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वाहनों की बिक्री के समय ही ध्वनि स्तर की जानकारी दें ऑटोमोबाइल कंपनियां - ध्वनि प्रदूषण

एनजीटी ने वाहन निर्माताओं को आदेश दिया कि वे बिक्री के समय वाहनों के ध्वनि स्तर के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी दें.

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एनजीटी
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Published : Jun 29, 2020, 7:18 PM IST

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वाहन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे बिक्री के समय वाहनों के ध्वनि स्तर के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी दें. जस्टिस शिवकुमार सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है.

वाहनों के ध्वनि स्तर के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी दें
वाहनों के निर्माण के समय ही ध्वनि उत्सर्जन की जांच हो

एनजीटी ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वह एयर एक्ट की धारा 20 के तहत वाहनों के निर्माण के समय ही ध्वनि उत्सर्जन के मानकों के लिए जरुरी दिशानिर्देश जारी करें. एनजीटी ने कहा कि अधिकृत एजेंसी द्वारा जारी वैध प्रदूषण नियंत्रण नियंत्रण प्रमाणपत्र वाले वाहनों को ही महाराष्ट्र में चलाने की अनुमति है, ताकि वाहनों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोका जा सके. एनजीटी ने कहा कि शहरी इलाकों में शोर का स्तर बढ़ रहा है, और यह बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है.



बिना पीयूसी के वाहन चल रहे हैं

याचिका दिलीप बी निवेदिता ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र में बिना पीयूसी के भी वाहन चल रहे हैं. ऐसा प्रशासन की लापरवाही की वजह से हो रहा है. इससे लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है. याचिका में वाहनों को निर्माण के समय ही उनके ध्वनि स्तर की जांच होनी चाहिए.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वाहन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे बिक्री के समय वाहनों के ध्वनि स्तर के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी दें. जस्टिस शिवकुमार सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है.

वाहनों के ध्वनि स्तर के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी दें
वाहनों के निर्माण के समय ही ध्वनि उत्सर्जन की जांच हो

एनजीटी ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वह एयर एक्ट की धारा 20 के तहत वाहनों के निर्माण के समय ही ध्वनि उत्सर्जन के मानकों के लिए जरुरी दिशानिर्देश जारी करें. एनजीटी ने कहा कि अधिकृत एजेंसी द्वारा जारी वैध प्रदूषण नियंत्रण नियंत्रण प्रमाणपत्र वाले वाहनों को ही महाराष्ट्र में चलाने की अनुमति है, ताकि वाहनों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोका जा सके. एनजीटी ने कहा कि शहरी इलाकों में शोर का स्तर बढ़ रहा है, और यह बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है.



बिना पीयूसी के वाहन चल रहे हैं

याचिका दिलीप बी निवेदिता ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र में बिना पीयूसी के भी वाहन चल रहे हैं. ऐसा प्रशासन की लापरवाही की वजह से हो रहा है. इससे लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है. याचिका में वाहनों को निर्माण के समय ही उनके ध्वनि स्तर की जांच होनी चाहिए.

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