नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में त्योहारों के साथ-साथ व्रतों का भी विशेष महत्व है. शास्त्रों में मुताबिक, हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी के व्रतों को बहुत ही शुभ और फलदायी बताया गया है. माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है. बुधवार यानी 18 जनवरी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
षटतिला एकादशी में तिलों का विशेष महत्व है. षटतिला एकादशी के दिन तिल का 6 तरीकों से प्रयोग किया जाता है. यही वजह है कि इसे षटतिला एकादशी कहते हैं. षटतिला एकादशी पर तिल से स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन और तर्पण करना, भोजन में तिल का प्रयोग और तिल का दान करने की मान्यता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, षटतिला एकादशी व्रत रखने से पापों का नाश होता है. साथ ही पृथ्वी लोक पर सभी सुखों की प्राप्ति होती है.
षटतिला एकादशी शुभ मुहूर्त
० षटतिला एकादशी प्रारंभ: 17 जनवरी को शाम 6 बजकर 20 मिनट से
० षटतिला एकादशी समाप्त: 18 जनवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट
० व्रत पारण: 19 जनवरी सुबह 07.15 से लेकर सुबह 09.29 तक किया जाएगा
भूलकर भी न करें ये गलतियां
० शास्त्रों के मुताबिक, षटतिला एकादशी के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. मांस, प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए. किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से भी बचना चाहिए.
० पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
० षटतिला एकादशी पर दान का विशेष महत्व है. इसलिए घर आए किसी भी साधु, बुजुर्ग आदि को खाली हाथ ना लौटाएं. दान अवश्य करें.
० जो भक्त षटतिला एकादशी का व्रत करते हैं, इस दिन सोने के लिए पलंग, बेड आदि का प्रयोग ना करें. जमीन पर ही सोएं और विश्राम करें.
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
० जो भक्त षटतिला एकादशी का व्रत रखते हैं. उन्हें इस दिन तिल का उबटन लगाना चाहिए.
० षटतिला एकादशी पर पानी में तिल डालकर स्नान करें.
० तिल के तेल से मालिश करनी चाहिए.
० षटतिला एकादशी पर भगवान विष्णु को तिल से बने मिष्ठान आदि का भोग लगाएं.
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