नई दिल्ली: इंसान और जानवरों का रिश्ता बहुत पुराना है, जो सामाज में मिलकर रहते आ रहे हैं. जिस तरह आपको जीवन गुजारने के लिए एक साथी की जरूरत है, ठीक उसी प्रकार जीवों को भी पार्टनर की जरूरत होती है. पार्टनर के न होने पर इंसानों के जैसे जानवर भी अकेला महसूस करने लगते हैं. कुछ ऐसा ही हाल है दिल्ली की चिड़ियाघर में मौजूद जानवरों कुछ का, जो साथी के अभाव में अपना जीवन अकेले बिताने को मजबूर हैं. इनमें तो कुछ ऐसे भी हैं, जो साथी का इंतजार करते-करते दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. इससे अब जू से जानवरों के विलुप्त होने का खतरा बढ़ गया है.
रीटा को नहीं मिला पार्टनर: दिल्ली जू में कुछ साल पहले सबसे उम्रदराज वन्यजीव में से एक चिम्पैंजी (रीटा) की मौत हुई. रीटा इस चिड़ियाघर की इकलौती ऐसी वन्यजीव थी, जिसने गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सबसे ज्यादा दिन जीने का रिकॉर्ड दर्ज किया. लेकिन जू प्रशाशन रीटा के लिए भी मेल चिम्पांजी की व्यवस्था नहीं कर पाया, जिसका परिणाम यह हुआ कि जू में एक भी चिम्पैंजी नहीं है.
उसके अतिरिक्त कैसोवरी जू का इकलौता ऑस्ट्रेलियन पक्षी था. उसकी मौत के बाद जू में इस पक्षी की प्रजाति की संख्या शून्य हो गई. यह पक्षी काफी रेयर था और देश के कुछ चुनिंदा चिड़ियाघर में ही देखने को मिलता है. दिल्ली जू के तत्कालीन क्यूरेटर रिवाज खान ने बताया कि इस पक्षी को एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत ही लाया गया था. उन दिनों में इनकी संख्या दो थी.
इन्हें हैं साथी का इंतजार: चिड़ियाघर में वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत शेडयूल-1 में आने वाले हुक्कू बंदर (राधा) को नए साथी का इंतजार है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए लगता है कि हुक्कू बंदर को नये साथी की तलाश लंबी होने वाली है, क्योंकि अन्य वन्यजीव भी साथी के इंतजार में हैं. इनमें माहेश्वरी और अंजुहा (गेंडा) हैं. चिड़ियाघर में मात्र दो ही गैंडा हैं, जो मादा हैं. इनकी संख्या बढ़ाने के लिए चिड़ियाघर प्रशासन ने कई बार दूसरे राज्य से नर गैंडा लाने की कोशिश की, लेकिन अब तक उनके हाथ कुछ नहीं लग पाया है.
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90 के दशक में यहां एक गैंडा का जन्म हुआ था, जिसका नाम अयोध्या रखा गया था. लेकिन चिड़ियाघर प्रशासन ने उसे पटना भेज दिया. वहीं धनेश (पक्षी) भी लंबे समय से साथी के इंतजार में है. उसके अलावा दो जगुआर, दो भारतीय हाथी हीरा व लक्ष्मी एवं एक अफ्रीकन हाथी शंकर को भी साथी का इंतजार है. इसमें कई पक्षी भी हैं, जिन्हें लंबे समय से साथी का इंतजार है.
हम इंसान जीवन में अपने पार्टनर के साथ रहते हैं तो खुशी महसूस करते हैं. अगर हमें अकेला रहना पड़े तो जीवन मुश्किल सा लगने लगता है, क्योंकि जब हम पार्टनर के साथ होते हैं तो अपनी बातों को साझा कर पाते हैं. इसी प्रकार चिड़ियाघर के बाड़े में रहने वाले वज्यजीव भी अगर बिना पार्टनर के रहते हैं तो उन्हें अकेला महसूस होता है. हमारी लगातार कोशिश है कि चिड़ियाघर में जो वन्यजीव अकेले हैं उनके लिए साथी लाया जाए. इससे उनकी संख्या भी बढ़ेगी. सेंट्रल जू अथॉरिटी को इस संबंध में प्रपोजल भी बनाकर भेजा गया है. उम्मीद है जल्द हमें एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत वन्यजीव मिल जाएंगे. - आकांक्षा महाजन, दिल्ली जू की निदेशक
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