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Radha Ahstami 2023: राधा अष्टमी का व्रत करने से ये मनोरथ होंगे सिद्ध, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की भांति ही राधा अष्टमी का भी बहुत महत्व है. इस दिन व्रत पूजन करने से भक्त के कई मनोरथ सिद्ध होते हैं. आइए जानते हैं राधा अष्टमी पर कैसे करें पूजा और क्या है इसका फल..

Radha Ahstami 2023
Radha Ahstami 2023
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 21, 2023, 6:02 AM IST

शिव कुमार शर्मा, ज्योतिषाचार्य

नई दिल्ली: कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तरह राधा अष्टमी भी धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार यह 23 सितंबर को मनाई जाएगी. राधा अष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा के पूजन का विधान है. इस दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है.

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की सखी हैं. वह भगवान श्रीकृष्ण से 11:30 महीने बड़ी हैं और उन्हीं के जन्मोत्सव के रूप में राधा अष्टमी मनाई जाती है. इस दिन राधा रानी के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है. राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने से विवाहित महिलाओं के पति की आयु में वृद्धि होती है. वहीं, अविवाहित युवतियां योग्य वर की प्राप्ति के लिए राधा अष्टमी का व्रत रखती हैं. इसी दिन पूजन करने से राधा रानी प्रसन्न होती हैं और यह व्रत करने से भक्त को सभी पापों और कष्टों से मुक्ति मिलती है.

पूजन विधि: प्रात: काल उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर बाल राधा रानी का श्रंगार करें. फिर राधा रानी को पालने में बैठाएं और पंचमेवा, मिश्री, माखन, खीर आदि से राधा रानी को भोग लगाएं. इसके बाद राधा रानी की पूजा अर्चना करें और राधाकृष्ण की आरती करें. साथ ही राधे राधे का जप करें और राधा चालीसा का पाठ करें. अंत में अपनी मनोकामनाओं को राधा रानी के समक्ष रखें. राधा चालीसा का पाठ करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम में वृद्धि होती है.

शुभ मुहूर्त-

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ: शुक्रवार, 22 सितंबर, 2023 दोपहर 1:35 से शुरू होगा.

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त: शनिवार, 23 सितंबर, 2023, दोपहर 12:17 पर समाप्त होगा.

उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का व्रत 23 सितंबर 2023 को रखा जाएगा.

पूजन मुहूर्त: शनिवार, 23 सितंबर, 2023 सुबह 11:01 से दोपहर 1:26 तक

यह भी पढ़ें-Festivals in September 2023: इस दिन भाद्रपद पूर्णिमा, अजा एकादशी और अमावस्या, जानें माह के व्रत-त्योहार

यह भी पढ़ें-Bhaum Pradosh Vrat 2023: भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत कब ? जानें तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त

शिव कुमार शर्मा, ज्योतिषाचार्य

नई दिल्ली: कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तरह राधा अष्टमी भी धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार यह 23 सितंबर को मनाई जाएगी. राधा अष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा के पूजन का विधान है. इस दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है.

ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की सखी हैं. वह भगवान श्रीकृष्ण से 11:30 महीने बड़ी हैं और उन्हीं के जन्मोत्सव के रूप में राधा अष्टमी मनाई जाती है. इस दिन राधा रानी के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है. राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने से विवाहित महिलाओं के पति की आयु में वृद्धि होती है. वहीं, अविवाहित युवतियां योग्य वर की प्राप्ति के लिए राधा अष्टमी का व्रत रखती हैं. इसी दिन पूजन करने से राधा रानी प्रसन्न होती हैं और यह व्रत करने से भक्त को सभी पापों और कष्टों से मुक्ति मिलती है.

पूजन विधि: प्रात: काल उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर बाल राधा रानी का श्रंगार करें. फिर राधा रानी को पालने में बैठाएं और पंचमेवा, मिश्री, माखन, खीर आदि से राधा रानी को भोग लगाएं. इसके बाद राधा रानी की पूजा अर्चना करें और राधाकृष्ण की आरती करें. साथ ही राधे राधे का जप करें और राधा चालीसा का पाठ करें. अंत में अपनी मनोकामनाओं को राधा रानी के समक्ष रखें. राधा चालीसा का पाठ करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम में वृद्धि होती है.

शुभ मुहूर्त-

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ: शुक्रवार, 22 सितंबर, 2023 दोपहर 1:35 से शुरू होगा.

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त: शनिवार, 23 सितंबर, 2023, दोपहर 12:17 पर समाप्त होगा.

उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का व्रत 23 सितंबर 2023 को रखा जाएगा.

पूजन मुहूर्त: शनिवार, 23 सितंबर, 2023 सुबह 11:01 से दोपहर 1:26 तक

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