नई दिल्ली : मौसम में तेजी से आए बदलाव का असर दिल्ली की फिजाओं में देखने को मिल रहा है. बारिश के सीजन में दमकने वाला दिल्ली का आसमान और ताजगी का अहसास कराने वाली हवाएं अब गर्दो-गुबार से लबरेज होने लगी हैं. हर दिशा में धुंध और गर्द का बहाव नजर आ रहा है. बारिश बीतने के बाद और दिवाली से पहले दिल्ली की हवाओं में जहरीले कणों का बसेरा हो गया है. यानी हवा में घुले 2.5 माइक्रोमीटर साइज के कणों का घनत्वन बढ़कर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। 2.5 माइक्रोमीटर के बारीक कण हवा में घुलकर सांस के साथ हमारे फेफड़ों के जरिए खून में मिलकर कई प्रकार के विकार पैदा करते हैं. कई बार ये बारीक घूल कण जानलेवा भी साबित होते हैं. आंखों के साथ ही अलर्जी वाली त्वचा के लिए भी ये बारीक कण खतरनाक है.
ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली के कई इलाकों में हवा का जायजा लिया. गुरुवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स PM 2.5 का स्तर खराब श्रेणी में यानी हवा की शुद्धता के पैमाने पर 215 दर्द किया गया. हालांकि बुधवार की सुबह तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता बेहतर श्रेणी में बनी हुई थी, लेकिन रात तक यह खराब श्रेणी में पहुंच गई. बीते दिनों हुई बारिश में हवा में घुले बारीक कण पानी में घुल गए थे, जिससे हवा में ताजगी का अहसास हो रहा था, लेकिन हफ्ते भर में ही फिजा जहरीले कणों से भर गई. पूसा में इन जहरीले कणों का स्तर 225, लोधी रोड इलाके में 201, दिल्ली यूनिवर्सिटी के आसपास की फिजाओं में 215, एयरपोर्ट टर्मिनल-3 एरिया में जहरीले कणों का स्तर 228, मथुरा रोड व आसपास के इलाकों में 249, आया नगर में 176 और IIT दिल्ली के ईर्द-गिर्द हवा में जहरीले कणों का स्तर 204 रिकॉर्ड किया गया है.
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कुछ हफ्ते पहले दिल्ली-NCR में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 100 से भी नीचे बना हुआ था जो कि बेहतर श्रेणी में था. राजधानी में इस साल की सबसे साफ हवा इसी अक्टूबर के शुरुआती दिनों में मिली थी. जो महीने के आखिरी हफ्ते में खतरनाक स्तर तक जहरीली हो गई है. ये घातक जहरीले कण वाहनों के घुएं से निकलने वाले बारीक कण, कंस्ट्रक्शन साइटों से उठने वाली गुबार के बारीक कण और इंडस्ट्रीज से निकलने वाले कचरे और धुंए के बारीक कणों से आए हैं.
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इन धुंध भरी फिजाओं में जहरीले कणों का सबसे ज्यादा हिस्सा दिल्ली के देहात इलाकों के साथ ही आसपास के राज्यों खास तौर से हरियाणा और पंजाब में फसलों के अवशेष यानी पराली जलाने से उठे धुएं और गुबार का होता है. जबकि अन्य स्रोतों से उठने वाले गुबार से इन जहरीले कणों का हिस्सा काफी कम होता है. दिवाली के बाद पटाखों और आतिशबाजी के चलते इन कणों के और अधिक बढ़ने की आशंका है. इन्हें कम करने का फिलहाल सरकारी स्तर पर कोई खास प्रयास नहीं किया जा रहा है. जबकि ये जहरीली हवा बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन तंत्र के रोगियों के साथ ही परिंदों और अन्य नाजुक जंतुओं के लिए काफी घातक है.