नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी नीति के मामले के बाद अब फीडबैक यूनिट द्वारा जासूसी कराने के मामले में भी दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं. दरअसल, सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के इंस्पेक्टर विजय ने नौ मार्च को एक लिखित शिकायत के आधार पर 14 मार्च को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर केस दर्ज किया है.
सिसोदिया के अलावा सतर्कता विभाग के पूर्व सचिव सुकेश कुमार जैन, सीआईएसएफ के सेवानिवृत्त डीआईजी राकेश कुमार सिन्हा, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विशेष सलाहकार, इंटेलिजेंस ब्यूरो के रिटायर्ड जॉइंट डिप्टी डायरेक्टर प्रदीप कुमार पुंज, सीआईएसएफ के रिटायर्ड असिस्टेंट कमांडेंट सतीश खेत्रपाल और मुख्यमंत्री के सलाहकार गोपाल मोहन और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें सिसोदिया सहित अन्य सभी आरोपितों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 403, 409, 468, 471 और 477ए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता राजीव तोमर ने बताया कि सिसोदिया पर जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है, उनके आरोप अगर कोर्ट में साबित होते हैं, तो उन्हें तीन साल से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है. इनमें कई धाराएं गैर जमानती और कई जमानती हैं. एडवोकेट राजीव तोमर ने बताया कि 120बी एक से अधिक लोगों द्वारा अपराधिक साजिश रचने पर लगाई जाती है. इसमें दो साल या उससे अधिक सजा का प्रावधान है. जबकि 477ए भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा है. यह धारा तब लगाई जाती है जब किसी सार्वजनिक पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार किया गया हो.
10 साल की सजा और आर्थिक दंड का प्रावधानः सिसोदिया पर लगाई गई धाराओं में से धारा 120बी, 468, और 409 गैर जमानती हैं, जबकि 403, 471 और 477ए जमानती धाराएं हैं. धारा 409 किसी लोक सेवक अथवा बैंक कर्मचारी, व्यापारी के रूप में किसी प्रकार की संपत्ति से जुड़ा हो या संपत्ति पर कोई भी प्रभुत्व होते हुए उस संपत्ति के विषय में विश्वास का आपराधिक हनन करता है तो उस पर यह धारा लगाई जाती है. इसमें 10 साल तक की सजा और आर्थिक दंड का भी प्रावधान है. धारा 468 तब लगाई जाती है जब कोई व्यक्ति इस आशय से कूटरचना करता है कि कूटरचित दस्तावेजों को छल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सके. इस मामले में एक वर्ष की सजा का प्रावधान है जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है.
इसके साथ ही दोषी व्यक्ति आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा. इसी तरह धारा 471 के तहत जब कोई किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख, जिसके बारे में वह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि वह दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख कूटरचित है को कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रूप में उपयोग करता है तो उसे उसी प्रकार दंडित किया जाएगा, मानो उसने ही उन दस्तावेजों की कूट रचना की है. इस तरह मनीष सिसोदिया पर अगर ये आरोप साबित हो जाते हैं तो उन्हें एक से 10 साल तक की सजा के साथ आर्थिक दंड भी भुगतना होगा. उल्लेखनीय है कि इससे पहले सिसोदिया पर आबकारी नीति मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज में जो धाराएं लगाई गई हैं उनमें आजीवन कारावास और फांसी की सजा तक का प्रावधान है. अब ये नया मामला दर्ज होने से सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ना तय है.
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