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मानहानि मामला: प्रिया रमानी को कोर्ट ने किया बरी, एमजे अकबर का केस खारिज

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था.

Delhi court verdict in mj akbar defamation case against priya ramani in metoo case
एमजे अकबर-प्रिया रमानी केस: मानहानि मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला
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Published : Feb 17, 2021, 3:14 PM IST

Updated : Feb 17, 2021, 4:58 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने प्रिया रमानी को बरी कर दिया है. एमजे अकबर के केस को खारिज कर दिया. पिछले 1 फरवरी को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

प्रिया रमानी को कोर्ट ने किया बरी

आज कोर्ट ने क्या कहा

कोर्ट ने कहा कि दो दशक पहले की घटना को प्रकाशित किया गया. घटना के बाद कोई शिकायत नहीं की गई. प्रकाशित आलेख के कंटेंट पर कोई विवाद नहीं है. एमजे अकबर की अच्छी छवि है. कोर्ट ने प्रिया रमानी की ओर से वोग मैगजीन में छपे आलेख के बारे में दिए गए बचाव की दलील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि कार्यस्थल पर प्रताड़ना के मामले हुए हैं. घटना के समय विशाखा गाइडलाइंस नहीं आई थी. आरोपों में सामाजिक अपमान की भावना निहित है. समाज को यौन प्रताड़ना का पीड़ित पर होने वाले असर को ध्यान में रखना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अच्छी सामाजिक प्रतिष्ठा वाला व्यक्ति भी यौन प्रताड़ना कर सकता है. यौन प्रताड़ना किसी की गरिमा और स्वाभिमान को चोट पहुंचाते हैं. छवि का अधिकार गरिमा के अधिकार की रक्षा नहीं करता है. किसी महिला को दशकों के बाद भी अपनी शिकायत रखने का हक है. कोर्ट ने पौराणिक उल्लेख करते हुए कहा कि सीता की रक्षा में जटायु आए थे. भारत में महिलाओं को बराबरी मिलनी चाहिए. संसद ने महिलाओं की रक्षा के लिए कई कानून बनाए हैं.

'यौन प्रताड़ना के आरोप सही'

1 फरवरी को सुनवाई के दौरान प्रिया रमानी की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर के खिलाफ यौन प्रताड़ना के आरोप सही हैं. उसके बारे में किए गए ट्वीट मानहानि वाले नहीं थे और वे जनहित में किए गए थे. उन्होंने कहा था कि यौन प्रताड़ना के आरोपी को उच्च पदों पर नहीं होना चाहिए जो कि एक जनहित था.

रेबेका जॉन ने कहा था कि दूसरी महिलाओं ने अगर आरोप नहीं लगाए इसका मतलब ये नहीं है. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर को गजाला वहाब और पल्लवी गोगोई के आरोपों से परेशानी क्यों नहीं हुई. उनके आरोप ज्यादा गंभीर थे.

'पिक एंड चूज का कारण बताना होगा'

रेबेका जॉन ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले को उद्धृत करते हुए कहा था कि अगर आप पिक एंड चूज करते हैं तो आपको चूज नहीं करने का कारण बताना होगा. एमजे अकबर रमानी के पीछे इसलिए पड़े कि वह एक सॉफ्ट टारगेट थी. जॉन ने कहा कि प्रिया रमानी ने व्यक्तिगत कारणों से ट्विटर अकाउंट निष्क्रिय किया था. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी ने एक ईमानदार बयान दिया था.

Delhi court verdict in mj akbar defamation case against priya ramani in metoo case
अपने वकील के साथ प्रिया रमानी

'रिपोर्टर को कानून की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए'

पिछले 27 जनवरी को एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं. सुनवाई के दौरान लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने जो आरोप लगाए वह उसे साबित करने में नाकाम रही है. लूथरा ने कहा था कि एक रिपोर्टर को कानून की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए. प्रेस और मीडिया का कर्तव्य है कि वह लोगों को शिक्षित करें.

उन्होंने कहा था कि सोशल मीडिया पर बिना कुछ वेरिफाई किए कुछ कहना आसान होता है. लूथरा ने कहा था कि 2013 के कानून के मुताबिक, शिकायत तीन महीने में करनी होती है. लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया. एक व्यक्ति किसी की छवि को सार्वजनिक रूप से खराब कर सकता है. उन्होंने कहा था कि रमानी ने एमजे अकबर को शिकारी कहा और इसका कोई सबूत नहीं है.

2018 में दर्ज कराया था मामला

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था.

25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने प्रिया रमानी को बरी कर दिया है. एमजे अकबर के केस को खारिज कर दिया. पिछले 1 फरवरी को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

प्रिया रमानी को कोर्ट ने किया बरी

आज कोर्ट ने क्या कहा

कोर्ट ने कहा कि दो दशक पहले की घटना को प्रकाशित किया गया. घटना के बाद कोई शिकायत नहीं की गई. प्रकाशित आलेख के कंटेंट पर कोई विवाद नहीं है. एमजे अकबर की अच्छी छवि है. कोर्ट ने प्रिया रमानी की ओर से वोग मैगजीन में छपे आलेख के बारे में दिए गए बचाव की दलील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि कार्यस्थल पर प्रताड़ना के मामले हुए हैं. घटना के समय विशाखा गाइडलाइंस नहीं आई थी. आरोपों में सामाजिक अपमान की भावना निहित है. समाज को यौन प्रताड़ना का पीड़ित पर होने वाले असर को ध्यान में रखना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अच्छी सामाजिक प्रतिष्ठा वाला व्यक्ति भी यौन प्रताड़ना कर सकता है. यौन प्रताड़ना किसी की गरिमा और स्वाभिमान को चोट पहुंचाते हैं. छवि का अधिकार गरिमा के अधिकार की रक्षा नहीं करता है. किसी महिला को दशकों के बाद भी अपनी शिकायत रखने का हक है. कोर्ट ने पौराणिक उल्लेख करते हुए कहा कि सीता की रक्षा में जटायु आए थे. भारत में महिलाओं को बराबरी मिलनी चाहिए. संसद ने महिलाओं की रक्षा के लिए कई कानून बनाए हैं.

'यौन प्रताड़ना के आरोप सही'

1 फरवरी को सुनवाई के दौरान प्रिया रमानी की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर के खिलाफ यौन प्रताड़ना के आरोप सही हैं. उसके बारे में किए गए ट्वीट मानहानि वाले नहीं थे और वे जनहित में किए गए थे. उन्होंने कहा था कि यौन प्रताड़ना के आरोपी को उच्च पदों पर नहीं होना चाहिए जो कि एक जनहित था.

रेबेका जॉन ने कहा था कि दूसरी महिलाओं ने अगर आरोप नहीं लगाए इसका मतलब ये नहीं है. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर को गजाला वहाब और पल्लवी गोगोई के आरोपों से परेशानी क्यों नहीं हुई. उनके आरोप ज्यादा गंभीर थे.

'पिक एंड चूज का कारण बताना होगा'

रेबेका जॉन ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले को उद्धृत करते हुए कहा था कि अगर आप पिक एंड चूज करते हैं तो आपको चूज नहीं करने का कारण बताना होगा. एमजे अकबर रमानी के पीछे इसलिए पड़े कि वह एक सॉफ्ट टारगेट थी. जॉन ने कहा कि प्रिया रमानी ने व्यक्तिगत कारणों से ट्विटर अकाउंट निष्क्रिय किया था. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी ने एक ईमानदार बयान दिया था.

Delhi court verdict in mj akbar defamation case against priya ramani in metoo case
अपने वकील के साथ प्रिया रमानी

'रिपोर्टर को कानून की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए'

पिछले 27 जनवरी को एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं. सुनवाई के दौरान लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने जो आरोप लगाए वह उसे साबित करने में नाकाम रही है. लूथरा ने कहा था कि एक रिपोर्टर को कानून की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए. प्रेस और मीडिया का कर्तव्य है कि वह लोगों को शिक्षित करें.

उन्होंने कहा था कि सोशल मीडिया पर बिना कुछ वेरिफाई किए कुछ कहना आसान होता है. लूथरा ने कहा था कि 2013 के कानून के मुताबिक, शिकायत तीन महीने में करनी होती है. लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया. एक व्यक्ति किसी की छवि को सार्वजनिक रूप से खराब कर सकता है. उन्होंने कहा था कि रमानी ने एमजे अकबर को शिकारी कहा और इसका कोई सबूत नहीं है.

2018 में दर्ज कराया था मामला

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था.

25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.

Last Updated : Feb 17, 2021, 4:58 PM IST

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