नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार द्वारा मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त यात्रा को मेट्रो मैन ई. श्रीधरन ने चुनावी हथकंडा बताया है.उन्होंने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को लिखे गए पत्र में यह बात कही है. उन्होंने दिल्ली सरकार को सुझाव दिया है कि वह मुफ्त सफर की जगह मेट्रो के विस्तार, अतिरिक्त ट्रेन खरीदने और लास्ट माइल कनेक्टिविटी को लेकर काम करें तो जनता को ज्यादा फायदा होगा. अगर उन्होंने अपनी योजना को लागू किया तो मेट्रो का सत्यानाश हो जाएगा.
सिसोदिया को लिखा खत
ई. श्रीधरन की तरफ से मनीष सिसोदिया को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि वह मेट्रो में मुफ्त यात्रा को सपोर्ट नहीं करते. डीएमआरसी ने मेट्रो बनाने के लिए जो लोन लिया है उसमें अभी 35 हजार करोड़ रुपये वापस चुकाना बाकी है. महिलाओं की मुफ्त यात्रा से होने वाले नुकसान की भरपाई शायद उनकी सरकार कर दे, लेकिन संभव है कि भविष्य में आने वाली सरकार ऐसा न करे. ऐसे में डीएमआरसी के लिए महिलाओं की मुफ्त यात्रा को वापस करना आसान नहीं होगा.
मेट्रो मैन ई. श्रीधरन का पत्र 'दूसरी मेट्रो के लिए भी होगी समस्या'ई. श्रीधरन की तरफ से कहा गया है कि दिल्ली सरकार का यह फैसला देश की दूसरी मेट्रो के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकता है. उन्होंने कहा है कि अगर महिलाओं की मुफ्त यात्रा मेट्रो में शुरू होगी तो छात्र, विकलांग और वरिष्ठ नागरिक भी मुफ्त यात्रा के लिए आवाज उठाएंगे. दुनिया में किसी भी मेट्रो ने अभी तक केवल महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा शुरू नहीं की है. दिल्ली सरकार को यह याद रखना चाहिए कि इस मद में जो भी पैसा वह लगाएगी वो टैक्स देने वालों का पैसा है. उन्हें यह पूछने का हक है कि केवल महिलाओं को यह सुविधा क्यों दी जा रही है.
मेट्रो मैन ई. श्रीधरन का पत्र 'एक साल में बन रही 25 किलोमीटर मेट्रो'श्रीधरन ने लिखा है कि चीन जहां एक साल में 300 किलोमीटर मेट्रो बना रहा है, वहीं भारत केवल 25 किलोमीटर मेट्रो बना पाता है. इसकी मुख्य वजह बजट ना होना है. अगर मेट्रो पर इस तरह की मुफ्त यात्रा का बोझ पड़ेगा तो भविष्य में कोई मेट्रो बनाने के लिए लोन नहीं देगा. उन्होंने कहा है कि वह सरकार के मुफ्त यात्रा के फैसले का विरोध नहीं कर रहे. वह केवल इतना चाहते हैं कि इस मुफ्त यात्रा के पैसे महिला के खाते में सरकार दे.
'चुनाव जीतने के लिए लिया जा रहा फैसला'उन्होंने लिखा है कि दिल्ली सरकार का यह फैसला केवल आने वाले विधानसभा चुनाव जीतने के लिए एक हथकंडा है ताकि उन्हें महिलाओं के वोट मिल सकें. मेट्रो में कम संख्या को लेकर दिल्ली सरकार की जानकारी भी गलत है क्योंकि वह डीपीआर के अनुमानित आंकड़े को लेकर बोलते हैं. आज मेट्रो में पीक आवर के दौरान चढ़ना आसान नहीं होता. डीएमआरसी प्रत्येक 2 मिनट पर मेट्रो चलाती है, लेकिन इसके बावजूद उसमें चढ़ने की जगह नहीं होती. ऐसे में अगर महिलाओं की यात्रा फ्री कर दी गई तो इससे बढ़ने वाली संख्या मेट्रो में परेशानी बढ़ाएगी.
'मेट्रो की मजबूती पर करें काम'श्रीधरन ने लिखा है कि अगर दिल्ली सरकार पैसे खर्च करना चाहती है तो वह डीएमआरसी के लिए अतिरिक्त ट्रेन खरीदें. नई मेट्रो लाइनें बनाएं. लेकिन वह ऐसा नहीं कर रही है. उन्होंने लिखा है कि दिल्ली सरकार ने लगभग 2 साल तक मेट्रो के चौथे फेज को लटकाए रखा. दिल्ली सरकार को मेट्रो के लिए काम करना चाहिए ताकि दिल्ली में ट्रैफिक कम हो और प्रदूषण से लोगों को निजात मिले. वह दिल्ली सरकार से अपील करते हैं कि वह देश की एक प्रमुख पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को अपने चुनावी फायदे के लिए खत्म न करें.