नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में स्वदेशी कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है. सिलेक्ट कमिटी के अप्रूवल के बाद अब ड्रग कंट्रोलर महानिदेशक ने भी इस वैक्सीन के इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी है. दिलचस्प ये है कि इस वैक्सीन के तीसरे फेज का ह्यूमन ट्रायल अभी चल ही रहा है.
इस वैक्सीन से जुड़ी सारी आशंकाओं को दूर करने के लिए एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने वीडियो जारी किया है. इसमें उन्होंने उन तमाम सवालों के जवाब दिए हैं, जिनके जवाब एक आम व्यक्ति को चाहिए.
सवाल- ये वैक्सीन कब से लोगों को लगाई जाएगी?
जवाब: इमरजेंसी के तौर पर इसका इस्तेमाल जल्द ही शुरू किया जाएगा. इस संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए लोग भारत सरकार की वेबसाइट को विजिट कर सकते हैं.
सवाल- क्या ये वैक्सीन एक साथ सभी को लगाना जरूरी है?
जवाब: इसको लेकर भारत सरकार पहले ही सूची बना चुकी है. प्रायरिटी ग्रुप को पहले दिया जाएगा, जिसमें हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स शामिल हैं. दूसरे ग्रुप में 50 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को शामिल किया गया है. 50 वर्ष से नीचे उन व्यक्तियों को भी टीके लगाए जाएंगे, जिन्हें डायबिटीज, हाइपरटेंशन, लिवर संबंधित कोई बीमारी है.
सवाल- क्या ये वैक्सीन सभी को लेना जरूरी है?
जवाब: कोविड -19 के लिए वैक्सीन स्वच्छैकिक रूप से लिया जा सकता है. कोविड 19 वायरस से सुरक्षा के लिए सभी को टीका जरूर लगवाना चाहिए. इससे वो उनके आसपास रहने वाले अपने परिवार के सदस्यों और नजदीकी रिश्तेदारों को भी इस वायरस से सुरक्षित कर सकेंगे.
सवाल- बहुत कम समय में कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी गई है, जबकि तीसरे फेज का ह्यूमन ट्रायल अभी चल ही रहा है. ऐसे में ये टीका कितना सुरक्षित होगा ?
जवाब: किसी भी वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल की पहली शर्त वैक्सीन के सुरक्षा मानकों पर रखी जाती है. सुरक्षा मानकों पर खरा उतरने के बाद भी संबंधित रेगुलेटरी बॉडी फेज 2 ट्रायल की अनुमति देती है. कोवैक्सीन का फिलहाल तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है. जाहिर है सुरक्षा मानकों पर खरा उतरने के बाद ही इसे आगे अनुमति दी गई है.
सवाल- क्या ये वैक्सीन उतना ही कारगर होगा, जितना विदेशों में निर्मित फाइजर और मोडेना वैक्सीन है?
जवाब: स्वदेश निर्मित कोवैक्सीन भी उतना ही प्रभावी और असरदार होगा, जितना दुनिया के किसी भी देश में निर्मित वैक्सीन है.