नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में रैपिड रेल परियोजनाओं के लिए दिल्ली सरकार ने फिलहाल 415 करोड़ का फंड जारी कर दिया है. इस परियोजना के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा अपने हिस्से का फंड जारी नहीं किए जाने पर 21 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई थी. देश की पहली रैपिड रेल पटरी पर दौड़ने लगी है. इसके प्रथम चरण में रेल साहिबाबाद से दुहाई के बीच दौड़ रही है.
दरअसल, गत माह प्रधानमंत्री मोदी ने इसके प्रथम चरण का उद्घाटन किया था. लेकिन दिल्ली एनसीआर में रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए जो योजनाएं बनाई गई है, उस योजना में दिल्ली सरकार की तरफ से अपने हिस्से का फंड नहीं दिए जाने का मामला कोर्ट पहुंचा था. इस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए 21 नवंबर को आम आदमी पार्टी की सरकार को कहा कि आपका तीन साल का विज्ञापन बजट 1100 करोड़ है. पर जरूरी काम के लिए पैसे नहीं है.
फिलहाल, रैपिड रेल को दिल्ली मेरठ से जोड़ा जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के लिए दोनों राज्यों की सरकारों को भुगतान करना है. लेकिन दिल्ली सरकार अपने हिस्से का फंड नहीं दे रही है. जिसकी वजह से दिल्ली की तरफ रैपिड रेल का काम देरी से चल रहा है. केंद्र सरकार दिल्ली और इसके आसपास के राज्यों के बड़े शहरों को रैपिड रेल से जोड़ना चाहती है. अभी तक इन शहरों तक आने-जाने के लिए रेल और सड़क मार्ग की व्यवस्था है. सरकार चाहती है कि रैपिड रेल की व्यवस्था की जाए. ताकि दिल्ली से कनेक्टिविटी बढ़ाने पर इन शहरों को फायदा हो सके.
दिल्ली से जुड़ेंगे एनसीआर के तीन शहर: कुल मिलाकर रैपिड रेल के तीन प्रोजेक्ट बनाए गए हैं. जिसमें पहला प्रोजेक्ट दिल्ली मेरठ, दूसरा दिल्ली-अलवर और तीसरा दिल्ली-पानीपत के बीच है. इन प्रोजेक्ट के जरिए दिल्ली को यूपी, राजस्थान और हरियाणा से जोड़ा जाएगा. आधिकारिक रूप से आरटीएस यानी रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कहा जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य सड़कों से भीड़भाड़ कम कर प्रदूषण का स्तर गिराना है. रैपिड रेल परियोजना के लिए केंद्र, हरियाणा और राजस्थान सरकार ने तो प्रोजेक्ट के लिए अपना हिस्सा दे दिया है. लेकिन दिल्ली सरकार लगातार फंड की कमी का बहाना बनाकर भुगतान टाल रही थी.
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दिल्ली-मेरठ, दिल्ली अलवर और दिल्ली पानीपत रैपिड रेल के लिए दिल्ली सरकार पर इस साल के 565 करोड़ रुपए बकाया है. जिसमें से शुक्रवार को दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने 415 करोड़ रुपये एनसीआरटीसी को दिया है. बता दें कि रैपिड रेल फंड को लेकर पहले भी सुनवाई हुई और उसमें दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट को लेकर कोर्ट टिप्पणी कर चुकी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी.