नई दिल्ली: उपहार सिनेमा अग्निकांड (Uphaar cinema fire tragedy) पर आधारित वेब सीरीज "ट्रायल बाई फायर" (web series Trial by Fire) पर रोक लगाने के लिए दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बेंच ने अपना आदेश सुरक्षित रखा. अंसल बंधुओं ने वेब सीरीज पर पूर्ण रोक लगाए जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दाखिल की थी.
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बेंच सुशील अंसल द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोर्ट को वेब सीरीज पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी. अंसल की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने कोर्ट को बताया की उपहार अग्निकांड मामले में 59 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 100 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे. इस मामले में आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए के तहत दोषी ठहराया गया था.
इसके अलावा उन्हें ₹30 करोड़ भुगतान किए जाने का भी निर्देश दिया गया था, जो कि उन्होंने कर दिया है. उन्होंने कहा कि वेब सीरीज के जरिए उनका चरित्र हनन किया जा रहा है, जबकि इस मामले में वह सभी ट्रायल फेस कर चुके हैं साथ ही दोषी ठहराए जाने पर सजा भी पूरी कर चुके हैं. कोर्ट ने इस पर वेब सीरीज का ट्रेलर दिखाए जाने को कहा. वेब सीरीज का टीजर दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किया गया. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि ट्यूशन में ऐसा कुछ भी नहीं है जो मान हानि कारक हो. इस पर सिद्धार्थ अग्रवाल ने उन्हें एक स्पेसिफिक सीन को लेकर अपनी आपत्ति जताई. साथ ही वर्ष 2016 में उपहार अग्निकांड पर लिखी गई एक किताब पर भी याचिकाकर्ता ने कोर्ट से संज्ञान लेने को कहा. किताब उपहार अग्निकांड पीड़ित परिजनों के द्वारा लिखी गई है. इसी किताब के आधार पर यह वेब सीरीज का निर्माण किया गया है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.
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