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AAP+CONG के चक्रव्यूह में फंसी BJP? नहीं तय कर पा रही है उम्मीदवारों के नाम

दिल्ली की सातों संसदीय सीट पर साल 2014 में कब्जा जमाने वाली बीजेपी इस बार टिकट देने से पहले कई बिन्दुओं पर फोकस कर रही है. इनमें सबसे ज्यादा अहम है कई महीनों से चल रही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की कवायद.

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Published : Apr 10, 2019, 12:56 PM IST

AAP+CONG के चक्रव्यूह में फंसी BJP? नहीं तय कर पा रही है उम्मीदवारों के नाम

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए टिकट का इंतजार कर रहे बीजेपी नेताओं में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ दिनों पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी की ओर से जो नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेजे गए थे. उन पर आपत्ति जताई गई थी. स्क्रीनिंग कमिटी से दोबारा सभी सातों सीट के लिए 3-3 प्रत्याशियों के नाम मांगे गए हैं. मगर चुनाव मैदान में उतरने के लिए बीजेपी इस बार किन नेताओं पर दांव लगाएगी ये देखने वाली बात होगी.

दिल्ली की सातों संसदीय सीट पर साल 2014 में कब्जा जमाने वाली बीजेपी इस बार टिकट देने से पहले कई बिन्दुओं पर फोकस कर रही है. इनमें सबसे ज्यादा अहम है कई महीनों से चल रही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की कवायद.

पिछले दिनों आप और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की कई बैठकें हो चुकी है. लेकिन सीट को लेकर मामला अभी तक फंसा हुआ है. इसीलिए आम आदमी पार्टी चुनाव के सातों प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्र में जनसभा और डोर टू डोर कैंपेन का चुनावी माहौल अपने पक्ष में बना रहे हैं.

वहीं कांग्रेस ने अभी टिकट को लेकर पत्ते तो नहीं खोले. मगर बताया जाता है कि प्रदेश कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बुधवार 10 अप्रैल को बैठक होनी है. जिसमें दिल्ली की 7 लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा. अगर कांग्रेस-आप पार्टी में गठबंधन की घोषणा दो या तीन दिन बाद हुई, तो कांग्रेस सात में से 4 नाम सूची से हटा लेगी. कांग्रेस के प्रत्याशियों के ऐलान के बाद दिल्ली के लोकसभा चुनाव में सिर्फ बीजेपी के प्रत्याशियों के ही नामों पर लोगों की नजरें टिकी हुई.

बीजेपी इस बार किसी पुराने नेता पर दांव खेलती है या फिर नए चेहरे को मैदान में उतारती है ये देखना अभी बाकी है. लेकिन बीजेपी के पुराने रिकॉर्ड को देखे तो आमतौर पर नामांकन प्रक्रिया शुरु होने के बाद ही पार्टी टिकट जारी करती रही है और अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार भी शायद कुछ ऐसा ही हो. दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए 12 मई को मतदान होगा और इसके लिए 16 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच नामांकन प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए टिकट का इंतजार कर रहे बीजेपी नेताओं में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ दिनों पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी की ओर से जो नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेजे गए थे. उन पर आपत्ति जताई गई थी. स्क्रीनिंग कमिटी से दोबारा सभी सातों सीट के लिए 3-3 प्रत्याशियों के नाम मांगे गए हैं. मगर चुनाव मैदान में उतरने के लिए बीजेपी इस बार किन नेताओं पर दांव लगाएगी ये देखने वाली बात होगी.

दिल्ली की सातों संसदीय सीट पर साल 2014 में कब्जा जमाने वाली बीजेपी इस बार टिकट देने से पहले कई बिन्दुओं पर फोकस कर रही है. इनमें सबसे ज्यादा अहम है कई महीनों से चल रही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की कवायद.

पिछले दिनों आप और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की कई बैठकें हो चुकी है. लेकिन सीट को लेकर मामला अभी तक फंसा हुआ है. इसीलिए आम आदमी पार्टी चुनाव के सातों प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्र में जनसभा और डोर टू डोर कैंपेन का चुनावी माहौल अपने पक्ष में बना रहे हैं.

वहीं कांग्रेस ने अभी टिकट को लेकर पत्ते तो नहीं खोले. मगर बताया जाता है कि प्रदेश कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बुधवार 10 अप्रैल को बैठक होनी है. जिसमें दिल्ली की 7 लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा. अगर कांग्रेस-आप पार्टी में गठबंधन की घोषणा दो या तीन दिन बाद हुई, तो कांग्रेस सात में से 4 नाम सूची से हटा लेगी. कांग्रेस के प्रत्याशियों के ऐलान के बाद दिल्ली के लोकसभा चुनाव में सिर्फ बीजेपी के प्रत्याशियों के ही नामों पर लोगों की नजरें टिकी हुई.

बीजेपी इस बार किसी पुराने नेता पर दांव खेलती है या फिर नए चेहरे को मैदान में उतारती है ये देखना अभी बाकी है. लेकिन बीजेपी के पुराने रिकॉर्ड को देखे तो आमतौर पर नामांकन प्रक्रिया शुरु होने के बाद ही पार्टी टिकट जारी करती रही है और अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार भी शायद कुछ ऐसा ही हो. दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए 12 मई को मतदान होगा और इसके लिए 16 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच नामांकन प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

Intro:नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के लिए टिकट का इंतजार कर रहे भाजपा नेताओं में अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ दिनों पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व प्रभारी की ओर से जो नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया था, उस पर आपत्ति जताई गई थी. स्क्रीनिंग कमिटी से दोबारा सभी सातों सीट के लिए 3-3 प्रत्याशियों के नाम मांगे गए हैं. मगर चुनाव मैदान में उतरने के लिए भाजपा इस बार किन नेताओं पर दांव लगाएगी यह लाख टके का सवाल बना हुआ है.


Body:दिल्ली की सातों संसदीय सीट पर वर्ष 2014 में कब्जा जमाने वाली भाजपा इस बार टिकट जारी करने में कई पहलुओं को ध्यान में रख रही है. जिसमें सबसे अहम है महीनों से चल रही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की कवायद.

पिछले दिनों आप और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की कई बैठकें हो चुकी है. लेकिन सीट को होने पर मामला अभी तक फंसा हुआ है. इसीलिए आम आदमी पार्टी द्वारा चुनाव मैदान में उतारे गए सातों प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्र में जनसभा व डोर टू डोर कैंपेन का चुनावी माहौल अपने पक्ष में बना रहे हैं.

वहीं कांग्रेस ने अभी टिकट को लेकर पत्ते तो नहीं खोले. मगर बताया जाता है कि प्रदेश कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बुधवार को यानी आज बैठक होगी. जिसमें दिल्ली की 7 लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा. अगर कांग्रेस-आप पार्टी में गठबंधन की घोषणा दो या तीन दिन बाद हुई, तो कांग्रेस सात में से 4 नाम सूची से हटा लेगी. कांग्रेस द्वारा प्रत्याशियों के नाम का ऐलान करने के बाद दिल्ली के लोकसभा चुनाव में सिर्फ भाजपा के प्रत्याशियों का ही प्रत्याशियों के नाम पर ही लोगों की नजरें टिकी हुई.

आखिर अबकी बार भाजपा किस पुराने पर लगाती है या नए चेहरों को मैदान में उतारती है. भाजपा के पुराने रिकॉर्ड को देखें तो आमतौर पर नामांकन प्रक्रिया शुरु होनेके बाद ही पार्टी टिकट जारी करती रही है और अनुमान किया जा रहा है कि इस बार भी शायद कुछ ऐसा ही हो. दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए 12 मई को मतदान होगा और इसके लिए 16 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच नामांकन प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

समाप्त, आशुतोष झा


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