नई दिल्ली: देशभर में मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी मुद्रा की हेराफेरी व अन्य मामलों की जांच करने वाले प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी लगातार छापेमारी कर नए-नए खुलासे कर रही है, जिससे लोगों के मन में ईडी का खौफ है. अब साइबर अपराधियों द्वारा इसी खौफ का फायदा उठाने का मामला सामने आया है. हाल ही में साइबर ठगों ने ईडी के नाम से कई लोगों को समन भेजे, जिससे कि वे उनसे अवैध वसूली कर सकें. मामला प्रकाश में आने पर पुलिस ने ऐसे 9 ठगों को गिरफ्तार (delhi police areested 9 cyber criminals) किया, जिन्होंने करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम दिया है. इनके पास से 12 मोबाइल फोन और एक सियाज कार बरामद की गई है.
दरअसल, विभिन्न मामलों की जांच के दौरान ईडी द्वारा प्रेवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धारा 50(2) और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट ऐक्ट (फेमा) की धारा 37 के प्रावधानों के तहत समन जारी किया जाता है. ईडी के संज्ञान में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें साइबर ठगों ने धोखाधड़ी या अवैध वसूली के इरादे से कुछ लोगों को फर्जी समन भेजे थे. इसमें मुंबई का भी एक व्यापारी शामिल था. ईडी ने इन मामलों की जांच की, जिसके बाद पुलिस ने इन ठगों को गिरफ्तार कर लिया. ये ठग ईडी अधिकारी बनकर फर्जी समन जारी करते थे.
क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी रविंद्र कुमार यादव ने बताया की मुंबई स्थित निप्पॉन पेंट कंपनी के प्रेसिडेंट हरदेव सिंह ने प्रवर्तन निदेशालय को फर्जी संबंध मिलने के संबंध में सूचित किया. जहां से दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को इस मामले की जानकारी मिली. जानकारी मिलने के बाद क्राइम ब्रांच के पुलिस उपायुक्त रोहित कुमार मीणा और शकरपुर ब्रांच के इंस्पेक्टर मंगेश त्यागी की टीम ने तुरंत जांच करना शुरू किया और दिल्ली के अशोका होटल खान मार्केट और निजामुद्दीन टैक्सी स्टैंड के पास से कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया. आरोपियों की पहचान अखिलेश मिश्रा, दर्शन हरीश जोशी, विनोद कुमार पटेल, धर्मेंद्र कुमार, गिरी नरेश महतो, इसरार अली, विष्णु प्रसाद, देवेंद्र कुमार दुबे और गजेंद्र उर्फ गुड्डू के रूप में की गई है. बता दें कि देवेंद्र कुमार दुबे असम राइफल्स में हेड कॉन्स्टेबल के रूप में तैनात है जो पिछले पांच वर्षों से मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के अलग-अलग डिपार्टमेंट्स में तैनात रहा है.
कैसे बनाई योजना
मामले में टीम को लीड कर रहे निरीक्षक मंगेश त्यागी ने बताया कि अखिलेश मिश्रा शिकायतकर्ता की कंपनी में कच्चा माल सप्लाई करता था. इस दौरान उसने कंपनी के प्रेसिडेंट तक पहुंच बनाए और उन्हें पिछले कई महीने से यह डर दिखा रहा था कि उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय कोई बड़ी कार्रवाई करने वाला है. इस दौरान अखिलेश ने कंपनी के प्रेसिडेंट हरदेव सिंह को बताया कि उसके मिनिस्ट्री के अंदर ऊंचे संपर्क है. इसके बाद हरदेव सिंह ने अखिलेश को ईडी अधिकारियों से बातचीत के लिए अपने खर्चे पर दिल्ली भेजा, जहां आरोपी ने हरदेव सिंह से 20 करोड़ रुपए की रंगदारी की मांग की. इस दौरान हरदेव सिंह ने प्रवर्तन निदेशालय से फर्जी समन मिलने की शिकायत की. शिकायत क्राइम ब्रांच को मिलने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों को दिल्ली के अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार कर लिया. हालांकि इस मामले में फर्जी दस्तावेज बनाने वाले वकील की तलाश है अभी की जा रही है.
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समन मिलने से डरे नहीं, सत्यापित करें: ईडी ने बताया कि फर्जी समन से बचाव के लिए उसने सिस्टम के जरिए समन तैयार करने की प्रणाली तैयार की है. सिस्टम जनित समन पर एक क्यूआर कोड और समन के नीचे एक यूनिक पासकोड होगा. समन प्राप्त करने वाला व्यक्ति क्यूआर कोड को स्कैन करके 24 घंटे के बाद ईडी के वेबसाइट पर उसका सत्यापन कर सकेगा. ईडी की वेबसाइट पर यूनिक पासकोड दर्ज करने पर इसकी असलियत का सत्यापन किया जा सकेगा. सत्यापन की व्यवस्था सार्वजनिक अवकाश, शनिवार और रविवार को छोड़कर उपलब्ध होगी. जो समन सिस्टम के माध्यम से जारी नहीं किया गया हो, उसके सत्यापन के लिए समन पर दिए गए फोन नंबर या ईमेल आईडी पर संपर्क किया जा सकेगा.
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