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दिल्ली हिंसा के दौरान एक मस्जिद को जलाने के मामले में पुलिस जांच पर कोर्ट नाराज

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली हिंसा के दौरान एक मस्जिद के जलाए जाने की जल्दबाजी में जांच करने पर दिल्ली पुलिस की खिंचाई की. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि जांच में दिल्ली पुलिस की गंभीर लापरवाही साफ झलक रही है.

दिल्ली हिंसा
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Published : Apr 7, 2021, 9:56 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने आज दिल्ली हिंसा के दौरान एक मस्जिद के जलाए जाने की जल्दबाजी में जांच करने पर दिल्ली पुलिस की खिंचाई की. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि जांच में दिल्ली पुलिस की गंभीर लापरवाही साफ झलक रही है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में कोरोना साढ़े 5 हजार के पार, 1 दिसम्बर के बाद सबसे ज्यादा पॉजिटिविटी


फरवरी 2020 में मस्जिद में लगाई गई थी आग

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को मदीना मस्जिद को जलाये जाने को लेकर दर्ज एफआईआर से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट और मूल दैनिक डायरी सौंपने का निर्देश दिया था. बता दें कि 25 फरवरी 2020 को दंगाइयों ने शिव विहार के एक मस्जिद में तोड़फोड़ की थी और मस्जिद में रखे गए दो एलपीजी सिलेंडर को आग के हवाले कर दिया था, जिससे मस्जिद में विस्फोट हो गया. उसके बाद मस्जिद के गुंबद पर भगवा रंग का एक झंडा लहरा दिया गया. इस मामले में तीन लोगों को आरोपी बनाया गया है.

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जांच अधिकारी ने मांगी माफी
इस मामले की जांच शुरू में सब-इंस्पेक्टर सुमन को सौंपी गई थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सब-इंस्पेक्टर सुमन से पूछा कि उसने क्या जांच की. तब उसने कहा कि उसे उस समय कोरोना का संक्रमण हो गया था. तब जज ने सुमन से पूछा कि क्या आपने दैनिक डायरी में एंट्री की थी. आपने इसमें क्या किया है. किन-किन लोगों से पूछताछ की गई. तब सुमन ने कहा कि हमने कुछ नहीं किया. तब कोर्ट ने कहा कि क्या पुलिस कमिश्नर को इसकी सूचना दी जाए कि दंगे के मामले में एक नामजद आरोपी है उसके बावजूद पुलिस अधिकारी सोचते हैं कि जांच जरूरी नहीं है. उसके बाद सब-इंस्पेक्टर सुमन ने कोर्ट से माफी मांगी.



शिकायतकर्ता के खिलाफ दर्ज मामले को ही चार्जशीट में शामिल किया

इस मामले के शिकायतकर्ता हाशिम अली को पड़ोस के एक मकान में आगजनी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने हाशिम अली की शिकायत को मकान में आगजनी के मामले के साथ टैग कर दिया और कहा कि यह चार्जशीट का हिस्सा है. बाद में एक साल के बाद पुलिस ने कहा कि हाशिम की शिकायत पर अलग से एफआईआर दर्ज की गई है. हाशिम अली ने अपनी शिकायत पर अलग से एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने आज दिल्ली हिंसा के दौरान एक मस्जिद के जलाए जाने की जल्दबाजी में जांच करने पर दिल्ली पुलिस की खिंचाई की. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि जांच में दिल्ली पुलिस की गंभीर लापरवाही साफ झलक रही है.

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फरवरी 2020 में मस्जिद में लगाई गई थी आग

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को मदीना मस्जिद को जलाये जाने को लेकर दर्ज एफआईआर से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट और मूल दैनिक डायरी सौंपने का निर्देश दिया था. बता दें कि 25 फरवरी 2020 को दंगाइयों ने शिव विहार के एक मस्जिद में तोड़फोड़ की थी और मस्जिद में रखे गए दो एलपीजी सिलेंडर को आग के हवाले कर दिया था, जिससे मस्जिद में विस्फोट हो गया. उसके बाद मस्जिद के गुंबद पर भगवा रंग का एक झंडा लहरा दिया गया. इस मामले में तीन लोगों को आरोपी बनाया गया है.

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जांच अधिकारी ने मांगी माफी
इस मामले की जांच शुरू में सब-इंस्पेक्टर सुमन को सौंपी गई थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सब-इंस्पेक्टर सुमन से पूछा कि उसने क्या जांच की. तब उसने कहा कि उसे उस समय कोरोना का संक्रमण हो गया था. तब जज ने सुमन से पूछा कि क्या आपने दैनिक डायरी में एंट्री की थी. आपने इसमें क्या किया है. किन-किन लोगों से पूछताछ की गई. तब सुमन ने कहा कि हमने कुछ नहीं किया. तब कोर्ट ने कहा कि क्या पुलिस कमिश्नर को इसकी सूचना दी जाए कि दंगे के मामले में एक नामजद आरोपी है उसके बावजूद पुलिस अधिकारी सोचते हैं कि जांच जरूरी नहीं है. उसके बाद सब-इंस्पेक्टर सुमन ने कोर्ट से माफी मांगी.



शिकायतकर्ता के खिलाफ दर्ज मामले को ही चार्जशीट में शामिल किया

इस मामले के शिकायतकर्ता हाशिम अली को पड़ोस के एक मकान में आगजनी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने हाशिम अली की शिकायत को मकान में आगजनी के मामले के साथ टैग कर दिया और कहा कि यह चार्जशीट का हिस्सा है. बाद में एक साल के बाद पुलिस ने कहा कि हाशिम की शिकायत पर अलग से एफआईआर दर्ज की गई है. हाशिम अली ने अपनी शिकायत पर अलग से एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.

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