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Diwali 2023: गाजियाबाद जिला कारागार से निकली रोशनी से जगमग होंगे सैकड़ों आशियाने - Making lamps beautiful with art

गाजियाबाद के जिला कारागार में बंद जेल में बंदियों द्वारा मिट्टी के दिए और मोमबत्तियां तैयार की जा रही हैं. जेल के बाहर स्टाल लगाकर इनकी बिक्री की जाएगी. District Jail Ghaziabad, Superintendent Alok Singh

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 5, 2023, 7:59 PM IST

गाजियाबाद की जिला कारागार में बंदियों ने तैयार किए दीए और मोमबत्तियां

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद की जिला कारागार में बंदी विभिन्न प्रोडक्ट्स तैयार कर रहे हैं. दिवाली का त्यौहार नजदीक है. ऐसे में जेल के बंदी मिट्टी के दीए तैयार कर रहे हैं. जेल में दीए बनाने के लिए मिट्टी और चाक की व्यवस्था की गई है. जेल में चाक घूम रहा है. खास बात ये है कि जहां बंदी एक तरफ मिट्टी के दीए तैयार कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बेहतरीन कलाकारी से दीयों को खूबसूरत बना रहे हैं.

जेल प्रशासन ने बंधियों द्वारा तैयार किए गए दीयों को बहुत ही अच्छे तरीके से पैक कराया है. पैकेट को देखकर ऐसा लगता है कि किसी बड़ी दुकान से खरीद कर लाया गया हो.

ये भी पढ़ें: गाजियाबाद: सचिव संजय सिंह ने किया जिला कारागार का औचक निरीक्षण

जेल अधीक्षक आलोक सिंह के मुताबिक शासन की मंशा के मुताबिक जेल में बंदियों को इंगेज रखने और हुनरमंद बनाने के लिए लगातार कवायद की जा रही है. जेल में बंदियों की क्रिएटिव स्किल्स को और बेहतर बनाने की कोशिश जारी है. जिससे कि रिहाई के बाद वे आत्मनिर्भर बन सकें साथ ही जेल में सीखे गए हुनर को इस्तेमाल कर रोजगार के साधन स्थापित कर समाज में उपयोगी नागरिक के तौर पर स्थापित हो सकें.

आलोक सिंह के मुताबिक आगामी दिवाली के त्यौहार को देखते हुए जेल में बंदियों द्वारा मिट्टी के दिए और मोमबत्तियां तैयार की जा रही हैं. तकरीबन 30 बंदी इस प्रोजेक्ट में इंवॉल्व हैं. बंदियों द्वारा तकरीबन तीन हजार दीए और तीन हजार मामबत्तियां तैयार की गई हैं. हमारा मकसद बंदियों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को आम लोगों तक पहुंचना है. जिसके लिए आगामी दिनों में जेल के बाहर स्टॉल लगाकर बंदियों द्वारा तैयार किए गए दीयों और मोमबत्तियां का विक्रय किया जाएगा.

बता दें, जेल प्रशासन की इस पहल से जहां एक तरफ कैदियों में पॉजिटिव अप्रोच और पॉजिटिव माइंडसेट डेवलप हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ उनमें आत्मविश्वास भी पैदा हो रहा है. जिला कारागार गाजियाबाद में कई ऐसे कैदी मौजूद हैं जो बहुत शानदार पेंटिंग्स बनाते हैं, गाने गाते है और एंब्रॉयडरी करते हैं. जेल का खुद का एक रेडियो स्टेशन भी है, जहां कैदी ही रेडियो जॉकी की भूमिका निभाते हैं.

ये भी पढ़ें: आजीवन कारावास की सजा काट रहा कैदी बन गया आर्टिस्ट, अब तक बनाई 60 से अधिक वॉल पेंटिंग्स

गाजियाबाद की जिला कारागार में बंदियों ने तैयार किए दीए और मोमबत्तियां

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद की जिला कारागार में बंदी विभिन्न प्रोडक्ट्स तैयार कर रहे हैं. दिवाली का त्यौहार नजदीक है. ऐसे में जेल के बंदी मिट्टी के दीए तैयार कर रहे हैं. जेल में दीए बनाने के लिए मिट्टी और चाक की व्यवस्था की गई है. जेल में चाक घूम रहा है. खास बात ये है कि जहां बंदी एक तरफ मिट्टी के दीए तैयार कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बेहतरीन कलाकारी से दीयों को खूबसूरत बना रहे हैं.

जेल प्रशासन ने बंधियों द्वारा तैयार किए गए दीयों को बहुत ही अच्छे तरीके से पैक कराया है. पैकेट को देखकर ऐसा लगता है कि किसी बड़ी दुकान से खरीद कर लाया गया हो.

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जेल अधीक्षक आलोक सिंह के मुताबिक शासन की मंशा के मुताबिक जेल में बंदियों को इंगेज रखने और हुनरमंद बनाने के लिए लगातार कवायद की जा रही है. जेल में बंदियों की क्रिएटिव स्किल्स को और बेहतर बनाने की कोशिश जारी है. जिससे कि रिहाई के बाद वे आत्मनिर्भर बन सकें साथ ही जेल में सीखे गए हुनर को इस्तेमाल कर रोजगार के साधन स्थापित कर समाज में उपयोगी नागरिक के तौर पर स्थापित हो सकें.

आलोक सिंह के मुताबिक आगामी दिवाली के त्यौहार को देखते हुए जेल में बंदियों द्वारा मिट्टी के दिए और मोमबत्तियां तैयार की जा रही हैं. तकरीबन 30 बंदी इस प्रोजेक्ट में इंवॉल्व हैं. बंदियों द्वारा तकरीबन तीन हजार दीए और तीन हजार मामबत्तियां तैयार की गई हैं. हमारा मकसद बंदियों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को आम लोगों तक पहुंचना है. जिसके लिए आगामी दिनों में जेल के बाहर स्टॉल लगाकर बंदियों द्वारा तैयार किए गए दीयों और मोमबत्तियां का विक्रय किया जाएगा.

बता दें, जेल प्रशासन की इस पहल से जहां एक तरफ कैदियों में पॉजिटिव अप्रोच और पॉजिटिव माइंडसेट डेवलप हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ उनमें आत्मविश्वास भी पैदा हो रहा है. जिला कारागार गाजियाबाद में कई ऐसे कैदी मौजूद हैं जो बहुत शानदार पेंटिंग्स बनाते हैं, गाने गाते है और एंब्रॉयडरी करते हैं. जेल का खुद का एक रेडियो स्टेशन भी है, जहां कैदी ही रेडियो जॉकी की भूमिका निभाते हैं.

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