नई दिल्ली: ज्योतिषाचार्य और आध्यात्मिक गुरु शिव कुमार शर्मा के मुताबिक़ ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को रंभा तीज व्रत किया जाता है. इस वर्ष रंभा व्रत 22 मई को रखा जाएगा. पुराणों में कथा आती है जब देव और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था, उसमें 14 रत्न निकले थे. उन्हीं में से एक थी रंभा अप्सरा. रंभा देवलोक की सुंदर अप्सरा थी. उनका अवतरण समुद्र से ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को हुआ था. इसी कारण इस तिथि को रंभा तीज का व्रत रखा जाता है.
रंभा तीज का व्रत करने से विवाह योग्य युवतियों को योग्य पति की प्राप्ति होती है तथा रूप, लावण्य और सौन्दर्य में वृद्धि होती है. विवाहिता महिलाएं भी अपने पति के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए इस व्रत को रखती हैं. रंभा तीज के व्रत में शिव पार्वती का पूजन किया जाता है. मां पार्वती को सौभाग्य सामग्रियां चढ़ाकर उनसे अपने पति की दीर्घायु की कामना करनी चाहिए.
युवतियों को सुंदर पति की प्राप्ति के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव मां पार्वती के चित्र के सम्मुख दीपक जलाएं. मां पार्वती को सौभाग्य सामग्रियां, नैवेद्य, फल, मिष्ठान्न आदि का भोग लगाएं और अपने परिवार के कल्याण के लिए व पति की दीर्घायु की कामना करें.
विवाह योग्य युवतियों को अपने सुंदर और योग्य पति की कामना से इस व्रत को करना चाहिए. जिन महिलाओं को अपने सौंदर्य, रूप लावण्य में वृद्धि करनी है उनको भी रंभा अप्सरा की पूजा करनी चाहिए. उनसे अपने रूप व सौन्दर्य की वृद्धि की प्रार्थना करें.
भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ओम् नमः शिवाय का जाप करें.
मां भगवती के इस मन्त्र का नियमित जाप करें.
ॐ देहि मे सौभाग्यम् आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।
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