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महिला सुरक्षा के मुद्दे पर खुद सवालों के घेरे में केजरीवाल सरकार

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Published : Mar 8, 2019, 2:59 PM IST

सीएम केजरीवाल ने कहा था कि वह दिल्ली को ऐसा बना देंगे कि महिलाएं रात 12 बजे भी घर से बाहर निकलेंगी तो बिल्कुल महफूज महसूस करेंगी. कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता. चुनावी मौसम में अक्सर ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं.

महिला सुरक्षा के मुद्दे पर खुद सवालों के घेरे में केजरीवाल सरकार

नई दिल्ली: चुनावी मौसम में एक बार फिर राजनेता वैसे ही बयानबाजी कर रहे हैं जैसे दशकों से करते आ रहे हैं. आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले दिनों एक समारोह के दौरान कहा कि वे दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा इसलिए दिलाना चाहते हैं ताकि जैसा वो दिल्ली वालों के लिए काम कर सकें.

साथ ही सीएम केजरीवाल ने कहा था कि वह दिल्ली को ऐसा बना देंगे कि महिलाएं रात 12 बजे भी घर से बाहर निकलेंगी तो बिल्कुल महफूज महसूस करेंगी. कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता. चुनावी मौसम में अक्सर ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं.

वहीं महिला सुरक्षा के मुद्दे पर शीला दीक्षित की सरकार से लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लेने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते 4 सालों में जो भूमिका अदा की है वह खुद सवालों के घेरे में हैं. वर्ष 2013 और फिर 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी ने महिलाओं के लिए ऐसी दिल्ली बनाने के वादे किए थे जिसमें दिन हो या रात घर से बाहर निकली अकेली महिलाएं, छात्राएं और बेटियां अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगी. इसके लिए उन्होंने डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने के वादे किए थे, सभी बसों में मार्शल की तैनाती तथा पैनिक बटन लगाने की बात कही थी. ताकि मुसीबत की घड़ी में महिलाएं इस पैनिक बटन को दबाकर मदद के लिए गुहार लगा सकें.

महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एक बार भी मीटिंग नहीं
वहीं 14 फरवरी 2015 में दिल्ली की सत्ता में आने के बाद जून 2016 तक दिल्ली सरकार ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एक बार भी मीटिंग नहीं की. इतना ही नहीं उसके बाद चुनावी वादे के तहत सीसीटीवी कैमरे लगाने, बसों में मार्शल नियुक्त करने तथा पैनिक बटन लगाने तथा महिलाओं से सम्बंधित मामलों की जल्द सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के जो वादे सरकार ने किए थे, इसके लिए कभी भी गृह मंत्री, यूनियन कैबिनेट सेक्रेट्री तथा उपराज्यपाल से मुलाकात नहीं की.

महिला सुरक्षा को लेकर बजट भाषण में कई योजना
दिल्ली में लॉ एंड ऑर्डर पर अक्सर मोदी सरकार पर निशाना साधने वाले केजरीवाल सरकार महिला सुरक्षा के मुद्दे पर फिलहाल बैकफुट पर ही है. सत्ता में आने के बाद से अब तक दिल्ली सरकार विधानसभा में 5 बार बजट पेश कर चुकी है. प्रत्येक वर्ष महिला सुरक्षा को लेकर बजट भाषण में कई योजनाओं का जिक्र होता है. इस बार भी अंतिम बजट में भी सरकार ने पुराने वादों को पूरा करने की बात दोहराई है.

नई दिल्ली: चुनावी मौसम में एक बार फिर राजनेता वैसे ही बयानबाजी कर रहे हैं जैसे दशकों से करते आ रहे हैं. आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले दिनों एक समारोह के दौरान कहा कि वे दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा इसलिए दिलाना चाहते हैं ताकि जैसा वो दिल्ली वालों के लिए काम कर सकें.

साथ ही सीएम केजरीवाल ने कहा था कि वह दिल्ली को ऐसा बना देंगे कि महिलाएं रात 12 बजे भी घर से बाहर निकलेंगी तो बिल्कुल महफूज महसूस करेंगी. कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता. चुनावी मौसम में अक्सर ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं.

वहीं महिला सुरक्षा के मुद्दे पर शीला दीक्षित की सरकार से लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लेने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते 4 सालों में जो भूमिका अदा की है वह खुद सवालों के घेरे में हैं. वर्ष 2013 और फिर 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी ने महिलाओं के लिए ऐसी दिल्ली बनाने के वादे किए थे जिसमें दिन हो या रात घर से बाहर निकली अकेली महिलाएं, छात्राएं और बेटियां अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगी. इसके लिए उन्होंने डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने के वादे किए थे, सभी बसों में मार्शल की तैनाती तथा पैनिक बटन लगाने की बात कही थी. ताकि मुसीबत की घड़ी में महिलाएं इस पैनिक बटन को दबाकर मदद के लिए गुहार लगा सकें.

महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एक बार भी मीटिंग नहीं
वहीं 14 फरवरी 2015 में दिल्ली की सत्ता में आने के बाद जून 2016 तक दिल्ली सरकार ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एक बार भी मीटिंग नहीं की. इतना ही नहीं उसके बाद चुनावी वादे के तहत सीसीटीवी कैमरे लगाने, बसों में मार्शल नियुक्त करने तथा पैनिक बटन लगाने तथा महिलाओं से सम्बंधित मामलों की जल्द सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के जो वादे सरकार ने किए थे, इसके लिए कभी भी गृह मंत्री, यूनियन कैबिनेट सेक्रेट्री तथा उपराज्यपाल से मुलाकात नहीं की.

महिला सुरक्षा को लेकर बजट भाषण में कई योजना
दिल्ली में लॉ एंड ऑर्डर पर अक्सर मोदी सरकार पर निशाना साधने वाले केजरीवाल सरकार महिला सुरक्षा के मुद्दे पर फिलहाल बैकफुट पर ही है. सत्ता में आने के बाद से अब तक दिल्ली सरकार विधानसभा में 5 बार बजट पेश कर चुकी है. प्रत्येक वर्ष महिला सुरक्षा को लेकर बजट भाषण में कई योजनाओं का जिक्र होता है. इस बार भी अंतिम बजट में भी सरकार ने पुराने वादों को पूरा करने की बात दोहराई है.

Intro:अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

नई दिल्ली. चुनावी मौसम में एक बार फिर राजनेता वैसे ही बयान बाजी कर रहे हैं जैसे दशकों से करते आ रहे हैं. आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले दिनों एक समारोह के दौरान काफी विश्वास के साथ यह बात कह रहे थे कि वे दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा इसलिए दिलाना चाहते हैं ताकि जैसा वो दिल्ली वालों के लिए करना चाहते हैं, कर सकें. उसके बाद वह दिल्ली को ऐसा बना देंगे की महिलाएं रात 12 बजे भी घर से बाहर निकलेंगी तो बिल्कुल महफूज महसूस करेंगी. कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता. चुनावी मौसम में अक्सर ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं जिससे कानों को तो जरूर सुकून मिलता है लेकिन दिमाग इसे मानने से इंकार करता है.


Body:महिला सुरक्षा के मुद्दे पर शीला सरकार से लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लेने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते 4 सालों में जो भूमिका अदा की है वह खुद सवालों के घेरे में है.

वर्ष 2013 और फिर 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी ने महिलाओं के लिए ऐसी दिल्ली बनाने के वादे किए थे जिसमें दिन हो या रात घर से बाहर निकली अकेली महिलाएं, छात्राएं और बेटियां अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगी.इसके लिए उन्होंने डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने के वादे किए थे, सभी बसों में मार्शल की तैनाती तथा पैनिक बटन लगाने की बात कही थी. ताकि मुसीबत की घड़ी में महिलाएं इस पैनिक बटन को दबाकर मदद के लिए गुहार लगा सकें.

लेकिन 14 फरवरी 2015 में दिल्ली की सत्ता में आने के बाद जून 2016 तक दिल्ली सरकार ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एक बार भी मीटिंग नहीं की. इतना ही नहीं उसके बाद चुनावी वादे के तहत सीसीटीवी कैमरे लगाने, बसों में मार्शल नियुक्त करने तथा पैनिक बटन लगाने तथा महिलाओं से सम्बंधित मामलों की जल्द सुनवाई के लिए फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के जो वादे सरकार ने किए थे इसके लिए कभी भी गृह मंत्री, यूनियन केबिनेट सेक्रेट्री तथा उपराज्यपाल से मुलाकात नहीं की.

दिल्ली में लॉ एंड ऑर्डर पर अक्सर मोदी सरकार पर निशाना साधने वाले केजरीवाल सरकार महिला सुरक्षा के मुद्दे पर फिलहाल बैकफुट पर ही है. सत्ता में आने के बाद से अब तक दिल्ली सरकार विधानसभा में 5 बार बजट पेश कर चुकी है. प्रत्येक वर्ष महिला सुरक्षा को लेकर बजट भाषण में कई योजनाओं का जिक्र होता है. इस बार भी अंतिम बजट में भी सरकार ने पुराने वादों को पूरा करने की बात दोहराई है.

समाप्त, आशुतोष झा


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