नई दिल्ली: साल 2020 में लोगों को डराकर देश को लॉकडाउन की तरफ ले जाने वाला कोरोना वायरस साल 2021 में भी कहर मचा रहा है. अप्रैल महीने में कोरोना से जान गंवाने वालों का आंकड़ा पिछली बार के कई महीनों की मौतों को मिलाकर भी ज़्यादा रहा है. श्मशान घाटों पर बढ़ते लाशों के इसी बोझ ने लोगों को CNG युक्त संस्कार प्रणाली की ओर बढ़ने का भी मौका दिया है. आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली के श्मशानघाटों में करीब 33% शवों का संस्कार CNG प्रणाली से हो रहा है.
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CNG से अंतिम संस्कारों में बढ़ोतरी
नगर निगम इन दिनों दिल्ली के अधिक से अधिक श्मशान घाटों में CNG और इलेक्ट्रिक प्रणाली से होने वाले अंतिम संस्कारों की व्यवस्था कर रही है. यह देखने में आया है कि लोग अंतिम संस्कार के लिए अक्सर लकड़ियों को प्राथमिकता देते हैं और CNG या इलेक्ट्रिक माध्यम को इसके लिए नहीं चुनते. लेकिन लगातार बढ़ते बोझ ने ये रुझान भी बदल दिया. नगर निगम इस संबंध में कोई डाटा कलेक्ट करने की बात को नकारते हैं. हालांकि स्थानीय स्तर पर श्मशानघाटों के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं.
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निगमबोध पर 543 शवों का अंतिम संस्कार
कश्मीरी गेट स्थित निगम बोध घाट में अप्रैल महीने में कुल 543 कोरोना शवों का अंतिम संस्कार CNG प्रणाली से किया गया, जबकि लकड़ी से अंतिम संस्कार वालों की संख्या 1106 है. साउथ MCD के पंजाबी बाग श्मशान घाट में अप्रैल के शुरुआती 10 दिनों में कुल 110 कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार हुआ. श्मशान से जुड़े लोगों ने बताया कि इसमें से करीब 40 शवों का संस्कार CNG से हुआ. ग्रीन पार्क, सराय काले खां और अन्य जगहों पर भी ये आंकड़ा ऐसा ही है.
कहां-कहां है व्यवस्था
निगमों की ओर से कोविड के लिए बनाए गए श्मशान घाटों पर कई जगहों पर CNG और इलेक्ट्रिक प्रणाली से संस्कार की व्यवस्था है. इसमें पंजाबी बाग ग्रीन पार्क लोधी रोड और निगमबोध घाट मुख्य हैं. बताया जाता है कि इलेक्ट्रिक प्रणाली का इस्तेमाल न के बराबर है और ये लावारिश लाशों के लिए किया जाता है. वहीं कोरोना काल में CNG की ओर लोगो का रुझान बढ़ गया है.