नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित 50 फीसदी से ज्यादा आईसीयू बेड खाली पड़े हैं, तो कोरोना मरीजों के लिए 80 फीसदी आईसीयू बेड आरक्षित रखे जाने से जुड़े फैसले पर तुरंत विचार की जरूरत है. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के लिए आईसीयू बेड आरक्षित रखने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की.
डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले पर लगाई थी रोक
पिछले 26 नवंबर को हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में कोरोना की स्थिति को देखते हुए डिवीजन बेंच हमारे आदेश पर रोक लगा चुकी है. हम स्थिति में सुधार के बाद ही कोई सुनवाई कर सकते हैं. पिछले 12 नवंबर को कोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली के 33 निजी अस्पतालों में 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखे जाने के आदेश पर लगी रोक को हटा दिया था.
सिंगल बेंच ने 22 सितंबर को दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए दिल्ली सरकार के आदेश को संविधान की धारा 21 खिलाफ बताया था. सिंगल बेंच ने कहा था कि बीमारी खुद कभी आरक्षण का आधार नहीं बन सकती है.
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लगाई थी रोक
सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को इस मामले पर फैसला करने के लिए कहा था. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगा दी थी.