नई दिल्ली: देश में बढ़ते डायबिटीज के मरीजों को लेकर जहां डब्ल्यूएचओ ने भी इस पर विशेष ध्यान केंद्रित किया हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने दिल्ली के स्लम एरिया में डायबिटीज को लेकर रिसर्च की है. अहम बात यह है कि इस रिसर्च में योग के जरिए मरीजों में काफी बदलाव देखे गए हैं. इस बाबत एम्स के प्रोफेसर डॉ.पुनीत मिश्रा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.
दक्षिणपुरी के स्लम एरिया में की गई रिसर्च
अखिल भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर डॉ. पुनीत मिश्रा ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है जब दिल्ली के स्लम एरिया में हमने डायबिटीज को लेकर रिसर्च की हो. उन्होंने बताया दक्षिणपुरी के स्लम एरिया में 400 मरीजों को इस रिसर्च में शामिल किया है उन्होंने बताया कि हमारा उद्देश्य मेडिसन और योग के बीच में. हमें यह डिफरेंस को नापना था कि आखिर योग से डायबिटीज पर कितना प्रभाव पड़ता है. खासकर की स्लम एरिया में रहने वाले लोगों में.
उन्होंने बताया कि इससे पहले भी हम रिसर्च तो कर चुके हैं लेकिन हमने ऐसे लोगों को शामिल नहीं किया था जो कि गरीबी की हालत में हैं. और वह ठीक से दवाई भी नहीं ले पाते.इस रिसर्च का यह भी एक उद्देश्य है कि हम बिना दवाई के डाइबटीज पर कैसे शिकंजा लगा सकते हैं.
मेडिसन और योग में दिखे बदलाव
डॉ. पुनीत मिश्रा ने बताया कि इस रिसर्च में हमने मेडिसन और योग के माध्यम से 400 लोगों को शामिल किया. उन्होंने बताया कि इसमें 200 लोगों को हम लगातार मेडिसन दे रहे थे और 200 लोगों को मेडिसन के साथ-साथ योग करा रहे थे. उन्होंने बताया कि दोनों ही रिसर्च को जब हमने प्रमाणिक तौर पर नापा तो उसमें काफी बदलाव देखे.
मेडिसन के साथ-साथ योग करने वाले लोगों में डायबिटीज स्थिर रही तो वहीं मेडिसन खाने वालों की डायबिटीज कभी बढ़ती गई तो कभी नीचे की हुई. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि योग के जरिए हम डायबिटीज पर काबू पा सकते हैं.
फिलहाल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के स्लम एरिया में पहली बार डाइबटीज को लेकर रिसर्च की है. जिसमें यह पाया गया है कि योग के माध्यम से डायबिटीज पर बदलाव हो सकते हैं. आने वाले दिनों में एम्स के सभी मरीजों को दवाई के साथ योग के बारे में भी जानकारी देंगे.