नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले के आरोपी अंकित चौधरी ऊर्फ फौजी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि दंगे की वजह से उत्तर-पूर्वी दिल्ली ने जो दिन देखे वे देश के विभाजन के समय मची मारकाट के दिनों की याद दिलाते हैं. ये दंगे एक वैश्विक शक्ति बनने को इच्छुक राष्ट्र की अंतरात्मा में गंभीर घाव हैं.
आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोप
एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि आरोपी के खिलाफ आरोपों की प्रकृति काफी गंभीर हैं. कोर्ट ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज की भले ही अनदेखी की जा सकती है लेकिन कॉल डिटेल रिकॉर्ड की अनदेखी नहीं की जा सकती है जो आरोपी को घटनास्थल पर होने की गवाही दे रहे हैं.
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‘कट्टर’ नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप का सदस्य था आरोपी
कोर्ट ने कहा कि सह आरोपी समेत अंकित चौधरी ‘कट्टर’ नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप का सदस्य था. ये ग्रुप समुदाय विशेष से जुड़े लोगों को एकजुट करने के लिए बनाया गया था. कोर्ट ने कहा कि इस व्हाट्स ऐप ग्रुप में हुई बातचीत सांप्रदायिक कट्टरता और एक खास समुदाय के लोगों के खिलाफ नफरत और दुश्मनी से भरे हुए थे.
कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि आरोपी उस व्हाट्स ऐप ग्रुप का सदस्य नहीं हो लेकिन उसने खुद सह-आरोपियों के संपर्क में होने की बात कबूल की है. इसलिए ये केवल संयोग था या कुछ और इसे ट्रायल के दौरान ही पता लगाया जा सकता है.
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लोगों को उकसा रहा था आरोपी
कोर्ट ने कहा कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि आरोपी घटनास्थल पर मौजूद था और लोगों को उकसा रहा था. भीड़ आरोपी के कहने पर किसी की भी जान ले सकती थी. अंकित चौधरी के खिलाफ गोकुलपुरी थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी.
चौधरी के खिलाफ दंगा-फसाद, हत्या, आपराधिक साजिश रचने और सबूत नष्ट करने के आरोप लगाए गए हैं. बता दें कि दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी और काफी लोग घायल हुए थे.