नई दिल्ली: बजट 2018-2019 से दिल्ली की मांगें इस बार फिर पूरी नहीं हो पाई. दिल्ली की AAP सरकार ने बजट से निराशा जताई है. सीएम केजरीवाल का कहना है कि बजट से पहले वित्त मंत्रियों की बैठक में मनीष सिसोदिया ने अपनी मांगें रखी थी, लेकिन इन मांगों में एक को भी पूरा नहीं किया गया.
'अधिकारी कर रहे हैं बजट का अध्ययन'
बजट में जिस तरह दिल्ली को केंद्रीय करों में से पहले की तरह 325 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई, उस पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि अधिकारी बजट का अध्ययन कर रहे हैं.
वहीं वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि बजट से ठीक पहले केंद्रीय वित्त मंत्री ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से मुलाकात की थी, उस मुलाकात में जो मांगें हमने रखी थी वो नहीं मानी गई.
केंद्रीय करों में से साल 2001 से दिल्ली को 325 करोड़ की हिस्सेदारी मिल रही है, वही आज तक जारी है. दिल्ली सरकार ने पिछले दिनों केंद्र सरकार से इसे बढ़ाकर 6000 करोड़ करने की गुजारिश की थी. दिल्ली सरकार का बजट 2001 में कुल 8739 करोड़ था, जबकि आज दिल्ली सरकार का अपना बजट 60 हजार करोड़ हो गया है.
दिल्ली सरकार के जरिये केंद्र सरकार स्थानीय निकायों को बजट देती है, उसमें भी बढ़ोतरी नहीं की गई है. इस बार भी स्थानीय निकायों के लिए 1150 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है.
वहीं, नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि केजरीवाल घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं कि केंद्र ने स्थानीय निकायों को बजट आवंटित नहीं किया है. वो यह भूल रहे हैं कि उन्होंने चौथे और पांचवें वित्त आयोग में स्थानीय निकायों को आवंटित राशि साल बाद भी जारी नहीं की है.