नई दिल्लीः पटियाला हाउस कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने वकील महमूद प्राचा के दफ्तर पर छापा मारे जाने के मामले में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने कहा कि ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने महमूद प्राचा को छापे की वीडियो फुटेज उपलब्ध कराने की मांग पर अभी अंतिम फैसला नहीं किया है, इसलिए उनकी याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती है.
वीडियो फुटेज की कॉपी उपलब्ध कराने की मांग
सुनवाई के दौरान प्राचा ने कहा कि 27 दिसंबर 2020 को ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने उनके दफ्तर पर छापे से संबंधित वीडियो फुटेज संरक्षित रखने का तो निर्देश जारी किया, लेकिन वीडियो फुटेज की कॉपी उन्हें उपलब्ध कराने का आदेश नहीं दिया. प्राचा ने कहा कि दिल्ली पुलिस छापे की वीडियो फुटेज में छेड़छाड़ कर सकती है. इसलिए उन्हें छापे की वीडियो फुटेज उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 165(5) का हवाला देते वीडियो उपलब्ध कराने की मांग की.
'याचिका सुनवाई योग्य नहीं'
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि प्राचा की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि ड्यूटी मजिस्ट्रेट का आदेश अभी अंतिम नहीं हैं. ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने इस पर अंतिम फैसला वही कोर्ट करेगी, जिसने छापे का आदेश जारी किया था. दिल्ली पुलिस ने कहा कि ड्यूटी मजिस्ट्रेट का आदेश अंतिम नहीं था, इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.
वीडियो फुटेज संरक्षित रखने का आदेश
27 दिसंबर को ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने छापे की वीडियो फुटेज संरक्षित रखने का आदेश दिया था. ड्यूटी मजिस्ट्रेट उद्भव कुमार जैन ने कहा था कि वीडियो फुटेज महमूद प्राचा को छापे की वीडियो फुटेज देने की मांग पर फैसला चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट करेगी, जिस कोर्ट ने छापे मारने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान इस मामले के जांच अधिकारी राकेश कुमार ने कहा था कि छापे की कार्रवाई से संबंधित चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के कोर्ट के आदेश की अनुपालना रिपोर्ट 26 दिसंबर को दाखिल कर दी गई है. अनुपालना रिपोर्ट की प्रति महमूद प्राचा को भी सौंपी गई.
जांच अधिकारी ने कहा था कि छापे के दौरान मिली चीजों और उसकी वीडियो फुटेज स्पेशल सेल के मालखाने में रख दिया गया है और उसकी मालखाने की रजिस्ट्री में एंट्री कर दी गई है. उसके बाद कोर्ट ने छापे के वीडियो फुटेज संरक्षित करने का आदेश दिया था. ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने कहा कि वीडियो फुटेज महमूद प्राचा को सौंपने के मामले पर संबंधित कोर्ट ही फैसला करेगी.
'पुलिस ने छापे की वीडियो फुटेज उपलब्ध नहीं कराया'
पिछले 25 दिसंबर को महमूद प्राचा की याचिका पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. प्राचा ने सुनवाई के दौरान कहा था कि दिल्ली पुलिस की ओर 24 दिसंबर की दोपहर करीब बारह बजे से लेकर दरम्यानी रात के तीन बजे तक पुलिस ने छापा मारा था. छापे के बाद पुलिस को छापे के दौरान मिली चीजों के बारे में संबंधित कोर्ट को सूचना देनी चाहिए थी, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया है.
महमूद प्राचा ने कहा था कि छापे की पुलिस ने वीडियो रिकार्डिंग की है, लेकिन जब वो वीडियो फुटेज मांगा गया तो पुलिस ने देने से इनकार कर दिया. उन्हें वीडियो फुटेज लेने का कानूनी अधिकार है. उन्होंने कहा था कि छापे के दौरान राजीव नामक व्यक्ति और जांच अधिकारी ने उनके खिलाफ झूठे केस करने की धमकी दी. प्राचा ने पूरे मामले की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की.
जांच के नाम पर कानून का उल्लंघन का आरोप
प्राचा ने कहा था कि पुलिस ने कोर्ट के आदेश की आड़ में जांच के नाम पर कानून का खुला उल्लंघन किया है. बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पिछले 24 दिसंबर को प्राचा के दफ्तर पर दोपहर में छापा मारा था. छापे की ये कार्रवाई देर रात तक चलती रही. उसके बाद प्राचा ने पटियाला हाउस कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. प्राचा उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के कई आरोपियों की कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं.