नई दिल्ली/गाजियाबाद: भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी, ऋषि पंचमी के रूप में मनाई जाती है. सृष्टि के आरंभ से ही ऋषि मुनियों ने अपने ज्ञान द्वारा मानव जीवन और ब्रह्मांड के रहस्यों का पता लगाया था. मानव जीवन मूल्य जैसे आश्रम व्यवस्था, गुरुकुल पद्धति और हमारे नित्य और नियमित कार्यों का स्वरूप क्या हो? यह सब हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों की ही देन है.
ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि मनुष्य जीवन में तीन ऋण होते हैं, देव ऋण पितृ ऋण और ऋषि ऋण. ऋषि पंचमी, ऋषियों के ऋण से मुक्त होने का सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन प्रात: काल उठकर एवं नित्य कर्म से निवृत्त होकर सप्तर्षि का ध्यान करें. इसके बाद मंदिर में अथवा अन्य किसी पवित्र स्थान चौकी पर सप्त ऋषियों के चिह्न बनाएं और परंपरा के अनुसार अपने गुरु मंत्र या इष्ट देव के मंत्र का जाप करें और भगवान विष्णु के कार्यों का वर्णन करते हुए कथा सुनें और सुनाएं. यदि व्रत रखें, तो निराहार रहकर व्रत रहें. फिर सूर्यास्त के बाद आकाश की उत्तर दिशा की ओर सप्त ऋषि मंडल और ध्रुव का दर्शन करें और व्रत का पारण करें.
ऋषि पंचमी का व्रत करने से मनुष्य के अंदर नैतिकता आती है. साथ ही गुरु और ऋषियों के प्रति सम्मान बढ़ता है और घर में सुख शांति बनी रहती है. ऋषि पंचमी हरतालिका तीज के दो दिन और गणेश चतुर्थी के एक दिन के बाद मनाई जाती है. ऐसे में ऋषि पंचमी बुधवार को मनाई जाएगी.
पंचमी तिथि आरंभ: मंगलवार, 19 सितंबर 2023. दोपहर 1:43 पर होगा शुरू
पंचमी तिथि समाप्त: बुधवार, 20 सितंबर 2023 दोपहर 2:16 पर होगा समाप्त
पूजन का मुहूर्त: बुधवार, 20 सितंबर 2023 सुबह 11:19 से दोपहर 01:45 तक
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