शिक्षा के अंत में हम केवल उनके विषय आधारित ज्ञान का मूल्यांकन करते हैं, लेकिन उस समय हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि क्या छात्र में स्कूल छोड़ने से पहले लगातार नया सीखने और किसी भी समस्या का हल करने की दृष्टिकोण की मानसिकता का विकास हुआ है या नहीं.

बता दें कि दिल्ली कैबिनेट ने 6 मार्च को दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन की स्थापना को मंजूरी दी, जिसके बाद बोर्ड के लिए सोसायटी 19 मार्च को पंजीकृत की गई.

नई दिल्ली: दिल्ली में बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में दिल्ली बोर्ड फ़ॉर स्कूल एजुकेशन एक महत्वपूर्ण कदम है. पिछले 6 वर्षों में दिल्ली में हमारे काम ने भारत के सरकारी स्कूलों की धारणा को बदल दिया है. यह बात दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन की बैठक को संबोधित करते हुए कहा. इस दौरान उन्होंने कहा कि अब 360 डिग्री मूल्यांकन होना चाहिए, जहां हम समग्र रूप से एक छात्र के ज्ञान दृष्टिकोण और कौशल का आकलन कर पाएंगे.

दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के तीन मुख्य उद्देश्य

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के तीन उद्देश्य हैं. पहला बोर्ड सीखने के लिए रटने की पद्धति को खत्म करने का काम करेगा. उन्होंने कहा कि बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग, रचनात्मक व 21वीं सदी के कौशल को विकसित करेगा. दूसरा बोर्ड निरंतर फॉर्मेटिव एसेसमेंट पर जोर देगा. साथ ही कहा कि बोर्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य मूल्यांकन प्रणाली को पार्टनर ऑफ लर्निंग बनाना है न कि अथॉरिटी ऑफ टेस्टिंग और तीसरा छात्र में ग्रोथ माइंडसेट को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जो कि नियमित मूल्यांकन का हिस्सा बनकर सुनिश्चित हो सकेगा.

छात्र का सर्वांगीण विकास जरूरी

शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि स्कूलों में शुरू किए गए हैप्पीनेस करिकुलम, एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम और देशभक्ति पाठ्यक्रम ने छात्रों में एक स्वस्थ मानसिकता का विकास किया है. उन्होंने कहा कि बच्चों की औपचारिक शिक्षा के अंत में हम केवल उनके विषय आधारित ज्ञान का मूल्यांकन करते हैं, लेकिन उस समय हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि क्या छात्र में स्कूल छोड़ने से पहले लगातार नया सीखने और किसी भी समस्या का हल करने की दृष्टिकोण की मानसिकता का विकास हुआ है या नहीं.

बता दें कि दिल्ली कैबिनेट ने 6 मार्च को दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन की स्थापना को मंजूरी दी, जिसके बाद बोर्ड के लिए सोसायटी 19 मार्च को पंजीकृत की गई.

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