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देश की इकलौती ट्रेन... जिसमें 29 साल से यात्रियों को परोसा जा रहा फ्री खाना - FREE FOOD IN TRAIN

अगर आप सचखंड एक्सप्रेस ट्रेन में सफर करते हैं तो आपको साथ में भोजन लेकर चलने की जरूरत नहीं है.

free food offers to passengers in sachkhand express train during journey
प्रतीकात्मक तस्वीर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 6, 2024, 4:44 PM IST

हैदराबाद: ट्रेन में सफर के दौरान समय पर खाना मिलना मुश्किल होता है और अगर मिलता भी है तो उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं होती है. यही वजह है कि रेल यात्रियों को घर से ही खाने का इंतजाम करके चलना पड़ता है. वहीं, कुछ यात्री ट्रेन में सफर के दौरान खाने का ऑर्डर करते हैं और इसके लिए पैसे का भुगतान करते हैं.

क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसी ट्रेन भी चलती है, जिसमें सफर करने वाले यात्रों को मुफ्त में खाना परोसा जाता है. इस ट्रेन में यात्रों को भोजन की गठरी लेकर चलने की जरूरत नहीं पड़ती है.

इस ट्रेन का नाम सचखंड एक्सप्रेस है और इसका नंबर 12715 है. यह ट्रेन में नांदेड़ (महाराष्ट्र) के हजूर साहिब से अमृतसर (पंजाब) के बीच चलती है. इस ट्रेन में यात्रा करने वालों को खाने-पीने की चिंता करने की जरूरत नहीं होती है. दरअसल, इस ट्रेन में कई वर्षों से यात्रियों को लंगर परोसा जाता है.

यह ट्रेन भोपाल, नई दिल्ली समेत 39 स्टेशनों पर रुकती है. सफर के दौरान छह स्टेशनों मनमाड, नांदेड़, भुसावल, भोपाल, ग्वालियर और नई दिल्ली पर यात्रियों को लंगर परोसा जाता है. इन स्टेशनों पर ट्रेन के रुकने के समय भी उसी हिसाब से निर्धारित किया गया है ताकि यात्री लंगर लेकर खा सकें.

ट्रेन में कैसे शुरू हुई यह सेवा
डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, सचखंड एक्सप्रेस में पिछले 29 वर्षों से यात्रियों को मुफ्त में लंगर परोसा जा रहा है. लंगर लेकर खाने के लिए यात्री अपने साथ बर्तन लेकर चलते हैं. नांदेड़ में एक स्थानीय सिख व्यवसायी ने सबसे पहले ट्रेन में यह सेवा शुरू की थी, लेकिन बाद में इसे गुरुद्वारा ने अपने नियंत्रण में ले लिया. वर्तमान में जनरल और एसी दोनों ही कोच में प्रतिदिन लगभग 2,000 लोगों को भोजन परोसा जाता है. मेन्यू में कढ़ी-चावल, दाल और सब्जी जैसे शाकाहारी व्यंजन शामिल हैं.

सचखंड एक्सप्रेस का इतिहास
इस ट्रेन को नांदेड़ और अमृतसर के बीच 1995 में साप्ताहिक आधार पर शुरू किया गया था. फिर इसे द्वि-साप्ताहिक सेवा में बदल दिया गया. 1997-1998 में इसे सप्ताह में पांच दिन चलने वाली सुपरफास्ट ट्रेन में बदल दिया गया. 2007 से यह ट्रेन प्रतिदिन चलती है. इस सुपरफास्ट ट्रेन का नाम नांदेड़ में स्थित सचखंड साहिब गुरुद्वारा के नाम पर रखा गया है और सिख धर्म के दो महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को जोड़ती है.

यह भी पढ़ें- रेलवे का नया ऐप, अब TTE से नहीं बच पाएंगे, ऐसा काम करने वाले फौरन पकड़े जाएंगे

हैदराबाद: ट्रेन में सफर के दौरान समय पर खाना मिलना मुश्किल होता है और अगर मिलता भी है तो उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं होती है. यही वजह है कि रेल यात्रियों को घर से ही खाने का इंतजाम करके चलना पड़ता है. वहीं, कुछ यात्री ट्रेन में सफर के दौरान खाने का ऑर्डर करते हैं और इसके लिए पैसे का भुगतान करते हैं.

क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसी ट्रेन भी चलती है, जिसमें सफर करने वाले यात्रों को मुफ्त में खाना परोसा जाता है. इस ट्रेन में यात्रों को भोजन की गठरी लेकर चलने की जरूरत नहीं पड़ती है.

इस ट्रेन का नाम सचखंड एक्सप्रेस है और इसका नंबर 12715 है. यह ट्रेन में नांदेड़ (महाराष्ट्र) के हजूर साहिब से अमृतसर (पंजाब) के बीच चलती है. इस ट्रेन में यात्रा करने वालों को खाने-पीने की चिंता करने की जरूरत नहीं होती है. दरअसल, इस ट्रेन में कई वर्षों से यात्रियों को लंगर परोसा जाता है.

यह ट्रेन भोपाल, नई दिल्ली समेत 39 स्टेशनों पर रुकती है. सफर के दौरान छह स्टेशनों मनमाड, नांदेड़, भुसावल, भोपाल, ग्वालियर और नई दिल्ली पर यात्रियों को लंगर परोसा जाता है. इन स्टेशनों पर ट्रेन के रुकने के समय भी उसी हिसाब से निर्धारित किया गया है ताकि यात्री लंगर लेकर खा सकें.

ट्रेन में कैसे शुरू हुई यह सेवा
डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, सचखंड एक्सप्रेस में पिछले 29 वर्षों से यात्रियों को मुफ्त में लंगर परोसा जा रहा है. लंगर लेकर खाने के लिए यात्री अपने साथ बर्तन लेकर चलते हैं. नांदेड़ में एक स्थानीय सिख व्यवसायी ने सबसे पहले ट्रेन में यह सेवा शुरू की थी, लेकिन बाद में इसे गुरुद्वारा ने अपने नियंत्रण में ले लिया. वर्तमान में जनरल और एसी दोनों ही कोच में प्रतिदिन लगभग 2,000 लोगों को भोजन परोसा जाता है. मेन्यू में कढ़ी-चावल, दाल और सब्जी जैसे शाकाहारी व्यंजन शामिल हैं.

सचखंड एक्सप्रेस का इतिहास
इस ट्रेन को नांदेड़ और अमृतसर के बीच 1995 में साप्ताहिक आधार पर शुरू किया गया था. फिर इसे द्वि-साप्ताहिक सेवा में बदल दिया गया. 1997-1998 में इसे सप्ताह में पांच दिन चलने वाली सुपरफास्ट ट्रेन में बदल दिया गया. 2007 से यह ट्रेन प्रतिदिन चलती है. इस सुपरफास्ट ट्रेन का नाम नांदेड़ में स्थित सचखंड साहिब गुरुद्वारा के नाम पर रखा गया है और सिख धर्म के दो महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को जोड़ती है.

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