नई दिल्ली: लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों के हजारों लोग राजधानी दिल्ली में फंसे हुए हैं. लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में यह दिखा भी था कि इनमें से कई पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े थे, वहीं हजारों का हुजूम आनंद विहार के पास तक पहुंचा था. बाद में कुछ लोगों को उनके राज्यों के बॉर्डर तक छोड़ा गया, वहीं कुछ को मनाकर दिल्ली में ही रोक लिया गया.
10 अधिकारियों को मिली जिम्मेदारी
दिल्ली में रह रहे प्रवासियों तक इस लॉकडाउन के दौरान हर मदद पहुंचाने का दिल्ली सरकार लगातार दावा करती रही है. लेकिन अब भी इनमें से ज्यादातर लोग अपने घरों की तरफ लौटना चाहते हैं. इन लोगों की अन्य भी कई समस्याएं हैं. इन सभी समस्याओं को सुनने और उन्हें सुलझाने की दिशा में कदम उठाने के लिए दिल्ली सरकार ने 10 अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है.
मधुप व्यास को उत्तराखंड-हिमाचल
जिन 10 अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है, उनमें से मधुप व्यास, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गोवा और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, दादर और नगर हवेली और दमन और दीव की जिम्मेदारी संभालेंगे. निखिल कुमार मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोगों की समस्याओं को देखेंगे.
पंजाब-हरियाणा गरिमा गुप्ता के जिम्मे
अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के दिल्ली में रह रहे लोगों की समस्याओं को सुलझाने का काम अमित सिंगला को दिया गया है. वहीं गरिमा गुप्ता पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के रेजिडेंट कमिश्नर से बातचीत करके दिल्ली में रह रहे वहां के लोगों की समस्याओं का समाधान करेंगी.
बिहार एसबी शशांक, यूपी डीएन सिंह
उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी डीएन सिंह, बिहार की एसबी शशांक, झारखंड की अजीमुल हक, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा की अरुण मिश्रा और गुजरात, राजस्थान तथा महाराष्ट्र की जिम्मेदारी उदित प्रकाश को दी गई है. इसके अलावा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलांगना और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार, लक्षदीप और पुडुचेरी के रेजिडेंट कमिश्नर से बातचीत करके दिल्ली में रह रहे वहां के लोगों की समस्याएं सुलझाने का काम दिया गया सी. उदया कुमार को.
हफ्ते में दो बार देंगे रिपोर्ट
ये सभी 10 अधिकारी अलग-अलग राज्यों के रेजिडेंट कमिश्नर से बातचीत करेंगे. उनके राज्यों के लोगों की समस्याएं उनसे साझा करेंगे और किस तरह से उनका समाधान निकल पाएगा, इसे लेकर अपने सुझाव सरकार तक पहुंचाएंगे. इन सभी अधिकारियों को हफ्ते में दो बार अपनी रिपोर्ट दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को सौंपनी है.