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AAP के अपने जो पराए होते गए, अब भी जारी है साथ छोड़ने का सिलसिला

26 नवंबर 2012 को जब आम आदमी पार्टी बनी, तब भी इसमें अन्ना आंदोलन के कई प्रमुख नेता नहीं थे. लेकिन उस समय पता नहीं था कि जैसे-जैसे पार्टी आगे बढ़ती जाएगी, इसके अपनों का साथ छूटता जाएगा.

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Published : Jan 20, 2020, 11:30 PM IST

AAP rebel leaders list who quit party
आम आदमी पार्टी छोड़ी

नई दिल्ली: स्थापना के चंद वर्षों के भीतर ही आम आदमी पार्टी के कई प्रमुख नेता इससे दूर हो चुके हैं. इनमें वे भी शामिल हैं, जो आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे और वे भी शामिल हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए सड़क की लड़ाई से लेकर विधानसभा तक का प्रतिनिधित्व किया.

AAP को छोड़ दूसरी पार्टियों में शामिल हुए नेता

नेतृत्व की लड़ाई में दूर हुए अपने
स्थापना के बाद जब आम आदमी पार्टी ने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब तक तो सब कुछ ठीक था. लेकिन दिल्ली में 28 सीटें जीतने के बाद नेतृत्व को लेकर शुरू हुई खेमेबंदी ने पार्टी के कद्दावर नेता माने जाने वाले योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आनंद कुमार,अजीत झा जैसे कई नेताओं को पार्टी से दूर कर दिया. यहां तक कि आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे शांति भूषण भी पार्टी से अलग थलग हो गए.

लोकसभा लड़ने वाले भी नहीं रहे साथ
ये सिलसिला यहीं नहीं रुका. पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले राजमोहन गांधी, चंडीगढ़ से चुनाव लड़ चुकीं गुल पनाग, राजस्थान से लोकसभा उम्मीदवार रहे मेजर सुरेंद्र पूनिया, मुंबई नॉर्थ से चुनाव लड़ चुकीं मेधा पाटकर, पंजाब से लोकसभा चुनाव लड़ चुके जस्सी जसराज, जैसे कई नेता आज पार्टी से दूर हैं. मुंबई साउथ से लोकसभा चुनाव लड़ने वाली मीरा सान्याल भी उस चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी में सक्रिय नहीं रहीं. हालांकि बीते साल उनकी मृत्यु हो चुकी है.

पीएसी सदस्य रहे नेताओं ने भी दिया इस्तीफा
राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारी के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से हुई खटपट ने कुमार विश्वास को भी पार्टी से दूर कर दिया. हालांकि पार्टी की वेबसाइट पर अब भी पीएसी सदस्य के रूप में उनका नाम है. हालांकि पूर्व में पार्टी के पीएसी सदस्य रहे मयंक गांधी, इलियास आजमी और आशुतोष जैसे नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं में गिने जाने वाले दिल्ली डायलॉग कमीशन के अध्यक्ष रहे आशीष खेतान ने भी इस्तीफा दे दिया है.

ये भी हुए दूर
पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद से हटाए जाने के बाद सुखपाल खैरा ने भी बागी रूप अख्तियार कर लिया. उसी तरह बालकृष्णन, कैप्टन गोपीनाथन ने भी साथ छोड़ा. वहीं, एडमिरल रामदास, जस्टिस संतोष हेगडे, अंजली दमानिया, डॉ मुनीश रायजादा, पंजाब के पूर्व संयोजक मनजीत सिंह, सुमेर सिंह सिद्धू, सुच्चा सिंह छोटेपुर, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे आईडी खजुरिया, अंबाला से लोकसभा उम्मीदवार रहे एसपी सिंह, सुनीता गोदारा, अश्वनी उपाध्याय, अशोक कुमार अग्रवाल, सोनी सोरी, दयामणि वराला, आशावंत गुप्ता, परमजीत सिंह और राजीव गोदारा जैसे नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं.

बागी होकर AAP के खिलाफ मैदान में
ऐतिहासिक बहुमत के साथ चल रही सरकार के बीच में भी पार्टी के कई विधायक दूर हो गए. इनमें से संदीप कुमार और कपिल मिश्रा तो मंत्री भी रह चुके हैं. वहीं, अलका लांबा, देवेंद्र सहरावत, अनिल वाजपेयी, ने बागी रुख अख्तियार किया और आज दूसरे दलों में हैं. इनमें से कपिल मिश्रा और अनिल वाजपेयी भाजपा, तो अलका लांबा कांग्रेस पार्टी से आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं.

नहीं रूक रहा दूर होने का सिलसिला
विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार उतारते हुए आम आदमी पार्टी ने अपने 15 विधायकों का टिकट काट दिया. इनमें से ज्यादातर अभी बागी रुख अख्तियार कर चुके हैं. आदर्श शास्त्री ने तो कांग्रेस का दामन थाम लिया, वहीं नारायण दत्त शर्मा बसपा में शामिल हो गए. कई अन्य पूर्व विधायक निर्दलीय ताल ठोकने की तैयारी में हैं. देखने वाली बात होगी कि AAP के अपनों का साथ छोड़ने का सिलसिला कहां तक जारी रहता है.

नई दिल्ली: स्थापना के चंद वर्षों के भीतर ही आम आदमी पार्टी के कई प्रमुख नेता इससे दूर हो चुके हैं. इनमें वे भी शामिल हैं, जो आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे और वे भी शामिल हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए सड़क की लड़ाई से लेकर विधानसभा तक का प्रतिनिधित्व किया.

AAP को छोड़ दूसरी पार्टियों में शामिल हुए नेता

नेतृत्व की लड़ाई में दूर हुए अपने
स्थापना के बाद जब आम आदमी पार्टी ने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब तक तो सब कुछ ठीक था. लेकिन दिल्ली में 28 सीटें जीतने के बाद नेतृत्व को लेकर शुरू हुई खेमेबंदी ने पार्टी के कद्दावर नेता माने जाने वाले योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आनंद कुमार,अजीत झा जैसे कई नेताओं को पार्टी से दूर कर दिया. यहां तक कि आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे शांति भूषण भी पार्टी से अलग थलग हो गए.

लोकसभा लड़ने वाले भी नहीं रहे साथ
ये सिलसिला यहीं नहीं रुका. पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले राजमोहन गांधी, चंडीगढ़ से चुनाव लड़ चुकीं गुल पनाग, राजस्थान से लोकसभा उम्मीदवार रहे मेजर सुरेंद्र पूनिया, मुंबई नॉर्थ से चुनाव लड़ चुकीं मेधा पाटकर, पंजाब से लोकसभा चुनाव लड़ चुके जस्सी जसराज, जैसे कई नेता आज पार्टी से दूर हैं. मुंबई साउथ से लोकसभा चुनाव लड़ने वाली मीरा सान्याल भी उस चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी में सक्रिय नहीं रहीं. हालांकि बीते साल उनकी मृत्यु हो चुकी है.

पीएसी सदस्य रहे नेताओं ने भी दिया इस्तीफा
राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारी के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से हुई खटपट ने कुमार विश्वास को भी पार्टी से दूर कर दिया. हालांकि पार्टी की वेबसाइट पर अब भी पीएसी सदस्य के रूप में उनका नाम है. हालांकि पूर्व में पार्टी के पीएसी सदस्य रहे मयंक गांधी, इलियास आजमी और आशुतोष जैसे नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं में गिने जाने वाले दिल्ली डायलॉग कमीशन के अध्यक्ष रहे आशीष खेतान ने भी इस्तीफा दे दिया है.

ये भी हुए दूर
पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद से हटाए जाने के बाद सुखपाल खैरा ने भी बागी रूप अख्तियार कर लिया. उसी तरह बालकृष्णन, कैप्टन गोपीनाथन ने भी साथ छोड़ा. वहीं, एडमिरल रामदास, जस्टिस संतोष हेगडे, अंजली दमानिया, डॉ मुनीश रायजादा, पंजाब के पूर्व संयोजक मनजीत सिंह, सुमेर सिंह सिद्धू, सुच्चा सिंह छोटेपुर, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे आईडी खजुरिया, अंबाला से लोकसभा उम्मीदवार रहे एसपी सिंह, सुनीता गोदारा, अश्वनी उपाध्याय, अशोक कुमार अग्रवाल, सोनी सोरी, दयामणि वराला, आशावंत गुप्ता, परमजीत सिंह और राजीव गोदारा जैसे नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं.

बागी होकर AAP के खिलाफ मैदान में
ऐतिहासिक बहुमत के साथ चल रही सरकार के बीच में भी पार्टी के कई विधायक दूर हो गए. इनमें से संदीप कुमार और कपिल मिश्रा तो मंत्री भी रह चुके हैं. वहीं, अलका लांबा, देवेंद्र सहरावत, अनिल वाजपेयी, ने बागी रुख अख्तियार किया और आज दूसरे दलों में हैं. इनमें से कपिल मिश्रा और अनिल वाजपेयी भाजपा, तो अलका लांबा कांग्रेस पार्टी से आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं.

नहीं रूक रहा दूर होने का सिलसिला
विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार उतारते हुए आम आदमी पार्टी ने अपने 15 विधायकों का टिकट काट दिया. इनमें से ज्यादातर अभी बागी रुख अख्तियार कर चुके हैं. आदर्श शास्त्री ने तो कांग्रेस का दामन थाम लिया, वहीं नारायण दत्त शर्मा बसपा में शामिल हो गए. कई अन्य पूर्व विधायक निर्दलीय ताल ठोकने की तैयारी में हैं. देखने वाली बात होगी कि AAP के अपनों का साथ छोड़ने का सिलसिला कहां तक जारी रहता है.

Intro:26 नवंबर 2012 को जब आम आदमी पार्टी बनी, तब भी इसमें अन्ना आंदोलन के कई प्रमुख नेता नहीं थे. लेकिन उस समय पता नहीं था कि जैसे-जैसे पार्टी आगे बढ़ती जाएगी, इसके अपनों का साथ छूटता जाएगा.


Body:नई दिल्ली: स्थापना के चंद वर्षों के भीतर ही आम आदमी पार्टी के कई प्रमुख नेता इससे दूर हो चुके हैं. इनमें वे भी शामिल हैं, जो आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे और वे भी शामिल हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए सड़क की लड़ाई से लेकर विधानसभा तक का प्रतिनिधित्व किया.

नेतृत्व की लड़ाई में दूर हुए अपने

स्थापना के बाद जब आम आदमी पार्टी ने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब तक तो सब कुछ ठीक था. लेकिन दिल्ली में 28 सीटें जीतने के बाद नेतृत्व को लेकर शुरू हुई खेमेबंदी ने पार्टी के कद्दावर नेता माने जाने वाले योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आनंद कुमार, अजित झा जैसे कई नेताओं को पार्टी से दूर कर दिया. यहां तक कि आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे शांति भूषण भी पार्टी से अलग थलग हो गए.

लोकसभा लड़ने वाले भी नहीं रहे साथ

यह सिलसिला यहीं नहीं रुका. पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले राजमोहन गांधी, चंडीगढ़ से चुनाव लड़ चुकीं गुल पनाग, राजस्थान से लोकसभा उम्मीदवार रहे मेजर सुरेंद्र पूनिया, मुंबई नॉर्थ से चुनाव लड़ चुकीं मेधा पाटेकर, पंजाब से लोकसभा चुनाव लड़ चुके जस्सी जसराज, जैसे कई नेता आज पार्टी से दूर हैं. मुंबई साउथ से लोकसभा चुनाव लड़ने वाली मीरा सान्याल भी उस चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी में सक्रिय नहीं रहीं. हालांकि बीते साल उनकी मृत्यु हो चुकी है.

पीएसी सदस्य रहे नेताओं ने भी दिया इस्तीफा

राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारी के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से हुई खटपट ने कुमार विश्वास को भी पार्टी से दूर कर दिया. हालांकि पार्टी की वेबसाइट पर अब भी पीएसी सदस्य के रूप में उनका नाम है. हालांकि पूर्व में पार्टी के पीएसी सदस्य रहे मयंक गांधी, इलियास आजमी और आशुतोष जैसे नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं में गिने जाने वाले दिल्ली डायलॉग कमीशन के अध्यक्ष रहे आशीष खेतान ने भी इस्तीफा दे दिया है.

ये भी हुए दूर

पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद से हटाए जाने के बाद सुखपाल खैरा ने भी बागी रूप अख्तियार कर लिया. उसी तरह बालकृष्णन, कैप्टन गोपीनाथन ने भी साथ छोड़ा. वहीं, एडमिरल रामदास, जस्टिस संतोष हेगडे, अंजली दमानिया, डॉ मुनीश रायजादा, पंजाब के पूर्व संयोजक मनजीत सिंह, सुमेर सिंह सिद्धू, सुच्चा सिंह छोटेपुर, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे आईडी खजुरिया, अंबाला से लोकसभा उम्मीदवार रहे एसपी सिंह, सुनीता गोदारा, अश्वनी उपाध्याय, अशोक कुमार अग्रवाल, सोनी सोरी, दयामणि वराला, आशावंत गुप्ता, परमजीत सिंह और राजीव गोदारा जैसे नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं.

बागी होकर AAP के खिलाफ मैदान में

ऐतिहासिक बहुमत के साथ चल रही सरकार के बीच में भी पार्टी के कई विधायक दूर हो गए. इनमें से संदीप कुमार और कपिल मिश्रा तो मंत्री भी रह चुके हैं. वहीं, अलका लांबा, देवेंद्र सहरावत, अनिल वाजपेयी, ने बागी रुख अख्तियार किया और आज दूसरे दलों में हैं. इनमें से कपिल मिश्रा और अनिल वाजपेयी भाजपा, तो अलका लांबा कांग्रेस पार्टी से आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं.


Conclusion:नहीं रुक रहा दूर होने का सिलसिला

विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार उतारते हुए आम आदमी पार्टी ने अपने 15 विधायकों का टिकट काट दिया. इनमें से ज्यादातर अभी बागी रुख अख्तियार कर चुके हैं. आदर्श शास्त्री ने तो कांग्रेस का दामन थाम लिया, वहीं नारायण दत्त शर्मा बसपा में शामिल हो गए. कई अन्य पूर्व विधायक निर्दलीय ताल ठोकने की तैयारी में हैं. देखने वाली बात होगी कि AAP के अपनों का साथ छोड़ने का सिलसिला कहां तक जारी रहता है.
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