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गेस्ट टीचर्स का कॉन्ट्रैक्ट खत्म, कोर्ट तय करेगा अध्यापकों की किस्मत - exam

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में फिलहाल 17,000 से अधिक गेस्ट टीचर काम कर रहे हैं जिनका कॉन्ट्रैक्ट 28 फरवरी को खत्म हो गया है. कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद शिक्षकों में स्कूल जाने को लेकर संशय बरकरार है.

सोशियल मीडिया के ज़रिए AAP से सवाल
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Published : Mar 1, 2019, 10:13 AM IST

नई दिल्ली: शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत आने वाले सरकारी स्कूलों में भारी संख्या में अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं. वहीं हाई कोर्ट द्वारा डीएसएसबी को यह निर्देश दिया गया था कि 28 फरवरी तक वह परमानेंट शिक्षकों को सभी स्कूलों में नियुक्त कर ले. इसीलिए अतिथि शिक्षकों के कार्यकाल की अवधि 28 फरवरी 2019 तक निर्धारित की गई थी. वहीं यह अवधि पूरी होने के बाद भी अतिथि शिक्षकों के पुनः कार्यरत होने का कोई भी नोटिस जारी नहीं किया गया है इसको लेकर सभी शिक्षकों में यह संशय बना हुआ है कि मार्च में स्कूल जाना है या नहीं.

4 मार्च को होगी सुनवाई

शिक्षकों के अलावा एचओएस भी किसी भी निर्णय को लेने की स्थिति में नहीं है. इसी को संज्ञान में लेते हुए सभी सरकारी स्कूलों के एचओएस की गुरुवार को मीटिंग बुलाई. जिसमें यह कहा गया कि छात्रों के हित में परमानेंट शिक्षकों की नियुक्ति होने तक अतिथि शिक्षकों का स्कूल में रहना आवश्यक है. इस को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है जिसकी सुनवाई के लिए 4 मार्च की तारीख तय की गई है. सभी से कहा गया है कि कोर्ट का फैसला आने तक सभी अतिथि शिक्षकों को स्कूल में बुलाया जाए. लेकिन ऑर्डर आने तक अतिथि शिक्षकों की हाजरी बायोमेट्रिक से नहीं लगेगी बल्कि अलग से एक पेज पर उनकी हाजरी लगाई जाएगी.

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अतिथि शिक्षकों पर कई अहम ज़िम्मेदारियां
इन दिनों स्कूलों में वार्षिक परीक्षा चल रही है साथ ही सीबीएसई द्वारा भी 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं ली जा रही हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में अतिथि शिक्षकों के चले जाने से हड़कंप मच जाएगा. कई स्कूलों में अतिथि शिक्षकों पर कई अहम ज़िम्मेदारियां भी हैं साथ ही उनकी सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं के लिए भी ड्यूटी तय कर दी हैं. वहीं कुछ स्कूलों में अतिथि शिक्षकों से इस नोटिस पर हस्ताक्षर करवा लिए गए हैं कि कोर्ट के आदेश के आए बिना उनकी सैलरी की जिम्मेदारी एचओएस की नहीं होगी.
बता दें कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लगभग 17000 से अधिक अतिथि शिक्षक कार्यरत है. वहीं डीएसएसबी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि रिटायरमेंट जैसे कई कारणों की वजह से नए शिक्षकों की नियुक्ति करने के बाद भी बड़ी संख्या में पद खाली रहेंगे. साथ ही डीएसएसबी ने आशा जताई है कि मार्च खत्म होने तक शिक्षकों की नियुक्ति कर दी जाएगी इस मामले को लेकर अतिथि शिक्षकों में मिली-जुली प्रक्रिया देखने को मिल रही है.

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सोशियल मीडिया के ज़रिए AAP से सवाल
अतिथि शिक्षकों ने फेसबुक ,टि्वटर आदि के माध्यम से आम आदमी पार्टी से जवाब मांगा है कि जो वादे उन्होंने अतिथि शिक्षक से किए थे. वह पूरे क्यों नहीं किए अतिथि शिक्षकों का जो बिल पेश होना था वह क्यों नहीं किया गया. जब पता था कि कोर्ट की तारीख मिलने में समय लगता है तो पेटिशन जल्दी फाइल क्यों नहीं की गई थी. इस तरह के कई सवाल लोगों ने दिल्ली सरकार से पूछे हैं.

नई दिल्ली: शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत आने वाले सरकारी स्कूलों में भारी संख्या में अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं. वहीं हाई कोर्ट द्वारा डीएसएसबी को यह निर्देश दिया गया था कि 28 फरवरी तक वह परमानेंट शिक्षकों को सभी स्कूलों में नियुक्त कर ले. इसीलिए अतिथि शिक्षकों के कार्यकाल की अवधि 28 फरवरी 2019 तक निर्धारित की गई थी. वहीं यह अवधि पूरी होने के बाद भी अतिथि शिक्षकों के पुनः कार्यरत होने का कोई भी नोटिस जारी नहीं किया गया है इसको लेकर सभी शिक्षकों में यह संशय बना हुआ है कि मार्च में स्कूल जाना है या नहीं.

4 मार्च को होगी सुनवाई

शिक्षकों के अलावा एचओएस भी किसी भी निर्णय को लेने की स्थिति में नहीं है. इसी को संज्ञान में लेते हुए सभी सरकारी स्कूलों के एचओएस की गुरुवार को मीटिंग बुलाई. जिसमें यह कहा गया कि छात्रों के हित में परमानेंट शिक्षकों की नियुक्ति होने तक अतिथि शिक्षकों का स्कूल में रहना आवश्यक है. इस को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है जिसकी सुनवाई के लिए 4 मार्च की तारीख तय की गई है. सभी से कहा गया है कि कोर्ट का फैसला आने तक सभी अतिथि शिक्षकों को स्कूल में बुलाया जाए. लेकिन ऑर्डर आने तक अतिथि शिक्षकों की हाजरी बायोमेट्रिक से नहीं लगेगी बल्कि अलग से एक पेज पर उनकी हाजरी लगाई जाएगी.

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अतिथि शिक्षकों पर कई अहम ज़िम्मेदारियां
इन दिनों स्कूलों में वार्षिक परीक्षा चल रही है साथ ही सीबीएसई द्वारा भी 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं ली जा रही हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में अतिथि शिक्षकों के चले जाने से हड़कंप मच जाएगा. कई स्कूलों में अतिथि शिक्षकों पर कई अहम ज़िम्मेदारियां भी हैं साथ ही उनकी सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं के लिए भी ड्यूटी तय कर दी हैं. वहीं कुछ स्कूलों में अतिथि शिक्षकों से इस नोटिस पर हस्ताक्षर करवा लिए गए हैं कि कोर्ट के आदेश के आए बिना उनकी सैलरी की जिम्मेदारी एचओएस की नहीं होगी.
बता दें कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लगभग 17000 से अधिक अतिथि शिक्षक कार्यरत है. वहीं डीएसएसबी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि रिटायरमेंट जैसे कई कारणों की वजह से नए शिक्षकों की नियुक्ति करने के बाद भी बड़ी संख्या में पद खाली रहेंगे. साथ ही डीएसएसबी ने आशा जताई है कि मार्च खत्म होने तक शिक्षकों की नियुक्ति कर दी जाएगी इस मामले को लेकर अतिथि शिक्षकों में मिली-जुली प्रक्रिया देखने को मिल रही है.

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सोशियल मीडिया के ज़रिए AAP से सवाल
अतिथि शिक्षकों ने फेसबुक ,टि्वटर आदि के माध्यम से आम आदमी पार्टी से जवाब मांगा है कि जो वादे उन्होंने अतिथि शिक्षक से किए थे. वह पूरे क्यों नहीं किए अतिथि शिक्षकों का जो बिल पेश होना था वह क्यों नहीं किया गया. जब पता था कि कोर्ट की तारीख मिलने में समय लगता है तो पेटिशन जल्दी फाइल क्यों नहीं की गई थी. इस तरह के कई सवाल लोगों ने दिल्ली सरकार से पूछे हैं.

Intro:नई दिल्ली।


दिल्ली के सरकारी स्कूलों में फिलहाल 17,000 से अधिक गेस्ट टीचर काम कर रहे हैं जिनका कॉन्ट्रैक्ट 28 फरवरी को खत्म हो गया है. कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद शिक्षकों में 1 मार्च को स्कूल जाने को लेकर संशय बरकरार है. वहीं इसको लेकर शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि गेस्ट टीचरों के कॉन्ट्रैक्ट को बढ़ाने को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. जिसकी सुनवाई 4 मार्च को होगी. इस दौरान शिक्षा निदेशालय की ओर से हेड ऑफ स्कूल को कहा गया है कि वह गेस्ट टीचर को बच्चों के हित के लिए स्कूल में बुलाएंगे और उनकी हाजरी अलग से एक पेज पर लें. इसके अलावा कहा है कि कोर्ट का फैसला आने तक गेस्ट टीचरों की अटेंडेंस बायोमैट्रिक के माध्यम से नहीं लगाई जाएगी.


Body:शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत आने वाले सरकारी स्कूलों में भारी संख्या में अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं. वहीं हाई कोर्ट द्वारा डीएसएसबी को यह निर्देश दिया गया था कि 28 फरवरी तक वह परमानेंट शिक्षकों को सभी स्कूलों में नियुक्त कर ले. इसीलिए अतिथि शिक्षकों के कार्यकाल की अवधि 28 फरवरी 2019 तक निर्धारित की गई थी. वहीं यह अवधि पूरी होने के बाद भी अतिथि शिक्षकों के पुनः कार्यरत होने का कोई भी नोटिस जारी नहीं किया गया है इसको लेकर सभी शिक्षकों में यह संशय बना हुआ है कि मार्च में स्कूल जाना है या नहीं. शिक्षकों के अलावा एचओएस भी किसी भी निर्णय को लेने की स्थिति में नहीं है. इसी को संज्ञान में लेते हुए सभी सरकारी स्कूलों के एचओएस की गुरुवार को मीटिंग बुलाई गई. जिसमें यह कहा गया कि छात्रों के हित में परमानेंट शिक्षकों की नियुक्ति होने तक अतिथि शिक्षकों का स्कूल में रहना आवश्यक है. इस को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है जिसकी सुनवाई के लिए 4 मार्च की तारीख तय की गई है. सभी से कहा गया है कि कोर्ट का फैसला आने तक सभी अतिथि शिक्षकों को स्कूल में बुलाया जाए. लेकिन ऑर्डर आने तक अतिथि शिक्षकों की हाजरी बायोमेट्रिक से नहीं लगेगी बल्कि अलग से एक पेज पर उनकी हाजरी लगाई जाएगी. सूत्रों की मानें तो कई अतिथि शिक्षक सोमवार को शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के घर के सामने प्रदर्शन करने वाले हैं

इन दिनों स्कूलों में वार्षिक परीक्षा चल रही है साथ ही सीबीएसई द्वारा भी 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं ली जा रही हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में अतिथि शिक्षकों के चले जाने से हड़कंप मच जाएगा. कई स्कूलों में अतिथि शिक्षकों पर कई अहम ज़िम्मेदारियां भी हैं साथ ही उनकी सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं के लिए भी ड्यूटी तय कर दी हैं. वहीं कुछ स्कूलों में अतिथि शिक्षकों से इस नोटिस पर हस्ताक्षर करवा लिए गए हैं कि कोर्ट के आदेश के आए बिना उनकी सैलरी की जिम्मेदारी एचओएस की नहीं होगी.

बता दें कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लगभग 17000 से अधिक अतिथि शिक्षक कार्यरत है. वहीं डीएसएसबी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि रिटायरमेंट जैसे कई कारणों की वजह से नए शिक्षकों की नियुक्ति करने के बाद भी बड़ी संख्या में पद खाली रहेंगे. साथ ही डीएसएसबी ने आशा जताई है कि मार्च खत्म होने तक शिक्षकों की नियुक्ति कर दी जाएगी इस मामले को लेकर अतिथि शिक्षकों में मिली-जुली प्रक्रिया देखने को मिल रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभी गेस्ट टीचर सुबह 9 बजे शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास के बाहर प्रदर्शन करेंगे. इसके अलावा अतिथि शिक्षकों ने फेसबुक ,टि्वटर आदि के माध्यम से आम आदमी पार्टी से जवाब मांगा है कि जो वादे उन्होंने अतिथि शिक्षक से किए थे. वह पूरे क्यों नहीं किए अतिथि शिक्षकों का जो बिल पेश होना था वह क्यों नहीं किया गया जब पता था कि कोर्ट की तारीख मिलने में समय लगता है तो पिटिशन जल्दी फाइल क्यों नहीं की गई थी. इस तरह के कई सवाल लोगों ने दिल्ली सरकार से पूछे हैं. क्योंकि सभी अतिथि शिक्षकों में बहुत से ऐसे भी थे जिनका घर ही अतिथि शिक्षक की कमाई पर चलता था.



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