नई दिल्ली: सियासत में हमेशा से स्टारडम का सिक्का चलता रहा है. क्रिकेटर और अभिनेताओं के लिए राजनीति की पहली जीत हमेशा ही ऐतिहासिक होती है, लेकिन ये जीत और खास तब हो जाती है जब स्टारडम सियासी इतिहास बना दे. पूर्वी दिल्ली में कुछ ऐसा ही हुआ है.
क्रिकेटर से सांसद बने गौतम गंभीर की ये जीत ऐतिहासिक जीत मानी जा रही है. बीजेपी के टिकट पर गंभीर ने पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ा और लवली, आतिशी को हराकर सांसद बन गए.
गौतम गंभीर की यह जीत न सिर्फ बीजेपी के गढ़ रहे पूर्वी दिल्ली में अब तक की ऐतिहासिक जीत है, बल्कि सबसे ज्यादा वोट के लिहाज से देखें तो गंभीर ने 2004 के लोकसभा चुनाव में संदीप दीक्षित को मिले 6,69,527 वोटों के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया है.
पूर्वी दिल्ली में पहले राउंड की गिनती के बाद गौतम गंभीर को 34,022 वोट मिले थे, कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली को 15,390 और आम आदमी पार्टी की आतिशी को 10,069 यानी पहले राउंड से ही गौतम गंभीर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से 18,632 वोटों से आगे थे.
जीत का ये फासला धीरे-धीरे बढ़ता गया और मतगणना के अंतिम राउंड में पहुंचते-पहुंचते गंभीर ने लवली को 3,91,232 वोटों के मार्जिन से पछाड़ दिया. गौर करने वाली बात ये भी है कि चुनावी मैदान में जो आतिशी गंभीर को कड़ी चुनौती दे रही थीं, उन्हें मात्र 2,19,328 वोट ही मिल सके.
1991 के चुनाव में जब बीजेपी के बी.एल. शर्मा को पूर्वी दिल्ली में 3,03,141 वोट मिले, तब उस समय के लिहाज से ये एक ऐतिहासिक जीत थी. उसके बाद 1996 के चुनाव में बैकुंठ लाल शर्मा 5,38,655 वोटों के साथ पहले पोजीशन पर आए, तब इसे उस समय तक की सबसे बड़ी जीत के रूप में देखा गया.
वहीं 12वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में जब बीजेपी के उस समय के बड़े पूर्वांचली चेहरे और दिग्गज नेता लाल बिहारी तिवारी को 5,63,083 वोट मिले, तब तो ये ऐतिहासिक जीत ही थी.
लेकिन पिछले चुनाव में महेश गिरी को मिले 5,72,202 वोटों ने पूर्वी दिल्ली में बीजेपी के सितारे बुलंद कर दिए. हालांकि 2014 की जीत के बाद किसी को इसकी उम्मीद नहीं थी कि 5 साल बाद ही पूर्वी दिल्ली में बीजेपी को ऐसी जीत मिलेगी, जो अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी. बता दें गौतम गंभीर को कुल 696156 वोट मिले हैं
जीत का मार्जिन और पूर्वी दिल्ली के अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा वोट हासिल करना गौतम गंभीर के लिए तो निःसन्देह सुखद है, लेकिन अब बारी उनके स्टारडम वाली छवि की नहीं, बल्कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में पहचान बनाने की है और देखने वाली बात यह होगी कि जिस पूर्वी दिल्ली ने गौतम गंभीर पर इतना विश्वास जताया है, वहां की जनता की उम्मीदों पर वो कितना खरा उतर पाते हैं.