नई दिल्ली: महाराष्ट्र के नांदेड़ में डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में दो दिन के भीतर 31 मौतें हुई है, जिसमें 16 नवजात भी शामिल हैं. हादसे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया.
अरविंद केजरीवाल ने कही ये बात: सीएम केजरीवाल ने पोस्ट किया, 'महाराष्ट्र के नांदेड़ के एक सरकारी अस्पताल में 12 नवजात सहित 24 लोगों की मौत की ये खबर बेहद पीड़ादायक है. ईश्वर सभी शोकाकुल परिवारों को इस मुश्किल वक्त में हिम्मत दें. बताया जा रहा है कि दवाओं की कमी की वजह से ये मौतें हुईं. कोई सरकार इतना लापरवाह कैसे हो सकती है? ये लोग विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार बनाने और गिराने में लगे रहते हैं लेकिन जनता की जान की इन्हें कोई परवाह नहीं है.'
भड़कीं स्वाति मालीवाल: वहीं दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने हादसे को प्रशासन की विफलता कहा है. उन्होंने एक्स पर लिखा, 'महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक अस्पताल में 24 घंटे में 31 मौतें होना बेहद शर्मनाक है. ये पूरी तरह से प्रशासन की विफलता है. आज 2023 में भी देश के हिस्सों में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं. आम इंसान की जान की कीमत क्या है? ढेले बराबर.' बताया जा रहा है कि अस्पताल के डीन ने इन मौतों के लिए दवाओं और कर्मचारियों की कमी को जिम्मेदार ठहराया है, हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि अस्पताल में दवाओं के लिए पर्याप्त बजट था. इस हादसे पर अन्य लोग भी सोशल मीडिया पर संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं.
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महाराष्ट्र के नांदेड में एक अस्पताल में 24 घंटे में 31 मौतें होना बेहद शर्मनाक है। ये पूरी तरह से प्रशासन की विफलता है। आज 2023 में भी देश के हिस्सों में स्वास्थ्य सुविधाएँ नहीं हैं। आम इंसान की जान की क़ीमत क्या है ?? ढेले बराबर !!!
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— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) October 3, 2023
70-80 किलोमीटर के क्षेत्र में अकेला अस्पताल: गौरतलब है कि डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. अभी भी कई मरीज ऐसे हैं, जिनकी हालत नाजुक है. अस्पताल के डीन डॉ. वॉकाडे के मुताबिक, 70-80 किलोमीटर के क्षेत्र में यह अकेला अस्पताल है, जो तृतीयक स्तर का स्वास्थ्य केंद्र है. यहां बड़ी संख्या में मरीज आते हैं. कई बार इनकी संख्या इतनी बढ़ जाती है कि इनका प्रबंधन मुश्किल हो जाता है. मरीजों के लिए इस बार भी हमें दवाएं खरीदनी थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. अस्पताल प्रबंधन की ओर से स्थानीय स्तर पर दवाएं खरीदी गईं थीं और मरीजों को मुहैया भी कराई गई, लेकिन ये नाकाफी रही.
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