नई दिल्ली: भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 25 जून को काली तारीख के तौर पर याद किया जाता है. इसी दिन साल 1975 में कांग्रेस की तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी. इसे भारतीय जनता पार्टी काला दिवस के रूप में मनाती आ रही है. आज इमरजेंसी के 45 साल पूरे होने पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय गोयल ने अपने सरकारी निवास पर एक प्रदर्शनी लगाई. जिसका उद्घाटन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी कृष्ण रेड्डी ने किया. उन्होंने कहा कि बीजेपी कभी भी उस दिन को नहीं भुला सकती है कि जिस तरह कांग्रेस ने प्रजातंत्र को खत्म करने की कोशिश की.
प्रजातंत्र को कुचलने की कोशिश
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार का विरोध करने वाले संस्था, राजनीतिक दल, मीडिया पर वह जुल्म तब की कांग्रेस सरकार ने ढाहा, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, नानाजी देशमुख, जय प्रकाश नारायण व बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं को कांग्रेस ने जेल में डाल दिया था. नतीजा रहा कि 2 साल बाद 1977 में जब चुनाव हुए तब कांग्रेस का सफाया हो गया. भारतीय जनता पार्टी आज के दिन को काला दिवस के रूप में मनाती रही है.
विजय गोयल ने सुनाई आपबीती
बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय गोयल कहते हैं कि आपातकाल के दौरान में तिहाड़ जेल में उन्हें और उनके मेरे पिता चरती लाल गोयल जो बाद में दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष बने, उन्हें अंबाला जेल में बंद कर दिया गया था. हम और हमारे साथियों ने इमरजेंसी की बहुत ज्यादतियों को देखा वह झेला है. कांग्रेस पार्टी और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सत्ता के लालच में लोकतंत्र की हत्या कर देश में इमरजेंसी लगाई और नसबंदी जैसी ज्यादती की.
चार दशकों से संभाली हुई चीजें दिखाई
इतना ही नहीं, संजय गांधी और उनकी टोली का कथित पांच व 20 सूत्री कार्यक्रम था. वह आज की कांग्रेस को याद दिलाने की जरूरत है. हमने लोकतंत्र की जिस महान परंपरा के लिए संघर्ष किया. उससे नई पीढ़ी को रूबरू होना चाहिए. इसी विचार को ध्यान में रखते हुए चार दशकों से जो कुछ दस्तावेज और पत्र मैंने संभाल कर रखे हैं, उन्हें आपके सामने लाने का प्रयास किया है.
बता दें कि इमरजेंसी के दौरान जब समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था तब भी कुछ पत्रकार थे जो तमाम प्रतिबंधों के बावजूद हाथ से लिखकर अखबार निकालते थे. उनमें एक विजय गोयल भी थे. इमरजेंसी के दौरान उन्होंने जो हस्तलिखित अखबार निकाला था उसकी प्रति भी आज प्रदर्शनी में लगाए थे. देश में 21 महीने तक आपातकाल लागू रहा. यह 25 जून 1975 को लागू हुआ और 21 मार्च 1977 को खत्म हुआ था.