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Delhi women’s commission: समलैंगिकता और ट्रांसवेस्टिज्म को ठीक करने वाले दावे पर DCW ने NMC को जारी किया नोटिस

दिल्ली महिला आयोग ने नोटिस जारी कर वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ साइकोलॉजिस्ट्स के बैनर तले एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय के लिए जारी किए गए विज्ञापन पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया है.

DCW ने NMC को जारी किया नोटिस
DCW ने NMC को जारी किया नोटिस
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Published : Mar 25, 2023, 8:03 PM IST

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर चल रहे एक विज्ञापन का दिल्ली महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है. विज्ञापन में दावा किया गया है कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति में 'वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ साइकोलॉजिस्ट्स' नामक एक संगठन मानसिक विकारों पर 3 महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, जो 10 मार्च, 2023 को शुरू हुआ है. जानकारी के अनुसार इस संगठन ने 47 तरह के विकारों से निपटने के लिए प्रशिक्षण की पेशकश की है, जिसमें समलैंगिकता और ट्रांसवेस्टिज्म को भी शामिल किया है.

नोटिस जारी कर जांच रिपोर्ट की प्रति मांगी: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस संबंध में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष को नोटिस जारी कर मामले की जांच रिपोर्ट की प्रति मांगी है. आयोग ने नोटिस में पूछा है कि क्या यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है या पूर्व में आयोजित किया गया था? यदि जवाब "हां" है तो संगठन, उसके पदाधिकारियों और प्रशिक्षकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? इसका विवरण मांगा है. साथ ही उसमें पूछा गया कि क्या उनके लाइसेंस रद्द किए गए हैं? आयोग ने LGBTQIA+ व्यक्तियों के कन्वर्शन थेरेपी पर प्रतिबंध लगाने वाले राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की एक प्रति भी मांगी है.

दिल्ली महिला आयोग ने जारी किया नोटिस
दिल्ली महिला आयोग ने जारी किया नोटिस

ये भी पढ़ें: Delhi Free Bijli Subsidy: LG पर अरविंद केजरीवाल का तंज, बोले- मत कहना कि टूट रही हैं मर्यादाएं

संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग: स्वाति मालीवाल ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस समय भी देश में ऐसे संगठन हैं, जो दावा करते हैं कि समलैंगिकता और ट्रांसवेस्टिज्म 'मनोदैहिक विकार' हैं और कन्वर्शन थेरेपी के माध्यम से इसे 'ठीक' करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा यह गैरकानूनी है और LGBTQIA+ समुदाय के खिलाफ समाज में मिथकों, पूर्वाग्रहों और भेदभाव को बढ़ावा देता है. प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वयं के पहचाने गए लिंग को व्यक्त करने और अपने यौन अभिविन्यास को चुनने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने इन अधिकारों की गारंटी दी है. इस तरह के आपराधिक कृत्यों में संलिप्त संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए."

ये भी पढ़ें: Manish Sisodia Bail Plea: ED केस में 5 अप्रैल को होगी सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर चल रहे एक विज्ञापन का दिल्ली महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है. विज्ञापन में दावा किया गया है कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति में 'वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ साइकोलॉजिस्ट्स' नामक एक संगठन मानसिक विकारों पर 3 महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, जो 10 मार्च, 2023 को शुरू हुआ है. जानकारी के अनुसार इस संगठन ने 47 तरह के विकारों से निपटने के लिए प्रशिक्षण की पेशकश की है, जिसमें समलैंगिकता और ट्रांसवेस्टिज्म को भी शामिल किया है.

नोटिस जारी कर जांच रिपोर्ट की प्रति मांगी: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस संबंध में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष को नोटिस जारी कर मामले की जांच रिपोर्ट की प्रति मांगी है. आयोग ने नोटिस में पूछा है कि क्या यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है या पूर्व में आयोजित किया गया था? यदि जवाब "हां" है तो संगठन, उसके पदाधिकारियों और प्रशिक्षकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? इसका विवरण मांगा है. साथ ही उसमें पूछा गया कि क्या उनके लाइसेंस रद्द किए गए हैं? आयोग ने LGBTQIA+ व्यक्तियों के कन्वर्शन थेरेपी पर प्रतिबंध लगाने वाले राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की एक प्रति भी मांगी है.

दिल्ली महिला आयोग ने जारी किया नोटिस
दिल्ली महिला आयोग ने जारी किया नोटिस

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संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग: स्वाति मालीवाल ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस समय भी देश में ऐसे संगठन हैं, जो दावा करते हैं कि समलैंगिकता और ट्रांसवेस्टिज्म 'मनोदैहिक विकार' हैं और कन्वर्शन थेरेपी के माध्यम से इसे 'ठीक' करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा यह गैरकानूनी है और LGBTQIA+ समुदाय के खिलाफ समाज में मिथकों, पूर्वाग्रहों और भेदभाव को बढ़ावा देता है. प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वयं के पहचाने गए लिंग को व्यक्त करने और अपने यौन अभिविन्यास को चुनने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने इन अधिकारों की गारंटी दी है. इस तरह के आपराधिक कृत्यों में संलिप्त संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए."

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