नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली के महरौली और तुगलकाबाद के बाद अब पूर्वी दिल्ली के शाहदरा इलाके में डीडीए ने अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान शुरू कर दिया. कस्तूरबा नगर में सोमवार सुबह से ही डीडीए की ओर से डिमोलिशन शुरू कर दिया. सुबह 7 बजे दो जेसीबी मौके पर पहुंच गई थी और घरों को तोड़ना शुरू कर दिया था. लोगों के भारी विरोध के बावजूद प्रशासन ने थोड़ी देर तक कार्रवाई की. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर रोक लगा दिया. जिसके बाद DDA ने अपनी कार्रवाई को रोक दिया. लोगों के विरोध को देखते हुए मौके पर भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.
इस कॉलोनी को तोड़ने के लिए डीडीए की ओर से पिछले साल अगस्त में नोटिस दिया गया था. इस नोटिस के विरोध में स्थानीय लोगों ने धरना प्रदर्शन भी किया था. ध्वस्तीकरण की इस कार्रवाई से बचने के लिए लोगों ने कस्तूरबा नगर युवा संघर्ष मंच का गठन किया था. इस मंच के बैनर तले लोगों ने लंबे समय तक संघर्ष किया था.
कस्तूरबा नगर युवा संघर्ष मंच की सदस्य संगीता ने बताया कि इस कॉलोनी में 60 से ज्यादा घर हैं. इन घरों को तोड़ने से सैकड़ों लोग बेघर हो जाएंगे. उनके बच्चों की पढ़ाई भी डिस्टर्ब हो जाएगी. कई बच्चे तो ऐसे हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और उनकी परीक्षाएं नजदीक हैं. इसके बावजूद डीडीए के अधिकारी घरों को तोड़ने पहुंच गए हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह से किसी भी कॉलोनी को अवैध बताकर तोड़ देने से लोगों को परेशानी हो रही है. संगीता ने बताया कि कस्तूरबा नगर एक दलित बस्ती है जहां पिछले साल अगस्त में नोटिस लग चुका था लेकिन लोगों ने संघर्ष करके अपने घरों को कुछ समय के लिए बचाने की कोशिश की.
वहीं स्थानीय निवासी धनु ने बताया कि यहां गरीबों ने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई लगाकर यह घर बनाए हैं, लेकिन डीडीए के अधिकारी इन्हें बेरहमी से तोड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी हम लोगों के पुनर्वास की कोई व्यवस्था भी नहीं की गई है और उससे पहले ही घरों को तोड़ा जा रहा है.
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