नई दिल्ली: दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा (Delhi BJP working president Virendra Sachdeva) ने एलजी (Delhi LG VK Saxena) द्वारा दिल्ली सरकार को दिए गए 97 करोड़ रुपए सरकारी खजाने में जमा कराने के आदेश का प्रेस कॉफ्रेंस कर स्वागत किया. कहा कि उपराज्यपाल का आदेश केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) सरकार के भ्रष्टाचार का श्वेत पत्र है. दिल्ली के टैक्सपेयर के पैसे से केजरीवाल सरकार ने सिर्फ अपना चेहरा चमकाया. दिल्ली सरकार के विज्ञापन घोटाले की सीबीआई जांच हो.
दिल्ली में उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच उत्पन्न मतभेद के चलते नए विवाद ने जन्म ले लिया है, जिसको लेकर जमकर जुबानी जंग भी देखी जा रही है. इस सबके बीच उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार से विज्ञापन में खर्च किए गए 97 करोड़ रुपए की वसूली का आदेश जारी किया है, जिसका आम आदमी पार्टी विरोध कर रही है. साथ ही यह भी कह रही है कि एलजी के पास इस तरह के आदेश जारी करने का कोई पावर नहीं है.
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वहीं, दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली में विज्ञापन की सरकार चला रहे हैं, जिसका काम कागज़ों और विज्ञापनों में ज्यादा लेकिन जमीन पर कम दिखाई देता है. दिल्ली के टैक्सपेयर्स के पैसों का इस्तेमाल दिल्ली के विकास में होना चाहिए. लेकिन उसका दुरुपयोग मुख्यमंत्री केजरीवाल अपना चेहरा चमकाने के लिए कर रहे हैं. आप नेता आज उपराज्यपाल के आदेश को एक और प्रेमपत्र बता रहे हैं, पर सच यह है कि यह प्रेम पत्र नहीं केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार का श्वेत पत्र है.
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प्रेस कॉफ्रेंस में मनोज तिवारी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी खज़ाने से अपना चेहरा चमकाने का काम केजरीवाल ने किया, लेकिन हद तो तब हो गई जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई सीसीआरजीए कमेटी (Committee on Content Regulation in Government Advertising) के निर्देश के बावजूद पानी की तरह बहाए पैसे को जमा नहीं करवाया. अपने ऊपर लगे आरोपों को लव लेटर बताकर टालना केजरीवाल की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैया को बताता है, क्योंकि वह इससे पहले भी मुद्दों को डायवर्ट करने का काम कर चुके हैं.
सीसीआरजीए कमेटी (Committee on Content Regulation in Government Advertising) ने 16 सितंबर 2016 को आदेश दिया था कि आम आदमी पार्टी 42 करोड़ 26 लाख 81 हजार 265 रुपये का भुगतान दिल्ली सरकार को करे और बाकी शेष 54 करोड़ 87 लाख 87 हजार 872 रुपये आम आदमी पार्टी से सीधे एजेंसियों को दिलाए जाएं.
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