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Delhi G20 summit: 'कनॉट प्लेस' अब और भी ज्यादा होगा खूबसूरत, इमारतों को सफेद रंग में रंगा जा रहा

कनॉट प्लेस की बदहाली को देखते हुए NDMC के साथ इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मिलकर इसका जीर्णोद्धार करने का निर्णय लिया है. इसकी सफेद इमारत काली और पीली पड़ गई है. जगह-जगह कूड़ा और गंदगी फैला हुआ है.

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दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस
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Published : Jun 12, 2023, 3:58 PM IST

दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस

नई दिल्ली: जी-20 को लेकिर दिल्ली का दिल कहे जाने वाले 'कनॉट प्लेस' में इन दिनों बिल्डिंग पर पेंट-पुताई का काम जोरों पर है. इसकी तैयारियों में केंद्र और राज्य सरकार दिल्ली को सुंदर बनाने की दिशा में जुटी हैं. इसी कड़ी में कनॉट प्लेस को चमकाया जा रहा है. इमारतों को सफेद रंग में रंगा जा रहा है. लंबे समय से नई दिल्ली ट्रेड एसोसिएशन की मांग रही है कि सीपी की बिल्डिंग का फिर से रंग-रौगन किया जाए. इसकी सफेद इमारत काली और पीली पड़ गई है. जगह-जगह कूड़ा और गंदगी फैला हुआ है.

नई दिल्ली ट्रेड एसोसिएशन (NDTA) के एग्जीक्यूटिव मेंबर अमित गुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि कनॉट प्लेस इंडिया की सबसे बड़ी हाई स्ट्रीट मार्किट है. 2010 में आखिरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान यहां की बिल्डिंग को रंगा गया था. NDTA कई बार NDMC से मांग कर चुका है कि बिल्डिंग की देखरेख की जाए. अब G-20 की तैयारियों को देखते हुए कनॉट प्लेस में फिर से पेंट हो रहा है. उन्होंने कहा कि NDMC के साथ इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटक) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने मिलकर इसको पेंट कराने का निर्णय लिया है.

अमित ने बताया कि NDMC कनॉट प्लेस को बाहर से पेंट करवा रही है, लेकिन मार्किट में बनी दुकानों को अंदर से रेनोवेट करवाने की अनुमति नहीं है. कोई भी दुकानदार NDMC के E-BR विभाग की बिना अनुमति के कनॉट प्लेस की दुकानों को अंदर से रेनोवेट नहीं करा सकता है. इसमें काफी समय लगता है. NDMC से मांग है कि कनॉट प्लेस के सभी दुकानदारों को एक अनकंडीशनल अनुमति देनी चाहिए, जिससे दुकानदार भी अपनी दुकानों को अंदर से पेंट करवा सकें. ऐसा होने से कनॉट प्लेस अंदर और बाहर दोनों जगह से चमक जाएगा.

क्या है NDMC का E-BR विभाग

बता दें की NDMC का E-BR विभाग एनडीएमसी क्षेत्र में निजी संपत्तियों में अनधिकृत निर्माण को रोकने, सील करने और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार है. भवन योजना की स्वीकृति के बिना निर्माण या स्वीकृति/पूर्ण योजना से किसी विचलन संपत्ति का सुधार या पुनः निर्माण नहीं किया जा सकता है. अगर कोई भी दुकानदार बीना E-BR विभाग की अनुमति के यह काम करता है, तो उसको अनधिकृत निर्माण के खिलाफ NDMC अधिनियम 1994 की धारा 248, 247 एवं 250 के तहत कार्रवाई की जा सकती है.

कनॉट प्लेस दिल्ली का मशहूर शॉपिंग सेंटर

कनॉट प्लेस को दो भागों- इनर सर्कल और आउटर सर्कल में बांटा गया है. इनर सर्कल में कई बड़े ब्रांड्स के शोरूम, हाई-एंड रेस्तरां, कैफे और बार हैं. जबकि आउटर सर्कल में ऑफिस और बैंक है. यह एक लोकप्रिय शॉपिंग डेस्टिनेशन होने के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों का भी केंद्र है. कनॉट प्लेस के आसपास कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी मौजूद है, जिनमें जंतर-मंतर वेधशाला और हनुमान मंदिर शामिल हैं. यह देश के संसद भवन और इंडिया गेट से भी महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर है.

कब बना कनॉट प्लेस?

कनॉट प्लेस ब्रिटिश शासन के दौरान 20वीं शताब्दी की शुरुआत में तैयार हुआ था. इसका नाम ब्रिटिश शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न के नाम पर रखा गया था. कनॉट प्लेस का निर्माण कार्य 1929 में शुरू हुआ था और 1933 में पूरा हुआ. कनॉट प्लेस को ब्रिटिश वास्तुकार रॉबर्ट टोर रसेल ने डबल्यू. एच. निकोल्स के सहयोग से डिजाइन किया था, जो उस समय भारत में ब्रिटिश सरकार के लोक निर्माण विभाग के मुख्य इंजीनियर थे. कनॉट प्लेस का डिजाइन इंग्लैंड में मौजूद बिल्डिंग रॉयल क्रीसेंट और रोमन कोलोसियम से प्रेरित था. भारतीय स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों के दौरान, कनॉट प्लेस दिल्ली में आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था.

ये भी पढ़ें : Delhi G20 Summit: पुराने रूप में चमकता दिखाई देगा सफदरजंग मकबरा, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस

नई दिल्ली: जी-20 को लेकिर दिल्ली का दिल कहे जाने वाले 'कनॉट प्लेस' में इन दिनों बिल्डिंग पर पेंट-पुताई का काम जोरों पर है. इसकी तैयारियों में केंद्र और राज्य सरकार दिल्ली को सुंदर बनाने की दिशा में जुटी हैं. इसी कड़ी में कनॉट प्लेस को चमकाया जा रहा है. इमारतों को सफेद रंग में रंगा जा रहा है. लंबे समय से नई दिल्ली ट्रेड एसोसिएशन की मांग रही है कि सीपी की बिल्डिंग का फिर से रंग-रौगन किया जाए. इसकी सफेद इमारत काली और पीली पड़ गई है. जगह-जगह कूड़ा और गंदगी फैला हुआ है.

नई दिल्ली ट्रेड एसोसिएशन (NDTA) के एग्जीक्यूटिव मेंबर अमित गुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि कनॉट प्लेस इंडिया की सबसे बड़ी हाई स्ट्रीट मार्किट है. 2010 में आखिरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान यहां की बिल्डिंग को रंगा गया था. NDTA कई बार NDMC से मांग कर चुका है कि बिल्डिंग की देखरेख की जाए. अब G-20 की तैयारियों को देखते हुए कनॉट प्लेस में फिर से पेंट हो रहा है. उन्होंने कहा कि NDMC के साथ इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटक) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने मिलकर इसको पेंट कराने का निर्णय लिया है.

अमित ने बताया कि NDMC कनॉट प्लेस को बाहर से पेंट करवा रही है, लेकिन मार्किट में बनी दुकानों को अंदर से रेनोवेट करवाने की अनुमति नहीं है. कोई भी दुकानदार NDMC के E-BR विभाग की बिना अनुमति के कनॉट प्लेस की दुकानों को अंदर से रेनोवेट नहीं करा सकता है. इसमें काफी समय लगता है. NDMC से मांग है कि कनॉट प्लेस के सभी दुकानदारों को एक अनकंडीशनल अनुमति देनी चाहिए, जिससे दुकानदार भी अपनी दुकानों को अंदर से पेंट करवा सकें. ऐसा होने से कनॉट प्लेस अंदर और बाहर दोनों जगह से चमक जाएगा.

क्या है NDMC का E-BR विभाग

बता दें की NDMC का E-BR विभाग एनडीएमसी क्षेत्र में निजी संपत्तियों में अनधिकृत निर्माण को रोकने, सील करने और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार है. भवन योजना की स्वीकृति के बिना निर्माण या स्वीकृति/पूर्ण योजना से किसी विचलन संपत्ति का सुधार या पुनः निर्माण नहीं किया जा सकता है. अगर कोई भी दुकानदार बीना E-BR विभाग की अनुमति के यह काम करता है, तो उसको अनधिकृत निर्माण के खिलाफ NDMC अधिनियम 1994 की धारा 248, 247 एवं 250 के तहत कार्रवाई की जा सकती है.

कनॉट प्लेस दिल्ली का मशहूर शॉपिंग सेंटर

कनॉट प्लेस को दो भागों- इनर सर्कल और आउटर सर्कल में बांटा गया है. इनर सर्कल में कई बड़े ब्रांड्स के शोरूम, हाई-एंड रेस्तरां, कैफे और बार हैं. जबकि आउटर सर्कल में ऑफिस और बैंक है. यह एक लोकप्रिय शॉपिंग डेस्टिनेशन होने के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों का भी केंद्र है. कनॉट प्लेस के आसपास कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी मौजूद है, जिनमें जंतर-मंतर वेधशाला और हनुमान मंदिर शामिल हैं. यह देश के संसद भवन और इंडिया गेट से भी महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर है.

कब बना कनॉट प्लेस?

कनॉट प्लेस ब्रिटिश शासन के दौरान 20वीं शताब्दी की शुरुआत में तैयार हुआ था. इसका नाम ब्रिटिश शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न के नाम पर रखा गया था. कनॉट प्लेस का निर्माण कार्य 1929 में शुरू हुआ था और 1933 में पूरा हुआ. कनॉट प्लेस को ब्रिटिश वास्तुकार रॉबर्ट टोर रसेल ने डबल्यू. एच. निकोल्स के सहयोग से डिजाइन किया था, जो उस समय भारत में ब्रिटिश सरकार के लोक निर्माण विभाग के मुख्य इंजीनियर थे. कनॉट प्लेस का डिजाइन इंग्लैंड में मौजूद बिल्डिंग रॉयल क्रीसेंट और रोमन कोलोसियम से प्रेरित था. भारतीय स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों के दौरान, कनॉट प्लेस दिल्ली में आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था.

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