नई दिल्ली: राजधानी में एक बार फिर दिल्ली सरकार और प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल मंगलवार को विजिलेंस मंत्री आतिशी द्वारा सीएम अरविंद केजरीवाल को 670 पन्ने की प्राथमिक रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद मुख्य सचिव नरेश कुमार ने बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि क्या किसी ने मंत्री की 670 पेज की रिपोर्ट पढ़ी है? ऐसे आरोप किस आधार पर लगाए गए हैं? साथ ही यह भी कहा गया है कि-
- रिपोर्ट की कॉपी साझा नहीं की गई है. ऐसे में कोई किस आधार पर इसका जवाब देगा या रिपोर्ट करेगा?
- अगर जमीन मालिकों ने 2015 में केवल मार्केट रेट के 7% पर ही जमीन खरीद ली थी तो मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री और विजिलेंस मंत्री और अन्य संबंधित अधिकारियों ने अब तक क्या किया?
- हेमंत कुमार के खिलाफ भारत सरकार ने पहले ही सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं, अगर किसी के पास यह रिपोर्ट है तो वह सीबीआई को भेजें ताकि सच सामने आ सके.
- क्या हेमंत कुमार के राजनीतिक आका और दूसरे निहित स्वार्थ वाले लोग उसे बचाने में लगे हैं?
- क्या उनको डर है कि हेमंत कुमार सीबीआई के सामने सच उगल देगा?
- मुझे बदनाम करने के लिए निहित स्वार्थों के चलते की जा रही साजिश की जांच भी सीबीआई/ईडी को होने दीजिए.
बता दें कि सोमवार इस पूरे मामले को लेकर मुख्य सचिव नरेश कुमार के बचाव में सीनियर आईएएस ऑफिसर अश्विनी कुमार सामने आए और प्रेस कांफ्रेंस करते हुए उन्होंने आरोपों से घिरे सचिव नरेश कुमार का बचाव किया था. उन्होंने ऐसे आरोप को बेबुनियाद और झूठा बताया और कहा है कि मुख्य सचिव का चरित्र हनन किया जा रहा है, जो कि राजनीति से प्रेरित है. उन्होंने कहा कि नरेश कुमार के ऊपर लगाए गए गंदी राजनीति का हिस्सा है.
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