नई दिल्ली/ गाजियाबाद: हिंदू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन साल का आखिरी महीना है. फागुन पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. मंगलवार यानी 7 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सत्यनारायण की पूजा समेत कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं. मान्यता है कि फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन समुद्र के गर्भ से मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. फाल्गुन पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के जन्म दिन के रूप में भी मनाया जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, फाल्गुन की पूर्णिमा का व्रत रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं. फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत (Falgun Purnima Vrat Importance) करने से हर तरह के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में स्थिरता आती है.
फाल्गुन पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि आरंभ: 6 मार्च (सोमवार) 4:17 PM से आरंभ
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 मार्च (मंगलवार) 6:09 PM पर समाप्त
स्नान मुहूर्त: 7 मार्च (मंगलवार) 5:07 AM से 5:56 PM
सत्यनारायण पूजा समय: 7 मार्च (मंगलवार) 11:03 AM से 2 PM तक
चंद्रमा पूजा मुहूर्त: 7 मार्च (मंगलवार) को 6:19 PM
होलिका दहन मुहूर्त: 7 मार्च (मंगलवार) 6:31 PM से 8:58 PM
मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत (Falgun Purnima Vrat Benifits) रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही स्वास्थ्य लाभ मिलता है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा करने और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने से घर से नकारात्मकता दूर होती है. सुख समृद्धि का वास होता है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन दिया गया दान बेहद खास माना जाता है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इसी वजह से इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और अन्न, जल, वस्त्र आदि का दान करते हैं.
फाल्गुन पूर्णिमा से करें दिनचर्या में बदलाव
० दिन में सोने से बचना चाहिए.
० हल्का, सुपाच्य आहार ग्रहण करें .
० भोजन में फलों की मात्रा अधिक लेनी चाहिए.
० फाल्गुन पूर्णिमा के बाद ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए.
० पूर्णिमा के बाद बासी खाना बिल्कुल ना खाएं. इसके साथ ही तला, मसालेदार भोजन ग्रहण करने से बचें.
फाल्गुन पूर्णिमा को न करें ये कार्य
० फाल्गुन पूर्णिमा के दिन तामसिक भोजन का सेवन ना करें. मांस, प्याज और लहसुन का सेवन ना करें. किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से दूर रहें.
० पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाना चाहिए. ऐसा करना पाप माना गया है.
० सनातन धर्म प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान और उससे प्रेम से व्यवहार करना सिखाता है. विशेष तौर पर फाल्गुन पूर्णीमा के दिन ख्याल रखें कि किसी से गलत वाणी का प्रयोग ना करें और ना ही किसी पर गुस्सा करें. इस दिन अपशब्द का प्रयोग करने से पूर्णतया बचें.