नई दिल्ली/नोएडा: देश के बहुचर्चित निठारी कांड मामले में बरी होने के बाद शुक्रवार दोपहर मोनिंदर सिंह पंढेर नोएडा की लुक्सर जेल से रिहा हो गया. 66 साल के पंढेर को लेने के लिए उसका बेटा करमजीत सिंह, अधिवक्ता और परिवार के कुछ और सदस्य आए थे. जेल से निकलने के बाद वे चुपचाप चंडीगढ़ के लिए निकल गए. टीवी रोग से ग्रसित होने के चलते पंढेर की स्थिति काफी नाजुक दिखाई दे रही थी. वह काफी कमजोर, थका हुआ और वृद्ध दिख रहा था.
जेल से निकलने के बाद पंढेर पर किसी तरह के हमले की आशंका के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे. पंढेर ने मीडिया से कोई बात नहीं की. वह चुपचाप अपने बेटे के साथ गाड़ी में बैठकर चला गया. रिहाई का दूसरा परवाना आज गाजियाबाद के डासना जेल से नोएडा पहुंचा. बीमार होने के बावजूद बुधवार और गुरुवार को वह जेल में चहलकदमी करता दिखा था. इससे पहले ज्यादातर समय वह व्हीलचेयर पर ही बिताता था.
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इसी साल जून में उसे गाजियाबाद के डासना जेल से लुक्सर जेल लाया गया था. बीमार होने के चलते उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था. सूत्रों के मुताबिक वह जेल में किसी से बात नहीं करता था. जेल में उसे वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता था. जेल में उसकी हर इच्छा का ख्याल रखा जाता था. जेल के उच्चाधिकारियों से उसने चाय के बजाय काॅफी पीने की इच्छा जाहिर की थी. जिस पर उसे अलग से काॅफी दी जाती थी.
जेल के अधिकारियों के अनुसार, इसी साल जुलाई में लुक्सर जेल में पंढेर से मिलने के लिए बेटा आया था. उसके बाद उससे मिलने कोई नहीं आया. किसी ने उसे फोन तक नहीं किया. लुक्सर जेल के सुपरिंटेंडेंट अरुण प्रताप सिंह ने बताया कि मोनिंदर सिंह पंढेर की रिहाई का एक परवाना बुधवार को जेल पहुंच गया था. जबकि, दूसरा परवाना आज पहुंचा है. उन्होंने बताया कि वह दो मामले में जेल में बंद था. दोनों परवाना मिलने के बाद उसे आज जेल से रिहा कर दिया गया.
2006 में नोएडा के बहुचर्चित निठारी हत्याकांड में सीबीआई ने 19 केस रजिस्टर किए थे, 17 मामलों में चार्जशीट दाखिल हुए. पायल केस में पंधेर आरोपी बनाया गया. छह मामलों में वह सह-अभियुक्त बनाया गया. पूरे केस में 435 लोगों की गवाही हुई है. 57 प्रत्यक्ष गवाह के रूप में पेश हुए हैं. रिंपा हलधर मामले में कोली व पंधेर को फांसी की सजा मिली थी. हाईकोर्ट से पंधेर की सजा उम्रकैद में तब्दील हो गई. अन्य मामलों में कोली पर केस चल रहा है. बीते सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंढेर को दोष मुक्त करार दिया था और आज जेल से उसकी रिहाई हो गई.
मनिंदर सिंह पंढेर कैसे आया नोएडाः नोएडा सेक्टर-31 स्थिति डी-5 निठारी गांव में मोनिंदर सिंह पंढेर ने 2005 में कोठी खरीदी. चंडीगढ़ से दूर यहां उसने ठिकाना बनाया. साथ ही नोएडा में ही उसकी कंपनी भी थी. नोएडा में परिवार नहीं होने के चलते अपने विश्वास पात्र नौकरी सुरेंद्र कोली को नोएडा साथ लाया. कोली खाना बनाने में एक्सपर्ट था और पंढेर का काफी विश्वासपात्र था. पंढेर शराब का शौकिन था. कोठी भले ही पंढेर की थी पर उसकी देखरेख और जिम्मेदारी कोली की थी. इस कोठी से जुड़े राज तब खुले जब यहां काम करने वाली महिला 31 अक्टूबर को अपने घर नहीं लौटी. 24 दिसंबर 2006 को नाले से 16 खोपड़ियां मिली. तब इस पूरे केस से पर्दा उठा.
नोएडा के दो बड़े केस, जिनकी पहेली आज भी अनसुलझीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के दो बहुचर्चित मामलों में हत्या हुई पर आज तक हत्या करने वाले का पता नहीं चला. 2006 में निठारी कांड हुआ, जिसमें पुलिस के बाद देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने जांच की. मामले में कोठी D 5 के मालिक मनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया गया. एक दशक से अधिक समय तक इस मामले की जांच हुई और दोनों ही दोषियों को न्यायालय ने रिहा कर दिया.
वहीं, ठीक दो साल बाद साल 2008 में नोएडा के सेक्टर 25 स्थिति जलवायु विहार में आरुषि-हेमराज कांड हुआ. इस मामले में तमाम सबूत और जांच पुलिस के बाद सीबीआई ने तलवार दंपति को दोषी ठहराया. जांच लंबे समय तक चलने और तलवार दंपति के जेल में रहने के बाद सबूत के अभाव में वे भी जेल से रहा हो गए. इन दोनों बड़े मामलों में हत्या आरोपी कौन है ? देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी भी पता लगाने में असफल रही!
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