नई दिल्ली: दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश में महिला उत्पीड़न, महिला अपराध से जुड़े मामलों को लेकर दिल्ली महिला आयोग आए दिन सुर्खियों में रहता है. पूरे देश को झकझोर देने वाला दिल्ली का कंझावला कांड हो या न्यूयॉर्क से मुंबई आ रही एयर इंडिया की फ्लाइट में बीते दिनों महिला सहयात्री पर एक यात्री द्वारा पेशाब करने का मामला, दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल आरोपियों को सजा दिलाने के लिए तुरंत एक्शन में आईं. संबंधित एजेंसियों को नोटिस भेज रिपोर्ट तलब करना, मामले की तह तक जाने, आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई आदि को लेकर जिस तरह दिल्ली महिला आयोग चौकन्ना रहता है, इस तरह अन्य राज्यों का आयोग या यहां तक की राष्ट्रीय महिला आयोग भी नहीं. ऐसे में आज हम बता रहे हैं दिल्ली महिला आयोग के बारे में वह सब कुछ, जिसे आपको जरूर जानना चाहिए.
दिल्ली महिला आयोग के अधिकार क्या हैं?: आयोग को सुरक्षा उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सिफारिशें करने का भी अधिकार है, जो राजधानी में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए आवश्यक हैं. आयोग महिलाओं के लिए संविधान में प्रदत्त प्रावधानों के उल्लंघन के मामलों को और शिकायतों को देखता है. साथ ही संबंधित मामलों का स्वतः संज्ञान लेता है. आयोग महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों से उत्पन्न होने वाली विशिष्ट समस्याओं और स्थितियों की जांच के लिए भी कहता है और बाधाओं की पहचान करता है. ताकि उन बाधाओं को हटाने के लिए रणनीतियों की सिफारिश की जा सके.
आयोग से महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेने और सलाह देने और राजधानी में महिलाओं के विकास की प्रगति का मूल्यांकन करने की अपेक्षा की जाती है. इसके अलावा आयोग खुद को जेलों, रिमांड होम और अन्य महिला संस्थानों और हिरासत के स्थानों का दौरा करने में शामिल करता है, जहां महिलाओं को रखा जाता है और उन स्थितियों का आकलन और मूल्यांकन करने के लिए सरकार को सिफारिशें भेजता है. आयोग पीड़ित और जरूरतमंद महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करता है और महिलाओं से संबंधित मामलों पर सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करता है.
क्या दिल्ली महिला आयोग को दिल्ली से बाहर के मामलों में नोटिस जारी करने का संवैधानिक अधिकार है?
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता सुनीता भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली महिला आयोग अधिनियम 1994 के प्रावधानों के अनुसार किसी भी मामले की जांच करते समय, मुकदमें की सुनवाई करने वाले एक सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां हैं.
- भारत के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना और शपथ पर उसकी जांच करना
- किसी दस्तावेज़ की खोज और उसकी आवश्यकता
- हलफनामों पर साक्ष्य प्राप्त करना
- किसी भी अदालत या कार्यालय से किसी सार्वजनिक रिकॉर्ड या उसकी प्रति की मांग करना
- गवाहों और दस्तावेजों की जांच के लिए कमीशन जारी करना
- कोई अन्य मामला जो निर्धारित किया जा सकता है.
दिल्ली महिला आयोग द्वारा जारी हेल्पलाइन से किस तरह महिलाओं को मिलती है सहायता?
घरेलू झगड़े से महिलाओं की पीड़ा को कम करने के लिए दिल्ली महिला आयोग की एक और पहल पर मार्च 2000 में हेल्पलाइन शुरू किया गया था. यह परामर्शदाताओं द्वारा टेलीफोन के माध्यम से परामर्श सहायता प्रदान करती है. कुछ मामलों को टेलीफोन पर ही सुलझा लिया जाता है, लेकिन अन्य जिन पर काम करने की आवश्यकता होती है, उन्हें आयोग की परामर्श इकाइयों में बुलाया जाता है. ऑनलाइन कानूनी सलाह भी प्रदान की जाती है और आपात स्थिति में स्थिति को संभालने के लिए एक फील्ड टीम को भेजा जाता है.
हेल्पलाइन एक दिन में लगभग 45-50 कॉलों में से लगभग 25 कॉल करने वालों को परामर्श प्रदान करती है. हेल्पलाइन के अंतर्गत निपटाए गए मुद्दों में वैवाहिक कलह, पारिवारिक समायोजन की समस्याएं, पति और ससुराल वालों द्वारा शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न, पड़ोसियों या अन्य लोगों द्वारा उत्पीड़न, बच्चों की निगरानी, रखरखाव, तलाक और परित्याग, बलात्कार, दहेज हत्या, शारीरिक शोषण, भावनात्मक दुख, कानूनी सलाह और महिलाओं की अन्य समस्याएं शामिल हैं. हेल्पलाइन नंबर 011- 23379181, 23370597, 23378044 है.
दिल्ली से बाहर के मामलों में जब शिकायतें मिलती है तो उसमें पावर से अधिक पैशन काम आता है. मैं और मेरी टीम पैशन के साथ पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए जुट जाते हैं. आयोग द्वारा भेजे गए नोटिस, कॉल के बाद बाहर के मामलों में भी सफलता मिल जाती है.
-स्वाति मालीवाल, अध्यक्ष, दिल्ली महिला आयोग
आयोग दिल्ली और दिल्ली से बाहर की घटनाओं पर नोटिस जारी करता है उस पर क्या कार्रवाई होती है?
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल कहती हैं, "अभी एयर इंडिया की फ्लाइट में एक यात्री द्वारा महिला सहयात्री पर पेशाब की घटना पर आयोग ने डीजीसीए, पुलिस और एयरलाइन्स कंपनी को नोटिस भेजा था, जिसके तुरंत बाद डीजीसीए हरकत में आया और उनके तरफ से नोटिस का जवाब मिला. इसी तरह छोटे बच्चों की पोनोग्राफी सोशल मीडिया पर अपलोड करने के मामले में ट्विटर के अधिकारी नोटिस के बाद हरकत में आए. संविधान और अन्य कानूनों के तहत महिलाओं के लिए प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांच आयोग कर सकता है. इसकी वार्षिक रिपोर्ट सरकार को भी भेजी जाती है. ऐसी रिपोर्ट में राजधानी में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए उन सुरक्षा उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सिफारिशें करना, महिलाओं को प्रभावित करने वाले संविधान और अन्य कानूनों के मौजूदा प्रावधानों की समय-समय पर समीक्षा करना और उनमें संशोधन की सिफारिश करना ताकि ऐसे कानूनों में किसी भी कमी, अपर्याप्तता या कमियों को दूर किया जा सके. दिल्ली से बाहर के मामले में संबंधित राज्य सरकार को भी आयोग अपनी रिपोर्ट भेजता है. महिलाओं को अपने घर से कार्यस्थलों तक में उनका सम्मान हो यही आयोग सुनिश्चित करना चाहता है "
बीते वर्षों में दिल्ली महिला आयोग का प्रदर्शन कैसा रहा?
दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष के तौर पर स्वाति मालीवाल का यह दूसरा कार्यकाल है. अपने कार्यकाल के 6 वर्षों में आयोग ने एक लाख से अधिक मामले का निपटारा किया है. आयोग से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार,
- पिछले 6 वर्षों में आयोग द्वारा निपटाए गए मामले : एक लाख से अधिक
- आयोग में आयोजित सुनवाई की संख्या : 1.5 लाख से अधिक
- पिछले 6 वर्षों में 181 हेल्पलाइन द्वारा प्राप्त कॉल (DCW में इसके स्थानांतरण के बाद से) : 15 लाख से अधिक.
- पिछले 6 वर्षों में बलात्कार संकट प्रकोष्ठ के वकीलों द्वारा अदालती सुनवाई में भाग लेने की संख्या: 1. 25 लाख से अधिक
- पिछले 6 वर्षों में क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर के परामर्शदाताओं द्वारा निपटाए गए यौन उत्पीड़न के मामलों की संख्या : 18 हज़ार से अधिक
- पिछले 6 वर्षों में आयोग द्वारा किए गए जमीनी दौरे : 1.4 लाख से अधिक
- पिछले 6 वर्षों में महिला पंचायत द्वारा आयोजित सामुदायिक बैठकों की संख्या : 40 हजार से अधिक
- महिला पंचायत कार्यक्रम द्वारा निपटाए गए मामलों की संख्या : 1.4 लाख से अधिक
दिल्ली महिला आयोग द्वारा बड़ी उपलब्धियों में से एक क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर (सीआईसी), क्या करता है?
नाबालिग पीड़ितों के बलात्कार के मामलों की जांच को पेशेवर रूप से संभालने और उनमें से जरूरतमंद लोगों के पुनर्वास के लिए, दिल्ली के पुलिस जिले में रेप क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर (सहारा) की स्थापना की गई है. दिल्ली महिला आयोग, दिल्ली पुलिस और संबद्ध स्वैच्छिक संगठन इन केंद्रों को चलाने और उन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत साझेदारी में काम करते हैं, जिनके लिए उन्हें स्थापित किया गया है. पुलिस विभाग के क्राइसिस इंटरवेंशन सेल को सहायता संरचना प्रदान करना, पेशेवर जांच, प्राथमिकी दर्ज करने और चिकित्सा जांच में पारदर्शिता सुनिश्चित करना, आघात को कम करने और पीड़ित, परिवार और तत्काल जुड़े समुदाय को परामर्श सहायता प्रदान करना, चिकित्सा सहायता जहां आवश्यक हो, विशेष रूप से पीड़ित के इलाज के लिए, जांच की अवधि के लिए पीड़ित और परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करना, पीड़ित के पुनर्वास में मदद करना शामिल ही.
यह सेंटर दिल्ली के 11 जिलों में है. दिल्ली महिला आयोग समय-समय पर सीआईसी के कामकाज का मार्गदर्शन करने के लिए आवश्यक होने पर मामलों की समीक्षा करता है. प्रत्येक मामले में प्राथमिकी की एक प्रति उसी जिले के एसएचओ द्वारा मुख्य समन्वयक और सीएडब्ल्यू सेल को भेजी जाती है. 39 महिला पंचायतें अब पूरी दिल्ली में काम कर रही हैं. वे वकीलों के साथ जुड़ते हैं और जिन मुद्दों को महिला पंचायत स्तर पर हल नहीं किया जा सकता है, उन्हें या तो वकीलों द्वारा हल किया जाता है, या प्रमुख एनजीओ, वकील और डीसीडब्ल्यू के परामर्श से कार्रवाई का वैकल्पिक तरीका निर्धारित किया जाता है.
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दिल्ली महिला आयोग की अन्य सेवाओं में क्या सब शामिल है?
पीड़ितों/परिवारों को चौबीसों घंटे अधिवक्ताओं और समन्वयकों की उपलब्धता, शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण अब आयोग की वेबसाइट http://www.delhi.gov.in/ पर जाकर भी संभव है. शिकायतकर्ता अपनी शिकायतों की स्थिति ऑनलाइन भी देख सकता है.
दिल्ली महिला आयोग का गठन कब हुआ?: दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) का गठन 1994 में दिल्ली महिला आयोग अधिनियम, 1994 द्वारा किया गया था और इसने वर्ष 1996 में कार्य करना शुरू किया था. आयोग के अधिकार क्षेत्र में संविधान और अन्य कानूनों के तहत महिलाओं को प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांच और न्याय दिलाने में सहायता करना शामिल है.
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