नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण के समय में रेमेडेसीवर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे अलग-अलग गैंग का क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश किया है. इन मामलों में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से 81 रेमेडेसीवर इंजेक्शन बरामद किए गए हैं. इनके कुछ अन्य साथियों की भी पहचान की गई है जिनकी तलाश में छापेमारी की जा रही है. आरोपी 25 से 40 हजार में एक इंजेक्शन बेचते थे.
रेमेडेसीवर इंजेक्शन की कालाबाजारी डीसीपी मोनिका भारद्वाज के अनुसार कोरोना संक्रमण में जीवन रक्षक दवाएं ब्लैक में बेचने की शिकायतें आ रही थी. इसकी वजह से लोगों के बीच में काफी दहशत फैल रही थी. ऐसे गैंग लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे थे. इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ऐसे गैंग के बारे में जानकारी जुटा रही थी. एसीपी संदीप लांबा की देखरेख में इंस्पेक्टर नीरज चौधरी और गुरमीत सिंह ने ऐसे दो गैंग के बारे में जानकारी जुटाकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की. उनके खिलाफ आईपीसी के अलावा एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट और एपिडेमिक डिजीज एक्ट की धारा के तहत एफआईआर दर्ज की गई.
दो आरोपियों से 71 रेमिडिसीवीर इंजेक्शन मिलेपहले मामले में इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह की टीम ने जीटीबी नगर स्थित परमानंद चौक के पास से छापा मारकर तलविंदर सिंह को गिरफ्तार किया. उसके पास से रेमेडेसीवर के 71 इंजेक्शन बरामद हुए. उसने पुलिस को बताया कि वह चांदनी चौक की एक कुरियर कंपनी के माध्यम से इस दवा को ऊंची कीमत पर अलग-अलग राज्यों में बेच रहा था. चांदनी चौक से पुलिस टीम में छापा मारकर जितेंद्र कुमार नामक सप्लायर को भी गिरफ्तार कर लिया. वह एक इंजेक्शन को कुरियर से भेजने के लिए 2000 रुपये कमीशन लेता था. पुलिस को पता चला कि कई राज्यों में इनके साथी फैले हुए हैं और उनकी तलाश में लगातार छापेमारी की जा रही है.
25 से 40 हजार में देते थे दवादूसरे मामले में शोएब और मोहन नामक युवकों को रेमेडेसीवर के 10 इंजेक्शन की डोज के साथ गिरफ्तार किया गया है. इंस्पेक्टर नीरज चौधरी की टीम ने बत्रा अस्पताल के पास से छापा मारकर दोनों को गिरफ्तार किया. तलाशी में उनके पास से 10 इंजेक्शन मिले जिन्हें वह मरीज के परिजनों को बेचने का प्रयास कर रहे थे. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि इसकी मांग अधिक होने के चलते वह इसको पहले स्टॉक कर रहे थे. इसके बाद ऊंची कीमत पर उसे अस्पताल के पास मरीजों के परिजनों को बेच रहे थे. उनके साथ कई लोग इसमें शामिल हैं. उन्होंने बताया कि वह 25 से 40 हजार रुपये में इस दवा को बेच रहे थे.