नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने विधानसभा के 16 अगस्त से बुलाए गए दो दिन के अधिवेशन को कम से कम 10 दिन का अधिवेशन करने की मांग की है. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि दो दिन का अधिवेशन राजधानी की समस्याओं पर चर्चा के लिए अपर्याप्त है. भाजपा विधायकों ने ही दिल्ली की 12 ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा का नोटिस दिया है. इसलिए अधिवेशन की अवधि अवश्य बढ़ाई जाए.
विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को लिखे पत्र में बिधूड़ी ने उन 12 मुद्दों की चर्चा की है, जिनपर चर्चा कराने का नोटिस भाजपा विधायकों ने विधानसभा को भेजे हैं. इनमें महिलाओं की सुरक्षा और अप्रिय घटनाओं को रोकने के नाम पर लगाए गए पेनिक बटन में करोड़ों का घपला, आधी रात को सतर्कता विभाग से भ्रष्टाचार के मामलों की फाइलों की हेराफेरी, मुख्यमंत्री के आवास को शीशमहल में बदलने पर करोड़ों का खर्च और बाढ़ से निपटने में दिल्ली सरकार की नाकामी प्रमुख है.
इसके अलावा सत्र में प्रदूषण का लगातार बढ़ता लेवल, मोहल्ला क्लीनिक में 450 टेस्ट करने की घोषणा पर अमल नहीं, डीटीसी की बसों का लगातार होता ब्रेकडाउन, केंद्र द्वारा दिल्ली सरकार को 2419 करोड़ रुपए देने के बावजूद मैली यमुना, न नए स्कूल और न ही स्कूलों में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और टीचर, पांच वर्षों से नई वृद्धावस्था पेंशन पर रोक पर भी सरकार से जवाब मांगा जाएगा. अन्य विषयों में राशन कार्ड धारकों को राशन न मिलना और नए राशन कार्ड न बनाना तथा दिल्ली में पेयजल की कमी और प्रदूषित पानी की सप्लाई शामिल है.
नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने पत्र में कहा है कि आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली विधानसभा का अधिवेशन केवल राजनीतिक प्रचार के लिए बुलाया जाता रहा है जो अनुचित है. अगर जनता की समस्याओं और मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी तो विधानसभा की उपयोगिता ही खत्म हो जाएगी. इसलिए भाजपा विधायक दल चाहता है कि विधानसभा में जनता के सभी मुद्दों पर चर्चा हो और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन मुद्दों पर जनता के सवालों का जवाब दें. इसके लिए यह जरूरी है कि विधानसभा का अधिवेशन कम से कम 10 दिन का बुलाया जाए.
बता दें कि दो दिन पहले भी नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने उपराज्यपाल विनय सक्सेना को पत्र लिखकर दिल्ली विधानसभा में कानूनों, नियमों और परंपराओं के उल्लंघन की घटनाओं की जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि आम आदमी पार्टी सरकार के आचरण और निरंकुशता से दिल्ली विधानसभा अपना अर्थ और महत्व खोती जा रही है.
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