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दिल्ली हिंसा के मामले में उमर खालिद समेत UAPA के सभी आरोपियों की पेशी आज - दिल्ली हिंसा मामले की ताजा खबर

दिल्ली हिंसा के मामले में जेल में बंद उमर खालिद, शरजील इमाम, ताहिर हुसैन समेत यूएपीए के सभी आरोपियों की आज कड़कड़डूमा कोर्ट में पेशी होगी. सभी आरोपियों को एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत की कोर्ट में पेश किया जाएगा.

All the accused of UAPA including Umar Khalid in Delhi violence case today
कड़कड़डूमा कोर्ट
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Published : Feb 2, 2021, 10:04 AM IST

नई दिल्ली: पिछले 19 जनवरी को कोर्ट ने सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत आज तक के लिए बढ़ा दी थी. 14 जनवरी को सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी के बाद उमर खालिद ने कहा था कि उसके खिलाफ जान बूझकर मीडिया ट्रायल चल रहा है. उसके खिलाफ ऐसे रिपोर्टिंग की जा रही है, जैसे वह दोषी है.

उसने कहा कि इससे निष्पक्ष ट्रायल पर असर पड़ सकता है. उमर खालिद ने कहा था कि पहले की सुनवाई के दौरान उसने कोर्ट में ये बातें रखी थीं. उसके बावजूद भी फ्रंट पेज की खबर बन रही है कि उमर खालिद और ताहिर हुसैन ने दंगों की साजिश रची. यह तब है जब कि डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में साफ लिखा गया है कि हस्ताक्षर करने से मना किया गया. इसका सीधा मतलब है कि पुलिस कुछ भी लिख सकती है.

इन बयानों का कानूनी तौर पर कोई मान्यता नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा था कि ये मामला हमारे पास है और हम कुछ बोलना नहीं चाहते। कोर्ट ने उमर खालिद से कहा था कि अगर वो चाहता है तो वो अपने वकील को कहे कि संबंधित मीडिया रिपोर्ट को अर्जी में शामिल करे.


चार्जशीट कोर्ट में आने से पहले ही सार्वजनिक हो जाती है


पिछले 7 जनवरी को सुनवाई के दौरान उमर खालिद ने आरोप लगाया था कि जब उसे चार्जशीट नहीं मिली थी. उसके पहले से ही वो मीडिया में लीक कर दी गई थी.कोर्ट ने इस मामले पर दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. उमर खालिद ने कोर्ट को बताया था कि उसे चार्जशीट की कॉपी मिल चुकी है.

उमर खालिद ने चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार को बताया था कि उसने चार्जशीट में बताए गए किसी बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है. कोई भी व्यक्ति उस कागज पर लिख सकता है. उमर खालिद ने कहा था कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि चार्जशीट कोर्ट में आने से पहले ही सार्वजनिक हो जाती है.


दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं


उमर खालिद ने कहा था कि वो पिछले 4 महीने से हिरासत में है. उसके खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं. उसके बारे में अखबारों में खबरें पढ़कर काफी चिढ़ होती है. उमर खालिद ने कहा था कि उसे दिल्ली पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है, केवल कोर्ट पर भरोसा है. उसने कोर्ट से आग्रह किया था कि ऐसी घटना आगे नहीं है. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.


दंगों के लिए साजिश रचने का आरोप


कड़कड़डूमा कोर्ट ने पिछले 5 जनवरी को क्राइम ब्रांच की ओर से दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था.कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश रचने का मामला चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं.

26 दिसंबर 2020 को क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देश विरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओ के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेजों के इस चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी और ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की.

इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.


यूनाईटेड अगेंस्ट हेट नामक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था


चार्जशीट में कहा गया है कि यूनाईटेड अगेंस्ट हेट नामक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया था. जिसके जरिये भी दिल्ली हिंसा की प्लानिंग की गई थी. इस ग्रुप के जरिये नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किए गए थे. यह ग्रुप राहुल राय ने बनाया था.


यूएपीए में चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान ले चुकी है


24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल किया गया था.

ये भी पढ़ें:-स्क्रैपिंग पॉलिसी से दिल्ली को होगा सीधा फायदा, निजी वाहन मालिकों को 5 साल का एक्सटेंशन

पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17, और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147, 148, 149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395, 419, 420, 427, 435, 436, 452, 454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

नई दिल्ली: पिछले 19 जनवरी को कोर्ट ने सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत आज तक के लिए बढ़ा दी थी. 14 जनवरी को सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी के बाद उमर खालिद ने कहा था कि उसके खिलाफ जान बूझकर मीडिया ट्रायल चल रहा है. उसके खिलाफ ऐसे रिपोर्टिंग की जा रही है, जैसे वह दोषी है.

उसने कहा कि इससे निष्पक्ष ट्रायल पर असर पड़ सकता है. उमर खालिद ने कहा था कि पहले की सुनवाई के दौरान उसने कोर्ट में ये बातें रखी थीं. उसके बावजूद भी फ्रंट पेज की खबर बन रही है कि उमर खालिद और ताहिर हुसैन ने दंगों की साजिश रची. यह तब है जब कि डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में साफ लिखा गया है कि हस्ताक्षर करने से मना किया गया. इसका सीधा मतलब है कि पुलिस कुछ भी लिख सकती है.

इन बयानों का कानूनी तौर पर कोई मान्यता नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा था कि ये मामला हमारे पास है और हम कुछ बोलना नहीं चाहते। कोर्ट ने उमर खालिद से कहा था कि अगर वो चाहता है तो वो अपने वकील को कहे कि संबंधित मीडिया रिपोर्ट को अर्जी में शामिल करे.


चार्जशीट कोर्ट में आने से पहले ही सार्वजनिक हो जाती है


पिछले 7 जनवरी को सुनवाई के दौरान उमर खालिद ने आरोप लगाया था कि जब उसे चार्जशीट नहीं मिली थी. उसके पहले से ही वो मीडिया में लीक कर दी गई थी.कोर्ट ने इस मामले पर दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. उमर खालिद ने कोर्ट को बताया था कि उसे चार्जशीट की कॉपी मिल चुकी है.

उमर खालिद ने चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार को बताया था कि उसने चार्जशीट में बताए गए किसी बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है. कोई भी व्यक्ति उस कागज पर लिख सकता है. उमर खालिद ने कहा था कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि चार्जशीट कोर्ट में आने से पहले ही सार्वजनिक हो जाती है.


दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं


उमर खालिद ने कहा था कि वो पिछले 4 महीने से हिरासत में है. उसके खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं. उसके बारे में अखबारों में खबरें पढ़कर काफी चिढ़ होती है. उमर खालिद ने कहा था कि उसे दिल्ली पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है, केवल कोर्ट पर भरोसा है. उसने कोर्ट से आग्रह किया था कि ऐसी घटना आगे नहीं है. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.


दंगों के लिए साजिश रचने का आरोप


कड़कड़डूमा कोर्ट ने पिछले 5 जनवरी को क्राइम ब्रांच की ओर से दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था.कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश रचने का मामला चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं.

26 दिसंबर 2020 को क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देश विरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओ के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेजों के इस चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी और ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की.

इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.


यूनाईटेड अगेंस्ट हेट नामक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था


चार्जशीट में कहा गया है कि यूनाईटेड अगेंस्ट हेट नामक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया था. जिसके जरिये भी दिल्ली हिंसा की प्लानिंग की गई थी. इस ग्रुप के जरिये नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किए गए थे. यह ग्रुप राहुल राय ने बनाया था.


यूएपीए में चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान ले चुकी है


24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल किया गया था.

ये भी पढ़ें:-स्क्रैपिंग पॉलिसी से दिल्ली को होगा सीधा फायदा, निजी वाहन मालिकों को 5 साल का एक्सटेंशन

पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17, और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147, 148, 149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395, 419, 420, 427, 435, 436, 452, 454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

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