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श्रीराम भारतीय कला केंद्र: भगवान कृष्ण की लीलाओं को दर्शाने वाली नृत्य प्रस्तुति ने मोह लिया दर्शकों का मन

श्रीराम भारतीय कला केंद्र की पहचान पौराणिक कथाओं को प्रदर्शित करने के लिए बनी हुई है. फिर चाहे वो रामायण हो या अन्य कोई पौराणिक कथा. इन दिनों भी कला केंद्र एक ऐसी ही 3,000 साल पहले की कृष्ण की कथा को मंच पर जीवंत करता नजर आ रहा है. नृत्य नाटिका कृष्णा का यह 47वां संस्करण है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 3, 2023, 6:44 AM IST

Updated : Sep 3, 2023, 8:03 AM IST

भगवान कृष्ण की लीलाओं की प्रस्तुति

नई दिल्लीः कृष्ण जन्माष्टमी आने वाली है. दिल्ली के कमानी सभागार में कृष्ण जन्म से लेकर पूरे महाभारत तक की लीलाओं को दर्शाया गया. प्रस्तुति में कलाकारों की साज सज्जा भारतीय नृत्य शैली, भगवान कृष्ण के जीवन के हर तत्व को बड़े ही मनमोहक ढंग से दिखाया गया. ढाई घंटे तक चलने वाले इस कार्यक्रम में विभिन्न कलाकारों द्वारा प्रस्तुत एक आकर्षक नृत्य नाटिका के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

इन प्रस्तुति का लक्ष्य हमेशा भारतीय रीति-रिवाजों और मान्यताओं को इस तरह शामिल करना रहा है, जो उन्हें समकालीन संस्कृति के लिए प्रासंगिक बनाए. भारतीय पौराणिक कथाओं के अन्य अध्यायों की तरह भगवान कृष्ण अध्याय को विभिन्न प्रकार की कहानियों, मिथकों और जादू से बुना गया है, लेकिन इसे हमेशा मुख्य रूप से व्यावहारिक और दैनिक जीवन के कई पहलुओं में ज्ञान देने वाला माना गया है. मयूरभंज छऊ और कलारीपयट्टू जैसी पारंपरिक भारतीय नृत्य शैलियों का उपयोग करते हुए केंद्र भगवान कृष्ण के जीवन के हर तत्व को, उनके जन्म से लेकर महाकाव्य महाभारत में उनकी भागीदारी तक चित्रित करेगा.

पद्मश्री शोभा दीपक सिंह ने बताया कि नृत्य नाटिका 'कृष्णा' जीवन की सहज सच्चाइयों को व्यक्त करती है, उनकी आवश्यक सादगी के साथ प्रतिध्वनित होती है, जैसा कि भगवान कृष्ण ने स्पष्ट किया था. ये सत्य अनगिनत उपाख्यानों में गुंथे हुए हैं. उनके जीवन की कहानियों में जटिल रूप से गुंथे हुए हैं, जो पारंपरिक और समकालीन दोनों संदर्भों में प्रेरणा का एक सतत स्रोत हैं. अत्यंत सटीकता के साथ, मेरी दृष्टि और निष्पादन भगवान कृष्ण के अवतार के हर पहलू को सामने लाता है, प्रस्तुति को एक मनोरम जीवन शक्ति से भर देता है. असाधारण कोरियोग्राफी, प्रकाश व्यवस्था, वेशभूषा, ध्वनि, तकनीकी कौशल और गहन माहौल की परस्पर क्रिया एक ऐसी पृष्ठभूमि बनाती है, जो मेरी सभी प्रस्तुतियों में दिल को छू जाती है. उथल-पुथल के प्रदर्शन के बीच भी सभी बाधाओं के बावजूद वर्तमान की स्पष्ट अराजकता को पार करते हुए, परम शांति की आशा की किरण उभरती है.

अनुभव को और बेहतर बनाते हुए, यथार्थवाद की एक उच्च भावना प्रदान करने के लिए एक दीवारनुमा एलईडी स्क्रीन शामिल की गई है, जो हर गुजरते साल के साथ नवाचार और रचनात्मकता की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए श्रीराम भारतीय कला केंद्र की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है. दिव्य चरित्रों को जीवन में लाने और अद्वितीय अनुभवों को गढ़ने के लिए समर्पित, केंद्र गतिशील कोरियोग्राफी, अत्याधुनिक तकनीक, जटिल अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेट और भव्य पोशाक डिजाइनों का सहज मिश्रण है. कोरियोग्राफी, प्रकाश व्यवस्था, ध्वनि, सेट और समग्र उत्पादन मूल्यों में अपने असाधारण योगदान के साथ, 'कृष्णा' लगातार अपने समर्पित दर्शकों को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है. उन्हें इस नृत्य नाटिका के मूल मूल्यों के प्रति सच्चा रहते हुए एक मनोरम वातावरण में समाहित करते हुए, इसकी समकालीन प्रासंगिकता को बढ़ाता है.

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भगवान कृष्ण की लीलाओं की प्रस्तुति

नई दिल्लीः कृष्ण जन्माष्टमी आने वाली है. दिल्ली के कमानी सभागार में कृष्ण जन्म से लेकर पूरे महाभारत तक की लीलाओं को दर्शाया गया. प्रस्तुति में कलाकारों की साज सज्जा भारतीय नृत्य शैली, भगवान कृष्ण के जीवन के हर तत्व को बड़े ही मनमोहक ढंग से दिखाया गया. ढाई घंटे तक चलने वाले इस कार्यक्रम में विभिन्न कलाकारों द्वारा प्रस्तुत एक आकर्षक नृत्य नाटिका के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

इन प्रस्तुति का लक्ष्य हमेशा भारतीय रीति-रिवाजों और मान्यताओं को इस तरह शामिल करना रहा है, जो उन्हें समकालीन संस्कृति के लिए प्रासंगिक बनाए. भारतीय पौराणिक कथाओं के अन्य अध्यायों की तरह भगवान कृष्ण अध्याय को विभिन्न प्रकार की कहानियों, मिथकों और जादू से बुना गया है, लेकिन इसे हमेशा मुख्य रूप से व्यावहारिक और दैनिक जीवन के कई पहलुओं में ज्ञान देने वाला माना गया है. मयूरभंज छऊ और कलारीपयट्टू जैसी पारंपरिक भारतीय नृत्य शैलियों का उपयोग करते हुए केंद्र भगवान कृष्ण के जीवन के हर तत्व को, उनके जन्म से लेकर महाकाव्य महाभारत में उनकी भागीदारी तक चित्रित करेगा.

पद्मश्री शोभा दीपक सिंह ने बताया कि नृत्य नाटिका 'कृष्णा' जीवन की सहज सच्चाइयों को व्यक्त करती है, उनकी आवश्यक सादगी के साथ प्रतिध्वनित होती है, जैसा कि भगवान कृष्ण ने स्पष्ट किया था. ये सत्य अनगिनत उपाख्यानों में गुंथे हुए हैं. उनके जीवन की कहानियों में जटिल रूप से गुंथे हुए हैं, जो पारंपरिक और समकालीन दोनों संदर्भों में प्रेरणा का एक सतत स्रोत हैं. अत्यंत सटीकता के साथ, मेरी दृष्टि और निष्पादन भगवान कृष्ण के अवतार के हर पहलू को सामने लाता है, प्रस्तुति को एक मनोरम जीवन शक्ति से भर देता है. असाधारण कोरियोग्राफी, प्रकाश व्यवस्था, वेशभूषा, ध्वनि, तकनीकी कौशल और गहन माहौल की परस्पर क्रिया एक ऐसी पृष्ठभूमि बनाती है, जो मेरी सभी प्रस्तुतियों में दिल को छू जाती है. उथल-पुथल के प्रदर्शन के बीच भी सभी बाधाओं के बावजूद वर्तमान की स्पष्ट अराजकता को पार करते हुए, परम शांति की आशा की किरण उभरती है.

अनुभव को और बेहतर बनाते हुए, यथार्थवाद की एक उच्च भावना प्रदान करने के लिए एक दीवारनुमा एलईडी स्क्रीन शामिल की गई है, जो हर गुजरते साल के साथ नवाचार और रचनात्मकता की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए श्रीराम भारतीय कला केंद्र की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है. दिव्य चरित्रों को जीवन में लाने और अद्वितीय अनुभवों को गढ़ने के लिए समर्पित, केंद्र गतिशील कोरियोग्राफी, अत्याधुनिक तकनीक, जटिल अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेट और भव्य पोशाक डिजाइनों का सहज मिश्रण है. कोरियोग्राफी, प्रकाश व्यवस्था, ध्वनि, सेट और समग्र उत्पादन मूल्यों में अपने असाधारण योगदान के साथ, 'कृष्णा' लगातार अपने समर्पित दर्शकों को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है. उन्हें इस नृत्य नाटिका के मूल मूल्यों के प्रति सच्चा रहते हुए एक मनोरम वातावरण में समाहित करते हुए, इसकी समकालीन प्रासंगिकता को बढ़ाता है.

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Last Updated : Sep 3, 2023, 8:03 AM IST
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