नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते पिछले 10 महीनों से स्कूल-कॉलेज बंद होने के कारण छात्र ऑनलाइन क्लासेज के जरिए अपनी पढ़ाई कर पा रहे हैं. ऐसा कर छात्रों को नया अनुभव तो मिल रहा है, लेकिन कुछ नुकसान भी हो रहे हैं. पिछले 10 महीनों के दौरान देखने को मिला कि जो छात्र ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं, उन्हें कई समस्याएं भी आ रही है. वहीं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ रहा है, जिसको लेकर दिल्ली बाल संरक्षण अधिकार आयोग(DCPCR) ने चिंता जाहिर की है.
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पढ़ रहा असर
डीसीपीसीआर के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने ईटीवी भारत को बताया ऑनलाइन क्लासेज के चलते बच्चे बेहद ज्यादा समय स्क्रीन के सामने बिता रहे हैं. जिसके कारण ना सिर्फ उनके मानसिक बल्कि सामाजिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. बच्चे खेल नहीं पा रहे हैं, स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने के कारण उनके आंखों पर भी बुरा असर पड़ रहा है. बीमारी के चलते बच्चे घर से बेहद कम निकल रहे हैं, जिससे उनके व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिल रहा है.
बच्चों की दिनचर्या में आया बदलाव
अनुराग कुंडू ने कहा कि इस तरीके से ऑनलाइन क्लासेज लेते हुए 10 महीने हो चुके हैं, जिसके चलते बच्चों की दिनचर्या में बड़ा बदलाव हुआ है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि दिनचर्या को ठीक किया जाए. बच्चे खेल कूद में भी थोड़ा समय बिताएं, माता-पिता बच्चों के साथ बात करें, बच्चे मेडिटेशन करें, व्यायाम करें जिससे कि वह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहे.
बदल रही कोरोना की स्थिति
डीसीपीसीआर के अध्यक्ष ने कहा कि जैसे जैसे स्थिति बेहतर होगी वैसे ही स्कूल खुल पाएंगे, वही जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है तब तक सावधानी बरतना बेहद आवश्यक है. खासतौर पर बच्चों के लिए कोई भी लापरवाही ना बढ़ती जाए. उन्होंने कहा कि बीते कुछ महीनों में जिस तरीके से राजधानी में कोरोनावायरस की स्थिति बदली है और त्योहारों के बाद मामले कम हुए हैं, वैसे लग रहा था कि मानो अब शायद स्कूल खोले जा सकते हैं, लेकिन अभी भी स्थिति गंभीर ही बनी हुई है.