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Adhikmas Kalashtmi 2023: कब है अधिकमास कालाष्टमी? जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि

अधिकमास की कालाष्टमी मंगलवार 8 अगस्त को पड़ रही है. ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु हरता है और दीर्घायु प्रदान करता है. कालाष्टमी का व्रत करने से जीवन में स्थिरता आती है. साथ ही कार्यों में आ रही अड़चनें दूर होती हैं.

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Published : Aug 7, 2023, 6:54 AM IST

Updated : Aug 7, 2023, 7:07 AM IST

पं. शिव कुमार शर्मा

नई दिल्ली: सनातन धर्म में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है. प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. अधिकमास की कालाष्टमी 8 अगस्त 2023 को पड़ रही है. मंगलवार को इसका व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप बाबा काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन बाबा काल भैरव की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के कष्ट और दोषों से मुक्ति मिलती है. पापों का निवारण होता है. आत्मविश्वास बढ़ता है. साथ ही सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है.

महत्व
ज्योतिषाचार्य और आध्यात्मिक के मुताबिक कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव और भगवान शिव की पूजा की पूजा की जाती है. कालाष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु हरता है और दीर्घायु प्रदान करता है. कलाष्टमी का व्रत करने से जीवन में स्थिरता आती है. साथ ही कार्यों में आ रही अड़चनें दूर होती हैं. काल भैरव की पूजा करने के लिए भगवान शिव की पूजा अवश्य है.

कालाष्टमी मुहूर्त

  1. अधिकमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त 2023 (मंगलवार) सुबह 04:14 AM से शुरू.
  2. अधिकमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2023 (बुधवार) सुभाय 03:52 AM.
  3. कालाष्टमी 8 अगस्त 2023 (मंगलवार) को मनाई जाएगी.

पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन सुबह प्रातःकाल उठकर स्नान करें. स्नान आदि से निवृत होकर साफ सुथरे कपड़े पहनें. घर के मंदिर की सफाई करें और दीप प्रज्वलित करें. मंदिर में भगवान शिव के रौद्र अवतार या काल भैरव की मूर्ति की स्थापना करें. भगवान शिव को प्रिय वस्तुएं दूध, दही शहद, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, खीर अथवा हलवे का भोग लगाएं. शराब आदि नहीं चढ़ानी चाहिए. इस दिन महामृतुंजय का जाप जरूर करें.

ना करें ये काम
कालाष्टमी के दिन किसी की निंदा या चुगली न करें. घर में कलह का वातावरण न बनाएं. वाणी का नकारात्मक प्रयोग न करें. किसी को झूठा आश्वासन न दें. कालाष्टमी के दिन कल भराव के मंत्र का 108 बार जाप करें. ऐसे करने से भय से मुक्ति मिलती है.

ये भी पढ़ेंः

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पं. शिव कुमार शर्मा

नई दिल्ली: सनातन धर्म में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है. प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. अधिकमास की कालाष्टमी 8 अगस्त 2023 को पड़ रही है. मंगलवार को इसका व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप बाबा काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन बाबा काल भैरव की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के कष्ट और दोषों से मुक्ति मिलती है. पापों का निवारण होता है. आत्मविश्वास बढ़ता है. साथ ही सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है.

महत्व
ज्योतिषाचार्य और आध्यात्मिक के मुताबिक कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव और भगवान शिव की पूजा की पूजा की जाती है. कालाष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु हरता है और दीर्घायु प्रदान करता है. कलाष्टमी का व्रत करने से जीवन में स्थिरता आती है. साथ ही कार्यों में आ रही अड़चनें दूर होती हैं. काल भैरव की पूजा करने के लिए भगवान शिव की पूजा अवश्य है.

कालाष्टमी मुहूर्त

  1. अधिकमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त 2023 (मंगलवार) सुबह 04:14 AM से शुरू.
  2. अधिकमास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2023 (बुधवार) सुभाय 03:52 AM.
  3. कालाष्टमी 8 अगस्त 2023 (मंगलवार) को मनाई जाएगी.

पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन सुबह प्रातःकाल उठकर स्नान करें. स्नान आदि से निवृत होकर साफ सुथरे कपड़े पहनें. घर के मंदिर की सफाई करें और दीप प्रज्वलित करें. मंदिर में भगवान शिव के रौद्र अवतार या काल भैरव की मूर्ति की स्थापना करें. भगवान शिव को प्रिय वस्तुएं दूध, दही शहद, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, खीर अथवा हलवे का भोग लगाएं. शराब आदि नहीं चढ़ानी चाहिए. इस दिन महामृतुंजय का जाप जरूर करें.

ना करें ये काम
कालाष्टमी के दिन किसी की निंदा या चुगली न करें. घर में कलह का वातावरण न बनाएं. वाणी का नकारात्मक प्रयोग न करें. किसी को झूठा आश्वासन न दें. कालाष्टमी के दिन कल भराव के मंत्र का 108 बार जाप करें. ऐसे करने से भय से मुक्ति मिलती है.

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Last Updated : Aug 7, 2023, 7:07 AM IST
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